क्या आप जानते हैं छींक आने पर उसे रोकना सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. छींक रोकने की वजह से सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं क्या छींक रोकने से फट सकती है सांस की नली?
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छींकना एक आम बात है. जुकाम और सर्दी की वजह से अक्सर लोगों को छींक आती है. कई बार आम दिनों में बी छींक आ जाती है. कुछ लोग बार-बार छींकने से परेशान हो जाते हैं उन्होंने छींकने से इरिटेशन होने लगती है. ऐसे में कई बार रोक छींक को रोक लेते हैं. क्या छींक रोकना सही है? आइए जानते हैं छीक रोकने से क्या-क्या समस्या हो सकती है.
छींक आना सेहत के लिए है बेहतर
छींक आना सेहत के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि छींक आना एक साइकोलॉजिकल रिस्पांस है, जो कि श्वसन प्रणाली को धूल, पॉलेन और रोगजनकों से बचाने का काम करता है.
श्वास नली फट सकती है
छींक रोकने से श्वास यानी सांस नली फट सकती है. मेडिकल टर्म में इसे स्पॉन्टेनियस ट्रेकियल परफोरेशन कहते हैं. सांस की नली के अलावा कान का पर्दा भी फट सकता है. छींक रोकने से गर्द और सिर की ब्लड वेसल्स भी फट सकती है. इतना ही छींक रोकने से फेफड़े या गले में गहरे घाव हो सकते हैं.
क्यों फट सकती है सांस नली?
जब कोई भी इंसान छींक को रोकता है तो नांक और मुंह से बाहर आने वाला दबाब श्वसन तंत्र में फंस जाता है. कई बार यह दवाब फेफड़ों में भी फंस जाता है. छींक रोकने से श्वासनली यानी सांस नली में गंभीर चोट सकती है.
फट सकता है कान का पर्दा
छींक रोकने से कान का पर्दा भी फट सकता है. दरअसल छींक रोकने की वजह से फेफड़े से आने वाली हवा का प्रेशर कान की तरफ मूड़ सकता है, जिस वजह से कान का पर्दा फट सकता है. कभी भी छींक को रोकना नहीं चाहिए.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.