UP BJP Performance: उत्तर प्रदेश के जौनपुर की बदलापुर विधानसभा सीट से विधायक रमेश चंद्र मिश्रा और सूबे के पूर्व मंत्री मोती सिंह के वायरल बयानों से भाजपा आलाकमान नाराज बताया जा रहा है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के सार्वजनिक बयानों को लेकर जवाब माना जा सकता है.
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UP BJP Pradesh Karya Samiti Baithak: उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की रविवार को अहम बैठक के बावजूद दो नेताओं के सार्वजनिक बयानों को लेकर प्रदेश की सियासत में उबाल है. जौनपुर की बदलापुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रमेश चंद्र मिश्रा और पूर्व कैबिनेट राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मंत्री मोती सिंह के अपनी ही पार्टी और सरकार को घेरने वाले बयानों से आलाकमान नाराज बताया जा रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में बैठक के बाद जल्द ही दोनों नेताओं से जवाब मांगा जा सकता है.
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से पहले दोनों नेताओं का यू-टर्न
बयानबाजी के तूल पकड़ने के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया और विपक्षी पार्टियों पर अपने बयान को तोड़ मरोड़कर पेश करने का ठीकरा फोड़ा है. विधायक रमेश मिश्रा ने अपने वीडियो में दावा किया है कि आज यूपी में जो स्थिति है, उस हिसाब से 2027 में भाजपा की सरकार नहीं बनेगी. स्थिति में सुधार के लिए केंद्रीय नेतृत्व को यूपी में बड़ा फैसला लेना होगा. उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पिछले कई हफ्तों से कैबिनेट मीटिंग में नहीं आने की चर्चा भी तेज हो रही है.
पूर्व कैबिनेट मंत्री का थाने और तहसील में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल
दूसरी ओर, प्रतापगढ़ की पट्टी सीट से 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए भाजपा नेता मोती सिंह ने अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि आज यूपी में थाने और तहसील में जो भ्रष्टाचार है वो अकल्पनीय है. अफसरों को किसी का डर नहीं है. मेरे 42 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने ऐसा भ्रष्टाचार कभी नहीं देखा ना सुना जैसा अब है. यूपी में पुलिस आज लुटेरे की तरह हमें लूट रही है. बिना अपराध के अपराधी बनाया जा रहा है. धमकी देकर घूस ली जा रही है.
लोकसभा चुनाव 2024 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बूस्टर डोज
लोकसभा चुनाव 2024 में सियासी बूस्टर डोज पा चुके समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चुटकी ली. उन्होंने पोस्ट किया कि अब तो खुद भाजपा के ही लोग सरकार के काम और भ्रष्टाचार पर सवाल करने लगे हैं. अखिलेश कहते हैं कि पीडीए के कारण भाजपा सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजे से उबरने और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है, लेकिन सामने कई बड़े सवाल भी हैं. आइए, जानते हैं कि यूपी में लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडी गठबंधन का प्रदर्शन कैसा रहा, वोट परसेंटेंज क्या था और सपा ने अपना सियासी कद कितना बढ़ा लिया.
2024 में दूसरे नंबर पर रही भाजपा, सीटें और वोट शेयर में भारी गिरावट
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के मुताबिक, यूपी में सीटों के लिहाज से समाजवादी पार्टी 37 सीटों के साथ अव्वल रही. दूसरे नंबर पर रही भारतीय जनता पार्टी ने 33 सीटों पर कब्जा जमाया. कुल 80 सीटों में से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 36 और इंडी गठबंधन को 43 सीटें हासिल हुई हैं. एक सीट नगीना भीम आर्मी के खाते में गई है. एनडीए केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन यूपी में न केवल उसकी सीटें 64 से घटकर 36 रह गईं, बल्कि भाजपा का वोट शेयर भी 2019 में 49.98 फीसदी के मुकाबले घटकर केवल 41.37 फीसदी रह गई.
सपा की सीटें और वोट शेयर में उछाल, बसपा का जनाधार बिखरा
वहीं, सपा की सीटें 5 से बढ़कर 37 और वोट की हिस्सेदारी 18.11 प्रतिशत से बढ़कर करीब 40 प्रतिशत हो गई. दूसरी ओर, यूपी में 20 फीसदी दलित वोट बैंक पर दावा करने वाली और करीब 19 फीसदी वोट शेयर करने वाली मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तस्वीर भी बदली. लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर 19 फीसदी से गिरकर 10 फीसदी से भी नीचे चला गया. बसपा को महज नौ फीसदी वोट मिले थे और खाता भी नहीं खुला. बसपा इस लिहाज से कांग्रेस के भी पीछे रही. कांग्रेस और रालोद भी फायदे में रहे.
उत्तर प्रदेश में 2027 से पहले 10 सीटों पर उपचुनाव की अग्निपरीक्षा
लोकसभा चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश की पहली बार इतनी ज्यादा 10 विधानसभा सीटों के होने वाले उपचुनाव में सभी राजनीतिक दलों की बड़ी परीक्षा होगी. इन 10 सीटों में तीन सीटों से भाजपा के विधायक थे. एक-एक सीट निषाद पार्टी और रालोद के कब्जे में थी. वहीं, पांच सीटों से सपा के विधायक थे. हालांकि, उपचुनाव को लेकर पहली बार बहुत ज्यादा तैयारी करती दिख रही यूपी भाजपा की निगाह विधानसभा चुनाव 2027 पर ही है. चुनाव से ढाई साल पहले ही प्रदेश कार्यसमिति के बैठक में रणनीति बनाने की चर्चा हो रही है.
2022 और 2024 के बीच बदले कई सियासी और जातीय समीकरण
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में नए राजनीतिक गठबंधन और जातीय समीकरण भी बने हैं. इसके बावजूद भाजपा की सीटें कम होने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर भी उंगलियां उठीं. योगी सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठे. ब्रांड योगी की वैल्यू कम होने को लेकर भी सियासी चर्चा भी की जाने लगी. हालांकि, लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन में उनकी सीधी भूमिका नहीं थी. फिर भी उनके सामने बढ़ती बयानबाजियों पर लगाम के लिए 10 सीटों पर उपचुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में उनके सामने ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती है.
यूपी में विपक्ष के पीडीए की काट के लिए भाजपा का कोर्स करेक्शन
भाजपा कोर्स करेक्शन की दिशा में पीडीए की काट के लिए फिर से दलित वोटों को आकर्षित करने, छिटके ओबीसी वोट को वापस जुटाने, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कोर वोट बैंक को रोके रखने के साथ जातियों के बीच मतों के ध्रुवीकरण को करने की रणनीति पर आगे बढ़ सकती है. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के एजेंडे में इन बिंदुओं के होने की बात कही जा रही है. जानकारों के मुताबिक, भाजपा का जोर संविधान और आरक्षण को लेकर विपक्ष के नैरेटिव की काट करने पर अधिक होगा.
यूपी भाजपा के अंदरखाने की राजनीति की ओर भी इशारा
हाल ही में उत्तर प्रदेश में यूपी के कई जिलों में आभार और अभिनंदन समारोहों में भाजपा के कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए. भाजपा के अंदर नेताओं के बीच बिना नाम लिए एक दूसरे पर लोकसभा चुनाव के बुरे नतीजे के बारे में ठीकरा फोड़ने की खबर भी सामने आ रही है. रणनितियों को बनाने की बात के लिए विधायक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं. खुले मंच से अपनी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं तो यह अंदरखाने की राजनीति की ओर भी इशारा करता है.
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यूपी में भाजपा के बिगड़े चुनावी प्रदर्शन पर कई स्तर पर सर्व और रिपोर्ट
प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से पहले तीन दिन तक लखनऊ में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष हार के कारण पर विचार मंथन कर चुके हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ भी विधानसभा स्तर पर जनप्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रिपोर्ट ले चुके हैं. भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े दूसरे संगठनों ने भी अपने विचार रखे हैं. दूसरे तमाम दूसरी एजेंसियों के सर्वे और उसकी स्टडी भी एक-एक कर सामने आ रही है. इन सबमें भाजपा के लिए 2027 से पहले सुधार की अपेक्षा की गई है.
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