DNA Analysis: संभलकर रहिए! जब चाहे आपकी जमीन छीन सकता है वक्फ बोर्ड, खुद सरकार ने यह कानून बनाकर दे रखी है ताकत
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DNA Analysis: संभलकर रहिए! जब चाहे आपकी जमीन छीन सकता है वक्फ बोर्ड, खुद सरकार ने यह कानून बनाकर दे रखी है ताकत

Power of Waqf Board: अगर आपकी देशभर में कहीं भी संपत्ति है तो संभलकर रहिए. मुस्लिम वक्फ बोर्ड जब चाहे बिना मुआवजा दिए आपकी जमीन छीन सकता है. उसे यह अधिकार खुद केंद्र सरकार ने एक कानून बनाकर दे रखा है. 

DNA Analysis: संभलकर रहिए! जब चाहे आपकी जमीन छीन सकता है वक्फ बोर्ड, खुद सरकार ने यह कानून बनाकर दे रखी है ताकत

Legal Powers of Waqf Boards: DNA में हमने वक्फ बोर्ड की भूमाफिया नीति के खिलाफ मुहिम शुरू की है. जिसमें हम आपको तमिलनाडु के उस हिंदू बहुल गांव में लेकर गए थे, जिसे तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था. तमिलनाडु का गांव और गांव में बना प्राचीन मंदिर, वक्फ बोर्ड की कब्जाधारी नीति का इकलौता शिकार नहीं है. हम इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए वक्फ बोर्ड की जमीनी हकीकत का खुलासा करने वाले हैं. जिसके तहत हम देश की राजधानी दिल्ली में वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) के अवैध कब्जे वाली संपत्तियों की जो सर्वे रिपोर्ट आपको दिखाने वाले हैं, उससे ये पता चल चलता है कि सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीनें वक्फ बोर्ड्स के पास कैसे हैं?

वक्फ बोर्ड ने दिल्ली में मंदिरों को बताया अपनी संपत्ति

ये एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट है, जिसका शीर्षक है- The legal Status Of Religious Spaces in and Around West Delhi. इस शीर्षक को पढ़कर आपको लग रहा होगा कि इसमें दिल्ली के सभी धार्मिक स्थलों के कानूनी स्टेटस की जानकारी दी गई होगी. लेकिन ऐसा नहीं है. ये रिपोर्ट जुलाई 2019 में प्रकाशित हुई थी जिसको तैयार किया था दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाले दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन ने. इसमें सिर्फ उन हिंदू धर्मस्थलों का ब्यौरा है, जिनपर वक्फ बोर्ड अपना दावा जताता है.

ये रिपोर्ट बीजेपी नेताओं के उस आरोप के बाद तैयार की गई थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि दिल्ली में वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) अवैध तरीके से कब्जे करके मस्जिद और कब्रिस्तान का निर्माण करवा रहा है लेकिन रिपोर्ट में इन आरोपों को खारिज कर दिया गया था. उलटा दिल्ली में कई मंदिरों को अवैध घोषित करते हुए उन्हें वक्फ बोर्ड की जमीन पर बना हुआ बता दिया गया और 173 पन्नों की रिपोर्ट में दिल्ली की सभी मस्जिदों को क्लीन चिट दे दी गई. जबकि कई हिंदू मंदिरों को Illegal Construction की श्रेणी में डाल दिया गया.

श्मसान घाट, बस टर्मिनल पर भी जता दिया दावा

इस रिपोर्ट के पेज नंबर 34 पर दिल्ली के मंगलापुरी में एक मस्जिद के सामने बने मंदिर को भी अवैध घोषित कर दिया गया और मंदिर की जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा बता दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मंदिर को कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा करके बनाया गया है और इस कब्जे में डीडीए, ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, नगर निगम और स्थानीय लोगों का हाथ है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वक्फ की जमीन पर अवैध कब्जा करके वहां दफ्तर, कॉलोनी, मंदिर, रोड, बस टर्मिनल और कूडेदान वगैरह बना दिए गए हैं.

सैकड़ों साल मंदिरों पर वक्फ के दावे से लोग हैरान

इसी तरह का दावा दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बने कई और मंदिरों को लेकर भी किया गया है. इस रिपोर्ट में ऐसे कई हिंदू मंदिरों का ज़िक्र है. इतना ही नहीं, जिस अल्पसंख्यक आयोग पर मस्जिद, मदरसों और कब्रिस्तान का सर्वे करने का जिम्मा था. उसका फोकस मंदिरों और हिंदू धर्मस्थलों पर ज्यादा था. जिसका सबूत ये रिपोर्ट है. हैरानी की बात ये है कि इस सरकारी रिपोर्ट में जिन-जिन मंदिरों की जमीन पर वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) ने दावा किया है, उन सभी को रिपोर्ट में अवैध मंदिर लिखा गया है. जबकि कई मंदिरों के आगे प्राचीन लिखा हुआ है. अब सवाल ये है कि जो वक्फ बोर्ड कानून पहली बार 1955 में बना, वो कानून, वक्फ बोर्ड को किसी प्राचीन मंदिर पर दावा करने का अधिकार कैसे दे सकता है?

दिल्ली वक्फ बोर्ड ने साल 2016 में दावा किया था कि उसकी 30 प्रतिशत सम्पत्तियों पर DDA और अन्य लोगों का कब्ज़ा है. साल 2018 में भारत सरकार ने बताया था कि दिल्ली में वक्फ बोर्ड की 373 सम्पत्तियों पर कब्ज़ा हुआ है. इसलिए ज़ी न्यूज़ ने इन दावों की जमीनी हकीकत जानने की ठानी और वर्ष वर्ष 2019 में जारी हुई दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की इस रिपोर्ट में दर्ज उन मंदिरों का रियलिटी चेक किया जिसे वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति या जमीन बताया जा रहा है. 

दिल्ली वक्फ बोर्ड ने आखिर कैसे कर लिए ये कब्जे

वक्फ बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली मे कई मंदिर, श्मशान घाट, धर्मशाला और बस स्टैंड तक उसकी जमीन को हड़पकर बनाए गए हैं. यह सब दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में साफ-साफ दर्ज है. लेकिन ऐसे-कैसे ?

ज़ी न्यूज की टीम सबसे पहले मंगलापुरी स्थित एक श्मशान घाट पर पहुंची. जहां पर करीब 30 वर्षों से हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किये जा रहे हैं. श्मशान घाट के संचालक दिनेश शर्मा को जब बताया गया कि ये श्मशान घाट तो वक्फ बोर्ड की जमीन पर कब्जा करके बनाया गया है तो वे हैरान रह गए.

उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड का दावा बिल्कुल गलत और कागज़ी है. जिस जगह श्मशान बना हुआ है, वहां कभी खेत हुआ करते थे और मुस्लिम आबादी तो आज से 30 साल पहले ना के बराबर थी. तब गांव वालों ने जमीन दान करके श्मशान घाट का निर्माण करवाया था. 

वक्फ बोर्ड की दबंगई से लोग हैरान

श्मशान घाट के संचालक दिनेश सिंह बाकायदा कागज दिखा रहे हैं कि 30 वर्षो से दिल्ली सरकार उनके नाम पर बिजली बिल भेज रही है. लेकिन ये वक्फ की जमीन पर कब्ज़ा करके बनाया गया, इसका कोई कागज नहीं दिखाया जा रहा. 

मंगलापुरी में ही बीच बाजार बने काली माता मंदिर को वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) अपनी जमीन पर बना हुआ बताता है. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की 2019 की रिपोर्ट में इसे भी वक्फ की जमीन पर कब्ज़ा कर बनाए जाने की बात पेज 36 पर लिखी है. बीस साल से इस मंदिर में सेवा कर रहे सेवक समझ ही नहीं पा रहे कि जहां दशकों से मंदिर बना है, वो संपत्ति वक्फ बोर्ड की कैसे हो गई. 

इसके बाद ज़ी न्यूज की टीम दिल्ली की बीके दत्त कॉलोनी में पहुंची. जहां श्री सनातन धर्म मंदिर की जमीन पर भी वक्फ बोर्ड अपना मालिकाना हक जताता है. 60 साल पुराने इस मंदिर के बारे में समिति का दावा है कि मंदिर भारत सरकार से खरीदी गई जमीन पर बना है. जिसके कागज उनके पास हैं तो जमीन वक्फ की कैसे हो गई?

खुद सरकार ने वक्फ बोर्डों को दी असीमित शक्ति

वक्फ बोर्ड का बस चले तो वो पूरी दिल्ली क्या पूरे देश की जमीन पर अपना दावा कर दे. उसने मंदिरों को भी नहीं छोड़ा और मंदिर छोड़िए, सड़कों पर बने बस टर्मिनलों की जमीन पर भी अपना दावा ठोंक दिया. मंगलापुरी का सरकारी बस टर्मिनल सार्वजनिक नहीं, वक्फ संपत्ति है. आप भले माने या ना मानें, लेकिन सरकार तो मान रही है.

जब देश का कानून ही वक्फ बोर्ड को ये शक्ति देता है कि वो जिस मर्जी जमीन पर हाथ रख दे, वो उसकी हो जाती है तो फिर वक्फ बोर्ड को डर काहे का. उसको ना तो कोई कागज दिखाना है और वो खुद को किसी सवाल का जवाब देने का पाबंद भी तो नहीं समझता. 

मंदिर से लेकर श्मशान और बस टर्मिनल तक के वक्फ की सम्पत्ति होने के दावों का आधार जानने के लिए हमारी टीम ने वक्फ बोर्ड के सदस्यों और CEO से लेकर 2019 में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के तत्कालीन प्रमुख ज़फ्फरुल इस्लाम से सम्पर्क किया लेकिन किसी ने भी इस पूरे मामले पर जवाब देने के लिए हामी नही भरी. 

रेलवे की जमीन पर ठोंक दिया था दावा

इस रिपोर्ट को देखकर आपको अंदाजा लग गया होगा कि तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने जो किया, वो तो एक छोटी सी घटना थी. वक्फ बोर्डों का वश चले तो वो पूरे देश की जमीन और संपत्तियों पर अपना मालिकाना हक जता दें. दिल्ली में साल 1970 में सरकार ने दो गजट नोटिफिकेशन जारी किए थे. दिल्ली में जिन मंदिरों और हिंदू धर्मस्थलों पर वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) ने अपना दावा किया है, उसका आधार यही गजट नोटिफिकेशन हैं. जिसको लेकर कई बार कोर्ट, शक जता चुका है. कोर्ट में कई बार वक्फ बोर्ड पर दिल्ली सरकार को गलत जानकारी देकर 1970 का गजट तैयार करने का आरोप लग चुका है.

ऐसे ही एक केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2010 को एक फैसला सुनाया था. ये केस भारत सरकार वर्सेज दिल्ली वक्फ बोर्ड था. इस केस में दिल्ली वक्फ बोर्ड ने नॉर्दर्न रेलवे की जमीन पर अपना मालिकाना हक जताया था. इस केस के फैसले में साफ तौर पर लिखा हुआ है कि दो गवाहों की मौखिक गवाही को आधार मानकर दिल्ली सरकार के गजट में वक्फ को नॉर्दर्न रेलवे की जमीन का मालिकाना हक दे दिया गया. कोर्ट ने फैसले में कहा कि ये संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं है.

खुद सरकार ने दी वक्फ बोर्डों को कानूनी ताकत

विडंबना देखिये कि वक्फ बोर्ड को ये असीमित ताकत खुद देश का कानून देता है जिसका नाम है वक्फ एक्ट (Waqf Act 1995). जिसमें ऐसे प्रावधान हैं जिनका इस्तेमाल करके वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को खुद की संपत्ति घोषित कर सकता है. वक्फ बोर्ड को मिली इस अनलिमिटेड पावर पर वक्फ बोर्ड ने चुप्पी साधी हुई है. 

वक्फ बोर्ड एक्ट इतना Limit Less है कि वक्फ का मन करे तो वो लालकिले को भी अपनी संपत्ति घोषित कर उसे हथिया सकता है. वक्फ बोर्ड चाहे तो दिल्ली में कर्तव्यपथ की जमीन को भी अपना बता सकता है. मजे की बात तो ये है कि जिस जमीन पर वक्फ अपना दावा जता देता है, उसे उस संपत्ति के मालिक को इसकी सूचना देना तक जरूरी नहीं होता. उस बेचारे को तो तब पता चलता है जब वो अपनी संपत्ति को बेचने निकलता है और फिर वो अपनी संपत्ति तभी बेच पाता है, जब वक्फ बोर्ड वाले उसे परमीशन दें. 

क्या वक्फ ऐक्ट को रद्द करने का समय आ गया

हद तो ये है कि वक्फ बोर्ड को अपने दावे को साबित करने के लिए कोई कागज भी नहीं दिखाना होता. इसलिए एक सवाल उठता है कि क्या ऐसे आधिकार किसी पंडित, मठाधीश या फिर किसी अन्य हिन्दू ट्रस्ट को दिए गए हैं? क्या कोई हिंदू बोर्ड ऐसे किसी भी जमीन पर अपना दावा कर सकता है? अगर नहीं कर सकता तो फिर वक्फ बोर्ड को ऐसे एकतरफा अधिकार क्यों दिए गए हैं? क्या ऐसे वक्फ बोर्ड एक्ट (Waqf Act 1995) को रद्द करने का सही टाइम आ चुका है? इसका जवाब दिल्ली हाईकोर्ट को देना है, जिसके पास वक्फ बोर्ड के खिलाफ याचिका दाखिल की जा चुकी है.  

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