Kalyan singh Death Anniversary: कल्याण सिंह के सियासी-सामाजिक जीवन पर गौर करें तो उनसे जुड़े अनगिनत किस्से हैं लेकिन छात्रों को लेकर उनके एक फैसले की चर्चा आज भी होती है. जिसने उत्तर प्रदेश बोर्ड को पहचान दिलाई .
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Kalyan singh Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की आज तीसरी पुण्यतिथि है. हिंदू हृदय सम्राट..राम मंदिर आंदोलन के नायक जैसी उपाधियों से नवाजे गए स्व. कल्याण सिंह के सियासी-सामाजिक जीवन पर गौर करें तो उनसे जुड़े अनगिनत किस्से हैं लेकिन छात्रों को लेकर उनके एक फैसले की चर्चा आज भी होती है. जिसने उत्तर प्रदेश बोर्ड को पहचान दिलाई और नकल करने और कराने वालों को जेल में डालने का प्रावधान किया.
'नकल अध्यादेश'
कल्याण सिंह की सरकार में उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा में नकल करते पकड़े जाने वालों को जेल भेजने का कानून बनाया गया था. जिस वक्त यह अध्यादेश लाया गया था. उस समय सूबे के शिक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे. साल 1992 में कल्याण सिंह सरकार ने यूपी बोर्ड परीक्षा में कड़ी सख्ती की थी. उस समय नकल कराना और करना दोनों को अपराध घोषित किया गया. ये बात एग्जाम सेंटर के बोर्ड पर अनिवार्य तौर लिखी जाती थी.
10वी का रिजल्ट 14.70 प्रतिशत
अध्यादेश की सख्ती का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 1992 में 10वीं में महज 14.70 प्रतिशत जबकि इंटर में 30.30 फीसदी परीक्षार्थी ही परीक्षा पास कर पाए ते. जबकि 10वीं-12वीं परीक्षा के लिए पंजीकृत 17 प्रतिशत छात्रों ने परीक्षा बीच में ही छोड़ दी थी. 1992 हाईस्कूल पास होने वाले छात्र मोहल्लों में एक्का-दुक्का मिलते थे. उस वक्त 10वीं और 12वीं पास छात्र गर्व से बताते थे कि कल्याण सिंह के जमाने में पास हुआ हूं. जो पूछना है 10वीं और 12वीं के सिलेबस से पूछ लो.
सियासी सफर
अलीगढ़ के अतरौली में साधारण परिवार में जन्मे कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में शिखर तक पहुंचे. साल 1967 पहली बार विधायक बने और 1980 तक लगातार जीते. अतरौली से 10 विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड उनके नाम है. इमरजेंसी में 21 महीने जेल भी काटी. इसके बाद बीजेपी को मजबूत करने गांव गांव घूमे. वह विधायक, स्वास्थ्य मंत्री और उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने. वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे.
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