Dogs Graveyard: भारत में एक ऐसी जगह है जहां कुत्तों का अलग अपना क्रब्रिस्तान है. वहां मौत के बाद उन्हें सम्मान के साथ दफन किया जाता है. इसके अलावा वहां स्मारक भी बनाया जाता है.
Trending Photos
Jamshedpur Dogs Graveyard Facts: कुत्तों की बहादुरी और वफादारी की दास्तान तो आपने बहुत सुनी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुत्तों की यादों को सहेजने का एक स्मारक (Dogs Monument) भी है? हां ऐसा सच में है. झारखंड के जमशेदपुर में एक स्मारक (Jamshedpur Dogs Graveyard) है, जो कुत्तों और उनकी वफादारी को समर्पित है. यहां बहादुर-वफादार कुत्तों को मौत के बाद सम्मान के साथ दफन किया जाता है. इतना ही नहीं साथ में उनकी कब्रों पर उनकी बहादुरी और वफादारी की कहानी भी लिखी जाती है. जिससे उन्हें मौत के बाद भी याद किया जाता रहे.
किसने बनाया कुत्तों का स्मारक?
बता दें कि पूरे देश में यह अपनी तरह का पहला स्मारक है. जमशेदपुर के टेल्को इलाके में टाटा मोटर्स कंपनी ने सन् 1964 में डॉग कैनाल बनाया था. यहां पर कंपनी की सुरक्षा में तैनात राणा वॉन एक्रुअल कुत्ते को दफनाया गया था. यह कुत्ता अल्सेशियन नस्ल का था. कंपनी पिछले करीब 60 साल से इस कैनाल की देखरेख कर रही है.
कुत्तों के स्मारक पर क्या-क्या लिखते हैं?
जान लें कि कुत्तों का यह कब्रिस्तान लगभग पांच एकड़ में बना हुआ है. यहां अब तक 41 कुत्तों को दफनाया जा चुका है. कुत्तों को दफनाने के बाद उसका स्मारक भी बनाया गया है. हर स्मारक पर कुत्ते का नाम, उसकी नस्ल, उसके जन्म-मृत्यु की तारीख लिखी जाती है. इसके साथ ही उसकी वफादारी और बहादुरी की कहानी भी दर्ज कराई जाती है.
कुत्तों से कैसे हो गया इतना ज्यादा प्रेम?
गौरतलब है कि सन् 1963 में पहली बार कंपनी ने अपनी प्रॉपर्टी की सुरक्षा के लिए चार ट्रेन्ड कुत्तों को तैनात किया था. इनमें 2 अल्सेशियन और 2 डाबरमैन नस्ल के कुत्ते थे. इनके साथ चार डॉग हैंडलर भी रखे गए थे. इनकी ट्रेनिंग मुंबई पुलिस ने की थी. तब से लेकर आज तक कंपनी ने सुरक्षा के लिए कुत्तों को तैनात कर रखा है.
कुत्तों को दी जाती हैं इतनी सारी सुविधाएं
बता दें कि यहां कुत्तों के लिए अलग रूम, ट्रेनिंग ग्राउंड, ग्रूमिंग शेड, किचन और ऑपरेशन थिएटर है. इन कुत्तों ने देश के अलग-अलग शहरों में डॉग शो में कई खिताब जीते हैं. कई बार तो पुलिस भी इन कुत्तों की मदद लेती है.
(इनपुट- आईएएनएस)