Kumbh Mela 2025: धर्म की नगरी प्रयागराज के यमुना के उत्तरी तट पर प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि यहां श्रद्धालु जो भी सच्चे मन से मांगे, वह जरूर पूर्ण हो जाता है. यह शहर के शिव मंदिरों में सबसे मुख्य मंदिर माना जाता है, जहां मंदिर परिसर में मनकामेश्वर शिव के अलावा सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर महादेव के शिवलिंग भी विराजमान हैं. बताया जाता है कि भगवान राम ने भी यहां पर मनोकामना मांगी थी.
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Kumbh Mela 2025: धर्म की नगरी प्रयागराज के यमुना के उत्तरी तट पर प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि यहां श्रद्धालु जो भी सच्चे मन से मांगे, वह जरूर पूर्ण हो जाता है. यह शहर के शिव मंदिरों में सबसे मुख्य मंदिर माना जाता है, जहां मंदिर परिसर में मनकामेश्वर शिव के अलावा सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर महादेव के शिवलिंग भी विराजमान हैं. बताया जाता है कि भगवान राम ने भी यहां पर मनोकामना मांगी थी.
यहीं है कामेश्वर धाम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुराणों में कामेश्वर पीठ का वर्णन है. यह वही कामेश्वर धाम है, जहां 'काम' को भस्म करके भगवान शिव स्वयं यहां पर विराजमान हुए हैं. मुगल बादशाह अकबर के किले के समीप यमुना नदी के किनारे मनकामेश्वर मंदिर में दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
प्रभु राम ने की थी शिव जी की पूजा
मान्यता के अनुसार, त्रेता काल में भगवान राम वनवास जाते समय लक्ष्मण और माता सीता के साथ प्रयाग में रुके थे. तब श्रीराम ने भी यहां शिव का पूजन और जलाभिषेक कर अपने मार्ग में आने वाली तमाम विघ्न-बाधाओं को दूर करने की कामना की थी. अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए वैसे तो मनकामेश्वर मंदिर पर रोज शिवभक्तों की भीड़ आती है, लेकिन सावन माह में श्रद्धालुओं की संख्या में खासा बढ़ोतरी हो जाती है.
क्या कहते हैं आचार्य
आचार्य ने बताया, "प्रयागराज स्वयं में तीर्थराज है. यह तीर्थ नायक है. कुंभ मेले के दौरान यहां सभी देवी-देवताओं की उपस्थिति होती है. यहां स्नान के बाद स्थानीय देवता की पूजा की जाती है. त्रेता युग में भगवान राम भी इस मंदिर में आए थे और उन्होंने पूजा की थी. भगवान राम ने भी यहां मनोकामना मांगी थी. यहां पर श्रद्धालुओं को संगम स्नान के बाद मनकामेश्वर मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए."
शिव जी हुए थे उपस्थित
रामचंद्र शुक्ल ने आगे बताया कि मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव स्वयं 'काम' को भस्म करके उपस्थित हुए थे. यहां सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. यदि श्रद्धालु मनकामेश्वर मंदिर का दर्शन किए बिना केवल स्नान करके ही वापस चला जाता है, तो उसकी आस्था पूर्ण नहीं होती है और उसकी मनोकामना भी अधूरी रह जाती है. इसलिए संगम पर आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए.
क्या कहते हैं श्रद्धालु
वहीं, बिहार के छपरा जिले की एक श्रद्धालु मिलन कुमारी ने आईएएनएस को मंदिर के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया, "इस मंदिर का विशेष महत्व है क्योंकि यह संगम किनारे स्थित है. पर्यटक जब संगम पर घूमने के लिए आते हैं, तो मंदिर भी जाते हैं. यह माना जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्त की मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि भगवान राम ने भी यहां पर पूजा की थी और मनोकामना मांगी थी. यहां पर जो भी श्रद्धालु मनोकामना मांगता है, तो वह अवश्य पूरी होती है."
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