Uttarakhand Cooperative Department: मंत्री डॉ रावत ने कहा कि राज्य में 670 बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपैक्स) की दक्षता बढ़ाना, उनके संचालन में पारदर्शिता लाना और विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा प्रदान करना सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य है.
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रामअनुज/देहरादूनः मुख्यमंत्री धामी आज मुख्यमंत्री जनता दर्शन हॉल में सहकारिता विभाग की 108 एमपैक्स के कंप्यूटरीकरण ऑनलाइन कार्यक्रम और छरबा में टीएमआर प्लांट भवन के शिलान्यास के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में सहकारिता विभाग ने बहुत अच्छा काम किया है. अन्य प्रदेशों के लिए उत्तराखंड सहकारिता की योजनाएं प्रेरणा का काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश के हर विभाग की समीक्षा 3 महीने में करते हैं. सहकारिता का नंबर भी इस बार आ जाएगा.
उन्होंने सहकारिता विभाग के अफसरों से कहा कि वह 2025 का रोडमैप तैयार करें. आने वाले समय में सहकारिता क्रांतिकारी परिवर्तन करेगा. सीएम ने सहकारिता मंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने गांव और न्याय पंचायत स्तर पर सहकारी समितियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म मे लाया है. अब उत्तराखंड का सहकारिता मंत्रालय विकास की राह में छूटे लोगों को आगे बढ़ाने का काम करेगा. इसके लिए रोडमैप बनाया जा रहा है.
13 लाख सदस्यों का डाटा 2 साल में कलेक्ट करना बड़ी चुनौती थीः मंत्री डॉ धन सिंह रावत
सीएम धामी ने कहा कि स्वरोजगार ऋण देने में जो मानक अपनाए जा रहे हैं उन्हें और सरलीकरण किया जाए. अफसरों को दूरदराज से आए ग्रामीणों के काम करने की नियत से काम करना चाहिए. उत्तराखंड के सहकारिता विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा, "देश में सबसे पहले उत्तराखंड की जमीन पर गांव और न्याय पंचायत स्तर पर बहुद्देशीय सहकारी समितियों का डिजिटलीकरण का सपना देखा था, वह सपना आज पूरा हो रहा है. राज्य के 13 लाख सदस्यों का डाटा 2 साल में कलेक्ट करना बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य था, जिसे समय पर पूरा किया गया."
डॉ रावत ने बताया, "670 समितियों के कंप्यूटराइजेशन करने के लिए बीते 6 साल में 100 से अधिक समीक्षा बैठक ली गई और तमाम तकनीकी विशेषज्ञों से सार्थक बात की. इसमें नाबार्ड को शामिल किया गया. समय-समय पर एमपैक्स का भ्रमण , गांव स्तर पर डिजिटल प्लेटफॉर्म की समीक्षा, उनकी कड़ी मेहनत, लगन और लक्ष्य का ही नतीजा है कि देश में पहले राज्य उत्तराखंड में ग्रामीणों को कंप्यूटराइजेशन की सौगात मिलने जा रही है."
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राज्य के 5 लाख से ज्यादा ग्रामीणों को मिलेगा लाभ
उत्तराखंड राज्य के सहकारिता विभाग के एमपैक्स समिति सदस्यों की संख्या लगभग 13 लाख है. आज 108 एमपैक्स का कम्प्यूटरीकरण होने से करीब दो लाख से अधिक लोगों के खाते डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं. इसके फलस्वरूप राज्य के 5 लाख से अधिक ग्रामीण लाभान्वित हो सकेंगे. उत्तराखंड राज्य की 108 बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति (MPACS) एमपैक्स का आज रविवार को ऑनलाइन कम्प्यूटरीकरण किया गया है. शेष 562 एमपैक्स का कम्प्यूटरीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है, राज्य में कुल 670 एमपैक्स हैं.
108 एमपैक्स को कंप्यूटराइज्ड होने से किसानों को फायदा मिल रहा है. कंप्यूटराइज्ड होने के बाद पैक्स उर्वरक, बीज आदि जैसे कृषि इनपुट के प्रावधान के लिए सरकार की यह कोशिश बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग गतिविधियों के केन्द्र के रूप में एमपैक्स की पहुंच बेहतर हो गई है. उत्तराखंड राज्य में 108 समितियों को ऑनलाइन किया जा चुका है.
छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत करने के लिए बड़ी योजना
उत्तराखंड में कृषि सेक्टर में छोटे और सीमांत किसानों को मजबूत करने के लिए पैक्स एक बड़ी योजना है. पैक्स यानी "प्राथमिक कृषि समितियां" जो देशभर में किसानों को ऋण देने के लिए सबसे छोटी इकाई हैं और किसानों को इसके माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है. अगस्त 2020 से ही प्रदेश के सभी बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को कंप्यूटरीकृत करने पर काम चल रहा है.
सुगमतापूर्वक होगी समितियों के खाते ऑनलाइन करने की व्यवस्था
समितियों के खाते ऑनलाइन किए जाने की व्यवस्था सुगमतापूर्वक की जा सकेगी. एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों में जमा सदस्यों/ग्रामीणों की पूंजी सुरक्षित हो सकेगी. साथ ही जमा एवं निकासी आसान हो सकेगी. एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से गांव का किसान या खाताधारक अपनी जमा राशि को कहीं भी आसानी देख सकता है और रुपये डेबिट कार्ड के माध्यम से सम्पूर्ण देश में कहीं से भी उपयोग में ला सकता है.
एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से समितियां जमा, विपणन, उपभोक्ता, संयुक्त सहकारी कृषि लेन देन, DBT आदि कार्य सुगमतापूर्वक कर सकेंगी. मंत्री डॉ रावत ने कहा कि राज्य में 670 बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपैक्स) की दक्षता बढ़ाना, उनके संचालन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही लाना, पैक्स को अपने व्यवसाय में विविधता लाना और विभिन्न गतिविधियां/सेवाएं शुरू करने की सुविधा प्रदान करना भी सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य है.
कम्प्यूटरीकरण का कार्य 60 से 90 फीसदी पूरा हुआ
सहकारिता के सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया, "प्रदेश की बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) को डिजिटल रूप से सशक्त करने हेतु एमपैक्सों को कम्प्यूटरीकृत किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य सरकार सहकारी बैंक एवं नाबार्ड के सहयोग रुपये 37.52 करोड़ की लागत से इन प्राथमिक सहकारी संस्थाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की संकल्पना की गई, जिससे कि भारत सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम "डिजिटल इंडिया" के क्रियान्वयन में भी भागीदारी सुनिश्चित हो सके. प्रदेश की 670 एमपैक्स के कम्प्यूटरीकरण का कार्य 2019 से आरम्भ किया गया. उत्तराखंड में 108 एम पैक्स का कंप्यूटरीकरण ऑनलाइन आज किया जा रहा है. शेष 562 बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों का कम्प्यूटरीकरण का कार्य 60 से 90 फीसदी पूरा हो गया है."
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कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने की
कार्यक्रम में विकास नगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने अध्यक्षता की. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि घस्यारी योजना का डिजाइन करने पर सहकारिता विभाग का बड़ा काम है और साधुवाद के पात्र हैं. उन्होंने कहा साइलेज महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है. किसान का समय जाया न हो इस पर काम किया गया है. मुन्ना सिंह ने कहा मक्का उत्पादक का समय से भुगतान हो यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है. 6 लाख से अधिक किसानों को जीरो फीसदी ब्याज पर ऋण देना बड़ा काम सीएम और मंत्री का धन्यवाद.
जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सकेगा
निबन्धक उत्तराखंड सहकारी समितियां आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि एमपैक्स में सदस्यों के आंकड़े उनसे सम्बन्धित लेखे आदि पारदर्शितापूर्वक संरक्षित किए जा सकेंगे. एमपैक्स कम्प्यूटरीकरण से 670 समितियों की न्यायपंचायत स्तरीय आधारभूत संरचना सुदृढ़ की जा सकेगी. साथ ही यथासमय आवश्यक सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकेगा. बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) का सम्पूर्ण डाटा राज्य स्तर पर सीबीएस सिस्टम पर व्यवस्थित किया जा सकेगा.
जानिए एमपैक्स के फायदे
1.एमपैक्स यानि बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां जिनके किसान सदस्य होते हैं.
2.सहकारिता में यह सबसे छोटी ऋण इकाई है, जो ग्राम स्तर पर होती है.
3.साहूकारों के चंगुल से किसानों को बचाए रखने के लिए गठित किये गए थे
4.एमपैक्स.समितियों के माध्यम से किसानों को सस्ता ब्याज मिलता है.
5.खाद, बीज और दवाइयों तक की समितियों के माध्यम से उपलब्धता होती है.
6.फसल लोन भी समितियों के माध्यम से मिलना आसान होता है.
7.समय से कर्ज चुकाने पर ब्याज में भी छूट मिलती है.
8.कृषि संयंत्र खरीदने के लिए भी 20 लाख तक राशि मिलती है.
ब्याज रहित लोन दिया गया
दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना जिसमें किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से योजना के अंतर्गत 6.41 लाख लाभार्थियों और 3837 स्वयं सहायता समूह को 3630 करोड़ का ब्याज रहित ऋण वितरण किया गया.कार्यक्रम में 5 महिला समूह को 5-5 लाख के 0% ब्याज दर पर ऋण वितरण किया गया. यह समूह अपनी आमदनी दोगुनी करेंगे. मुख्यमंत्री धामी और सहकारिता मंत्री डॉ रावत ने इन समूह की महिलाओं को चेक सौंपा इन स्वयं सहायता समूह के नाम शम्भू महिला समूह, हेमा महिला समूह, मां पार्वती महिला समूह, माहेश्वरी महिला समूह, राधे-श्याम महिला समूह हैं.
सीएम धामी ने लोगों से की यह अपील
सीएम ने रिमोट का बटन दबाकर उत्तराखंड की 108 एमपैक्स को लाइव किया. यह गांव और न्याय पंचायत स्तर पर यह समितियां अब बैंक जैसा कार्य कर सकेंगी. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम में कहा कि मोदी सरकार "आजादी के अमृत महोत्सव" कार्यक्रम के तहत 13 से 15 अगस्त तक "हर घर तिरंगा" अभियान चलाने जा रही है. इसके तहत इन तीन दिनों में घरों में तिरंगा फहराने की योजना है. मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में आए किसानों और सहकारिता से जुड़े हुए अधिकारियों से कहा कि वह अपने टि्वटर हैंडल , फेसबुक, व्हाट्सएप की डीपी में तिरंगा लगाएं.
कार्यक्रम में किसानों ने भी लिया हिस्सा
इस कार्यक्रम में मक्के का उत्पादन कर रहे करीब 300 किसानों ने भी हिस्सा लिया हैं. उन्होंने कार्यक्रम में संबोधित किया. अपने संबोधन में किसानों ने कहा कि सहकारिता विभाग की साइलेज योजना उनके लिए बहुत लाभकारी है
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