जमीन में छोटा सा गड्ढा खोदने के बाद उसमें पानी डालकर महिलाओं ने उसे 'कोरोना माई' का नाम दे दिया. नौ लड्डु, नौ गुड़हल का फूल, नौ लौंग, अगरबत्तियां, कपूर और लोटे में जल लेकर महिलाओं ने 'कोरोना माई' की पूजा की.
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प्रदीप तिवारी/कुशीनगर: कोरोना संक्रमण पूरे विश्व के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. पूरा विश्व इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन बनाने में लगा है, जिससे इस बीमारी से लोगों को निजात दिलाया जा सके. वहीं, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर अंधविश्वास अपने चरम पर देखने को मिल रहा है.
कुशीनगर में कुछ महिलाओं ने वैश्विक महामारी कोरोना को देवी माँ का दर्जा दे दिया है. ये महिलाएं पूरे विधि विधान से कोरोना माई की पूजा कर रही हैं. इस वायरस को देवी का दर्जा देकर ये महिलाएं अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही हैं. ये महिलाएं बकायदा लड्डू , अगरबत्ती, कपूर, लौंग आदि से विधिवत पूजा अर्चना कर रही हैं.
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कुशीनगर जिला मुख्यालय से सटे पडरौना शहर में शुक्रवार/शनिवार की सुबह लगभग 4 बजे से ही महिलाएं खाली खेतों के साथ जूनियर हाईस्कूल और डिग्री कॉलेज के खेल मैदान में इकट्ठा होने लगीं. जमीन में छोटा सा गड्ढा खोदने के बाद उसमें पानी डालकर महिलाओं ने उसे 'कोरोना माई' का नाम दे दिया. नौ लड्डु, नौ गुड़हल का फूल, नौ लौंग, अगरबत्तियां, कपूर और लोटे में जल लेकर महिलाओं ने 'कोरोना माई' की पूजा की.
इन महिलाओं का मानना है कि अगर कोरोना माई की पूजा विधि विधान से होगी तो लोग ठीक होने शुरू हो जाएंगे और इस बीमारी से निजात मिलने लगेगा. पूजा करने पहुंची इन महिलाओं का मानना है कि कोरोना बीमारी नहीं देवी के क्रोध का कहर है और इस तरह से पूजा करने पर 'कोरोना माई' प्रसन्न होकर अपना क्रोध शांत कर लेंगी और यह महामारी खत्म हो जाएगी.
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