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Greece Love Story: साल 2025 के रिपब्लिक डे पर एक भारतीय युवक सिद्धार्थ ने अपनी ग्रीक प्रेमिका पेनेलोपे से महाकुंभ मेला में पारंपरिक वेदिक विधि से शादी की. यह शादी एक अद्वितीय और धार्मिक अनुभव बन गई, जो दोनों के लिए जीवनभर की यादगार बन गई. सिद्धार्थ और पेनेलोपे की शादी का समारोह महा कुंभमेला में हुआ, जो कि भारत के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है. शादी की विधि को पूर्ण रूप से पारंपरिक वेदिक रीति से संपन्न किया गया. कन्यादान का कार्य स्वामी यतिंद्रानंद गिरी, जो कि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं, उन्होंने किया. इस अवसर पर दुल्हन के परिवार और रिश्तेदार भी मौजूद थे.
शादी का खास अनुभव
सिद्धार्थ ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “हम दोनों एक-दूसरे से शादी करके बहुत आभारी हैं. वह मेरे लिए बहुत खास हैं. जब हम दोनों ने शादी का निर्णय लिया, तो हम चाहते थे कि यह शादी सरल और दिव्य तरीके से हो और इसके लिए हमने प्रयागराज और महा कुंभ को चुना.” उन्होंने यह भी कहा, “यह जगह न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सबसे अच्छी जगह है, जहां सभी प्रकार की दिव्यता और तीर्थ स्थल हैं. यहां हम महान आत्माओं से मिलते हैं, और स्वामी जी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो हमारे दिल और आत्मा को शांति देता है.”
विवाह की धार्मिक महत्ता
सिद्धार्थ ने विवाह के महत्व पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “विवाह एक पवित्र संस्था है, जो हमें यह समझाने में मदद करता है कि पुरुष और महिला एक-दूसरे के पूरक होते हैं.दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे होते हैं. प्राचीन परंपराओं का पालन करना कोई बुरी बात नहीं है, और इसलिए हमने आज इस वेदिक तरीके से शादी करने का निर्णय लिया.”
पेनेलोपे, जिन्होंने बौद्ध धर्म से हिंदू धर्म में परिवर्तन किया, इस शादी को जादुई और अवर्णनीय बताया. उन्होंने कहा, “जो कुछ भी आज हुआ, वह शब्दों से परे था. जब मैं कुछ तस्वीरें देखती हूं, तो मुझे महसूस होता है कि हम दिव्य ऊर्जा का अनुभव कर रहे थे. यह एक आध्यात्मिक तरीके से किया गया विवाह था, और यह अद्भुत था." पेनेलोपे ने यह भी बताया कि वह अपने जीवन में शांति और उद्देश्य की तलाश में थीं, और अंततः उन्होंने सनातन धर्म को अपनाया. उन्होंने कहा, “हर चीज सनातन धर्म से आती है, और यही वह रास्ता है जो मुझे सही दिशा में ले जाता है."
पेनेलोपे ने यह भी शेयर किया कि वह 29 जनवरी को प्रयागराज में पवित्र स्नान करने की योजना बना रही हैं. उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए एक अर्थपूर्ण और सुखमय जीवन जीने का तरीका है, जो जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकलने में मदद करेगा." इस प्रकार, सिद्धार्थ और पेनेलोपे की शादी न केवल एक सुंदर मिलन थी, बल्कि यह धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा का भी प्रतीक बन गई.