कौन थीं सैफ अली खान की परदादी? बनी थीं इस शहर की आखिरी महिला नवाब बेगम, ऐसा था अनजाना इतिहास
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कौन थीं सैफ अली खान की परदादी? बनी थीं इस शहर की आखिरी महिला नवाब बेगम, ऐसा था अनजाना इतिहास

Sultan Jahan Begum: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हाल ही में उनके मुंबई स्थित घर में एक चोर ने हमला किया था. हालांकि, वे सुरक्षित हैं लेकिन इस घटना ने उनके शाही वंश को फिर से सुर्खियों में ला दिया. सैफ अली खान, जो कि पटौदी परिवार के उत्तराधिकारी हैं, एक प्रतिष्ठित शाही वंश के सदस्य हैं, जिनका इतिहास भोपाल से जुड़ा हुआ है.

 

कौन थीं सैफ अली खान की परदादी? बनी थीं इस शहर की आखिरी महिला नवाब बेगम, ऐसा था अनजाना इतिहास

Sultan Jahan Begum Of Bhopal: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हाल ही में उनके मुंबई स्थित घर में एक चोर ने हमला किया था. हालांकि, वे सुरक्षित हैं लेकिन इस घटना ने उनके शाही वंश को फिर से सुर्खियों में ला दिया. सैफ अली खान, जो कि पटौदी परिवार के उत्तराधिकारी हैं, एक प्रतिष्ठित शाही वंश के सदस्य हैं, जिनका इतिहास भोपाल से जुड़ा हुआ है. उनका वंश कई दशकों से भारतीय राजनीति और संस्कृति पर गहरी छाप छोड़ चुका है. सैफ अली खान की प्रपौत्री बेगम सुलतान जहां, भोपाल की आखिरी महिला नवाब थीं, जिनके कार्यों और उनके योगदान का आज भी जिक्र किया जाता है.

 

 

बेगम सुलतान जहां: शाही वंश की सबसे प्रभावशाली महिला नवाब

बेगम सुलतान जहां, जो सैफ अली खान की परदादी थीं, उन्होंने न सिर्फ भोपाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया, बल्कि उन्होंने कई सामाजिक और शैक्षिक सुधार भी किए. वे उन महिलाओं में से थीं जिन्होंने भारतीय समाज में बदलाव की दिशा निर्धारित की. उनका जन्म 9 जुलाई 1858 को हुआ था और वे भोपाल के नवाब की एकमात्र संतान थीं. उनकी शाही विरासत ने उन्हें एक मजबूत नेतृत्वकर्ता बना दिया. वे 1901 में अपनी मां की मृत्यु के बाद भोपाल की नवाब बेगम बनीं और 30 वर्षों तक शासन किया.

यूरोपीय शहर बनाने की उनकी कोशिश

बेगम सुलतान जहां का सपना था कि वे भोपाल को एक यूरोपीय शहर में बदलें. उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिनमें बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था शामिल थी. उनका योगदान विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा के लिए अहम था. वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की संस्थापक कुलपति थीं, जो एक भारतीय विश्वविद्यालय में पहली महिला कुलपति बनने का रिकॉर्ड है. उनका सपना था कि शिक्षा का प्रसार सभी वर्गों तक पहुंचे, और उनके नेतृत्व में भोपाल में शिक्षा का स्तर काफी बढ़ा.

 

अन्य महत्वपूर्ण कार्य और सुधार

बेगम सुलतान जहां ने न सिर्फ शिक्षा, बल्कि कानून व्यवस्था, सेना और न्यायपालिका में भी सुधार किए. उनके शासन में भोपाल का पहला बजट 1903 में प्रस्तुत हुआ. उन्होंने कई विकासात्मक परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें लार्ड मिंटो हॉल, सेंट्रल लाइब्रेरी और बाग फरहत अफज़ा जैसे महत्वपूर्ण स्थल शामिल हैं. उन्होंने शराब पर प्रतिबंध लगाया और एक यॉट क्लब की स्थापना की, जो उनके यूरोपीय दृष्टिकोण का हिस्सा था. उनकी नीतियों ने भोपाल को एक आधुनिक और विकसित शहर बनाने का ख्वाब देखा था.

बेगम सुलतान जहां का योगदान

बेगम सुलतान जहां का 1930 में निधन हो गया, लेकिन उनके द्वारा किए गए सुधार और उनके योगदान आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. उनका कार्यक्षेत्र न केवल शिक्षा और सामाजिक सुधारों में सीमित था, बल्कि उन्होंने शाही शासन को भी एक नई दिशा दी, जिससे भोपाल एक समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से विकसित राज्य बन सका. उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वतंत्रता और समानता की दिशा में एक मजबूत कदम था.

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