CM Yogi: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कैबिनेट का विस्तार हुआ. है. लेकिन इसको ऐसे समझिए कि चुनावों में इसके जरिए क्या संदेश देने की कोशिश की गई है, इसके पीछे का जाते समीकरण क्या है.
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Yogi Adityanath Cabinet Expansion: मंगलवार को उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट का विस्तार हो गया है. यह विस्तार लोकसभा चुनावों से ऐन पहले हुआ है. शाम पांच बजे इन चार मंत्रियों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. 4 नए मंत्रियों ने शपथ ली है..शपथ लेने वालों में बीजेपी से दो मंत्री हैं. एक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से हैं और एक मंत्री आरएलडी के कोटे से बनाया गया है. बीजेपी से दारा सिंह चौहान और साहिबाबाद से विधायक सुनील शर्मा ने मंत्री पद की शपथ ली.
वहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मंत्री पद की शपथ ली और आरएलडी से मुजफ्फरनगर के पुरकाजी से विधायक अनिल कुमार को मंत्री बनाया गया है. इन चारों मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल करने के पीछे का जातीय समीकरण समझना जरूरी है.
लोकसभा चुनाव की रणनीति..
असल में योगी कैबिनेट के विस्तार में लोकसभा चुनाव की रणनीति झलकती है..इसमें ओबीसी और दूसरी जातियों का ख्याल रखा गया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ओबीसी समुदाय से आते हैं..पूर्वांचल में इनका खासा असर है..इनके मंत्री बनने से पूर्वी यूपी की 7 से 8 लोकसभा सीटों पर असर पड़ेगा
अनिल कुमार दलित जाटव जाति के..
वहीं समाजवादी पार्टी से आए दारा सिंह चौहान भी OBC की नोनिया जाति से हैं..ये भी पूर्वांचल के कद्दावर नेता हैं. RLD के अनिल कुमार को मंत्री बनकर बीजेपी ने पश्चिमी यूपी को साधने की कोशिश की है..अनिल कुमार दलित जाटव जाति के हैं..इनको मंत्री बनाने का मकसद चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण के वोट बैंक को काटना भी है..साथ ही पश्चिमी यूपी के जाट वोट बैंक को पाले में लाना भी है.
ब्राह्मणों को संतुष्ट करने की कोशिश..
सुनील शर्मा को मंत्री बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मणों को संतुष्ट करने की कोशिश है..सुनील शर्मा का भी पश्चिमी यूपी में असर है..और ये लंबे वक्त से RSS से जुड़े रहे हैं. इस विस्तार के माध्यम से बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में जातिगत समीकरण बिठाने की कोशिश की है.