जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद मोदी सरकार ने पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को रिहा किया है.अब तक उन्हें जन सुरक्षा कानून के तहत नजरबंद रखा गया था.
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को रिहा किया जा रहा है. उन पर लगाया गया पब्लिक सेफ्टी एक्ट भी हटा दिया गया है. वह करीब छह महीने से हिरासत में थे. बाहर निकलने के बाद उन्होंने बड़ा बयान दिया है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मेरी आजादी तब तक अधूरी है, जब तक उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती व अन्य नेताओं की रिहाई नहीं हो जाती.
5 अगस्त से थे नजरबंद
फारूक को 4 अगस्त 2019 की रात को नजरबंद किया गया था. अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा लिया गया था. 15 सितंबर से उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा गया था. उनकी हिरासत अवधि तीन-तीन महीने बढ़ाने के आदेश तीन बार जारी हुए. पिछला आदेश 11 मार्च को ही जारी हुआ था। इसे सरकार ने वापस ले लिया है.
PSA के तहत 396 लोगों पर कार्रवाई
उल्लेखनीय है कि गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया था जम्मू-कश्मीर में 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा था कि हिरासत में लिए गए कुल 451 में से 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है. जिन लोगों को पीएसए के तहत हिरासत या नजरबंद रखा गया है, उनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हैं. इसमें से फारूक को आज रिहा कर दिया गया.
जम्मू कश्मीर से हट चुकी है 370
आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने गृहमंत्री अमित शाह के कुशल संचालन में जम्मू कश्मीर को 370 की बेड़ियों से आजाद कर दिया है. जम्मू कश्मीर अब अखंड भारत का अखंड हिस्सा है. जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग केंद्रशासित प्रदेश हैं जिनमें से जम्मू कश्मीर में विधानसभा भी होगी और लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. कानून व्यवस्था को देखते हुए उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को फिलहाल रिह नहीं किया जा रहा है.
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