UP Politics : समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच गठबंधन टूटने की कगार पर है. सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच मतभेद गहरा गए हैं. लोकसभा चुनाव के पहले यूपी की सियासत में ये खबर बड़ा भूचाल ला सकती है.
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SP RLD alliance: सपा और आरएलडी का गठबंधन टूट सकता है. दोनों पार्टियों के बीच मतभेद बढ़े हैं. सूत्रों के हवाले से ये बड़ी खबर है. आरएलडी और सपा के बीच तनाव आने वाले लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है. अगर दोनों दलों की राहें अलग होती हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बड़ा फायदा मिल सकता है. दोनों पार्टियां अलग-अलग लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं.
हाल ही में नगर निकाय चुनाव के दौरान अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी और जयंत चौधरी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन में दरारें दिखी थीं. दोनों पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे. इसको लेकर दोनों दलों के प्रदेश स्तर के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी देखने को मिली थी, लेकिन अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के स्तर पर कोई बात नहीं हुई.
समाजवादी पार्टी और रालोद ने 2022 का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा था, लेकिन वो यूपी में की सत्ता में बीजेपी की दोबारा वापसी को रोक नहीं पाए. सपा और रालोद का गठबंधन सवा सौ से भी कम सीटों पर सिमट गया. बीजेपी ने 255 सीटें जीतकर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाई. सपा ने रालोद को 33 सीटें विधानसभा चुनाव में दी थीं, लेकिन उसमें वो 8 सीटें जीती थीं.
राष्ट्रीय लोकदल का वेस्ट यूपी में कैराना, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद के प्रत्याशी मदन भैया की जीत हुई थी, जबकि वो सीट बीजेपी विधायक विक्रम सैनी के अयोग्य घोषित होने के बाद खाली हुई थी.
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी इन दिनों समरसता अभियान के तहत वेस्ट यूपी के तमाम जिलों के साथ पूर्वांचल के जिलों का भी दौरा कर रहे हैं. पार्टी ने ये संकेत दिया है कि वो खुद को सिर्फ वेस्ट यूपी तक सीमित नहीं करना चाहती. जयंत चौधरी समरसता अभियान के तहत गांव-गांव जाकर नेताओं, खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों और सियासी प्रभाव रखने वाली बिरादरी के बीच मुलाकात कर रहे हैं.
आरएलडी प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि कांग्रेस के बिना यूपी में कोई गठबंधन संभव नहीं होगा. जबकि समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ अलायंस के पक्ष में नहीं है. रामाशीष राय ने कहा कि सभी को 23 जून तक इंतजार करना चाहिए. सपा प्रवक्ता कपीश श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी बातों पर कोई ध्यान नहीं देना चाहिए. किसी भी दल के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कुछ नहीं कहा गया है. ये देश को बचाने की लड़ाई है. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सपा का किसी से भी गठबंधन स्थायी नहीं रहता. सपा ने कांग्रेस से गठजोड़ किया और फिर बसपा के साथ औऱ उसके बाद रालोद से. लेकिन कोई भी गठबंधन ज्यादा दिन तक नहीं चला.
यूपी में सपा, रालोद और चंद्रशेखर की भीम आर्मी के बीच अभी तक गठबंधन की सुगबुगाहट देखी जा रही थी. लेकिन अगर आरएलडी अलग होती है तो सियासी समीकरण पलट जाएंगे. रालोद, कांग्रेस और बसपा के लिए भी गठबंधन के रास्ते खुल सकते हैं.
बीजेपी पहले ही अपने साथ पहले से मौजूद दलों अपना दल, निषाद पार्टी के साथ खड़ी है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर के साथ भी बीजेपी का दोबारा गठबंधन तय माना जा रहा है. पार्टी ने मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर महाजनसंपर्क अभियान भी शुरू किया है. इसी महीने अमित शाह और जेपी नड्डा की यूपी में रैलियां भी होनी हैं.
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