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Maha Kumbh Fraud Alert: प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा है. यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम, त्रिवेणी संगम पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आकर पवित्र स्नान कर रहे हैं. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं.
इस आध्यात्मिक माहौल के बीच एक अनोखा कारोबार शुरू हो गया है 'फोटोकॉपी स्नान'. जो लोग खुद प्रयागराज नहीं आ सकते, उनके लिए यह सेवा शुरू की गई है. सिर्फ 500 रुपये में, यह कंपनी दावा करती है कि दूर बैठे श्रद्धालुओं की तस्वीर की फोटोकॉपी को पवित्र जल में डुबाकर उनके पाप धोए जा सकते हैं.
सोशल मीडिया पर विज्ञापन
एक्स (पहले ट्विटर) पर एक विज्ञापन में इस सेवा का प्रचार किया जा रहा है. विज्ञापन में लिखा, "महाकुंभ 2025: 144 साल में एक बार मिलने वाला मौका." इसमें लोगों से कहा गया है कि वे इस दिव्य महाकुंभ स्नान का आखिरी मौका न छोड़ें. विज्ञापन में कहा गया है कि अपनी फोटो व्हाट्सएप के माध्यम से भेजें और उनकी फोटोकॉपी पवित्र जल में डुबोई जाएगी.
'दिव्य आशीर्वाद' का दावा
कंपनी का दावा है कि इस रस्म से दिव्य आशीर्वाद मिलता है और पितृ भी इस पवित्र स्नान को देखते हैं. विज्ञापन में इसे एक दुर्लभ, जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर बताया गया है, जबकि महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा. 12 फरवरी को शेयर किए गए इस पोस्ट को 16,000 से ज्यादा बार देखा गया. 'फोटोकॉपी स्नान' सर्विस सोशल मीडिया यूजर्स के बीच तेजी से पॉपुलर हो रही है. लेकिन, कई लोग इस कंपनी की आलोचना कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह लोगों की मासूमियत और मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं.
India is not for Beginners pic.twitter.com/JY8iDn315A
— Professor (@Masterji_UPWale) February 12, 2025
लोगों ने उठाए सवाल
एक यूजर ने कहा, "कहां लिखा है कि ऐसे पाप धोए जा सकते हैं? यह सिर्फ बिजनेस है. लोगों की मूर्खता से पैसा कमाना." एक अन्य यूजर ने कमेंट किया, "जब सरकार महाकुंभ से राजस्व देख रही है, तो आम लोग भगवान के नाम पर कुछ भी करेंगे. भारत में सबसे आम चीज हिंदू भगवान हैं. पैसा कमाने के लिए बिजनेस करो. टीटीडी भी ऐसा ही है." एक यूजर ने एक्स पर पोस्ट किया, "आजकल असली कॉस्मिक कनेक्शन (एसएम, ईमेल और फोटोकॉपी/स्कैन द्वारा) होता है." एक अन्य यूजर ने लिखा, "फोटो के कारण आशीर्वाद भी 2D में होगा."
कई लोगों ने इस सेवा को धोखा और पाखंड बताया है. उनका कहना है कि धर्म के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है. हालांकि, कुछ लोग इस सेवा को श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक मान रहे हैं. लेकिन, ज्यादातर लोग इसे पैसा कमाने का तरीका मान रहे हैं.