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Shocking News: चीन के शंघाई में एक किशोरी ने एक अजीब घटना को अंजाम दिया, जिससे सोशल मीडिया पर हलचल मच गई है. एक दिन एक महिला वांग ने पाया कि उसकी कीमती ज्वेलरी कलेक्शन जिसमें जेड की चूड़ियां, हार और अन्य कीमती पत्थर शामिल थे, गायब हो गए थे. जब उसने खोजबीन की तो पता चला कि उसकी बेटी ली ने ये सब गहने एक स्थानीय बाजार के जेड रीसायकलिंग शॉप में केवल 60 युआन (लगभग 680 रुपये) में बेच दिए थे. इन गहनों की असल कीमत करीब 1 मिलियन युआन (लगभग 1.16 करोड़ रुपये) थी.
पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, यह देखकर वांग घबराई और मामले को तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट किया. जांच शुरू की गई और जल्द ही पता चला कि ली ने यह कदम किशोरावस्था में विद्रोह की एक अवस्था में उठाया था. उसने इन गहनों को एक छोटे से व्यक्तिगत खर्च के लिए बेचा, जिसे वह खुद के लिए महत्वपूर्ण मानती थी.
सिर्फ लिप स्टड्स और झुमके के लिए गहने बेचे
ली का कहना था कि उसे यह नहीं पता था कि गहने असली थे. उसने पुलिस को बताया, "मैंने किसी को लिप स्टड्स पहने देखा था और मुझे वह बहुत अच्छे लगे. मैंने सोचा, मुझे भी एक चाहिए." ली ने बताया कि लिप स्टड्स की कीमत 30 युआन (लगभग 340 रुपये) थी और दुकान पर झुमके भी उसी कीमत में मिल रहे थे, जिसके बाद उसने कुल 60 युआन में दोनों खरीद लिए.
सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी घटना
यह वीडियो चीनी सोशल मीडिया ऐप्स पर वायरल हो गया, जिससे लोगों को यह यकीन करना मुश्किल हुआ कि कोई इतना कीमती सामान इतनी कम कीमत में बेच सकता है. मामले ने सोशल मीडिया पर जमकर बहस छेड़ दी है. कुछ यूजर्स ने इस घटना को देखकर माता-पिता की भूमिका पर सवाल उठाए, जबकि अन्य ने लड़की के कामों को गहरे मुद्दों का संकेत माना. एक यूजर ने कहा, "अगर परिवार के पास एक करोड़ रुपये का गहना है, तो क्यों न बेटी को कुछ जेब खर्च दिया जाए?"
कई विचार और प्रतिक्रियाएं
कुछ लोगों ने कहा कि किशोरी का गहने बेचकर लिप स्टड्स खरीदने की घटना पर माता-पिता को आत्मचिंतन करना चाहिए. वहीं, कुछ ने कहा कि ऐसे समय में बच्चों को पॉकेट मनी देना जरूरी है. दूसरी तरफ, कुछ ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि क्या किशोरों को लिप स्टड्स के लिए इतने पैसे दिए जाने चाहिए. हालांकि, पुलिस ने जांच करते हुए गहनों को बरामद कर लिया और वांग को वापस लौटा दिया. इस घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या माता-पिता को बच्चों की जरूरतों को समझने और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देने की ज्यादा जिम्मेदारी नहीं बनती.