Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर जा रहे हैं प्रयागराज, तो इस अशुभ मुहूर्त में भूलकर भी ना करें अमृत स्नान
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Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर जा रहे हैं प्रयागराज, तो इस अशुभ मुहूर्त में भूलकर भी ना करें अमृत स्नान

Mahakumbh 2025 Amrit Snan Time: वैदिक पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 को पड़ रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन किस अशुभ मुहूर्त में स्नान-दान करने से बचना चाहिए. 

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर जा रहे हैं प्रयागराज, तो इस अशुभ मुहूर्त में भूलकर भी ना करें अमृत स्नान

Mahakumbh Amrit Snan 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को स्नान और दान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। हर महीने आने वाली अमावस्या को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. अबकी बार मौनी अमावस्या पर महाकुंभ के अमृत स्नान का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या पर किस अशुभ मुहूर्त में अमृत स्नान ना करें और स्नान-दान के लिए सबसे शुभ मुहूर्त क्या है.

प्रयागराज में महाकुंभ और अमृत स्नान

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का दुर्लभ संयोग बना है. मौनी अमावस्या के अवसर पर, 29 जनवरी 2025 को दूसरा "अमृत स्नान" किया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ में अमृत स्नान से सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मौनी अमावस्या 2025 की तिथि और समय

अमावस्या तिथि का आरंभ- 28 जनवरी 2025 को रात 07:35 बजे

अमावस्या तिथि का समापन- 29 जनवरी 2025 को शाम 06:05 बजे

मौनी अमावस्या का व्रत और स्नान- उदयातिथि के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी

मौनी अमावस्या स्नान-दान मुहूर्त

स्नान का ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05:25 से 06:18 तक

सिद्धि योग का समय- रात 09:22 बजे तक

मौनी अमावस्या पर किस अशुभ मुहूर्त में ना करें स्नान

पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन राहु काल दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर 1 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. राहु काल किसी भी शुभ काम के लिए अच्छा नहीं माना गया है. ऐसे में मौनी अमावस्या पर इस दौरान स्नान-दान करना शुभ नहीं माना जा रहा है. 

मौनी अमावस्या पर क्या करना रहेगा शुभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, जल तर्पण और पिंडदान जैसे कार्य किए जाते हैं.  मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन पितर अपने वंशजों से मिलने आते हैं. श्राद्ध और तर्पण के माध्यम से पितरों को प्रसन्न किया जाता है, जिससे उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है.साथ ही, गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने और वस्त्र दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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