दुनिया की इकलौती गंगा, जिसकी लोग करते हैं परिक्रमा, महाकुंभ स्नान से कम पुण्य लाभ नहीं
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दुनिया की इकलौती गंगा, जिसकी लोग करते हैं परिक्रमा, महाकुंभ स्नान से कम पुण्य लाभ नहीं

Uttrakhand News: चमोली माता सती अनुसूया देवी मंदिर में भी नवरात्रों में भक्तों की भारी भीड़ होती हैं जहां अमृत गंगा की परिक्रमा को देश व दुनिया से करने के लिए काफी श्रद्धालु आते है. यहाँ हर वर्ष दिसंबर माह में दत्तात्रेय जयंती के मौके पर बहुत बड़ा मेला भी लगता है. 

 

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

पुष्कर चौधरी - चमोली / उत्तराखंड:  संतान दायिनी माता अनुसूया को लेकर मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती पर आयोजित में जो भी निःसंतान दम्पति यहां पूजा-अर्चना करते हैं. उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. यहां दत्तात्रेय जयंती के पर्व क्षेत्र की सगर, बंणद्वारा, देवलधार, कठूड और खल्ला की देव डोलियां अनुसूया मंदिर पहुंचती हैं. लोग मंदिर में जागरण करते हैं. कड़ाके की ठंड के बीच हजारों की संख्या में श्रद्धालु 5 किलोमीटर की खड़ी चड़ाई चड़कर माँ अनुसूया मंदिर पहुँचते हैं.

संतान को लेकर की जाती है विशेष पूजा
विशेष पूजाओं के बाद निःसंतान महिला को रात्रि के समय आयोजित अनुष्ठान में भाग लेना होता है. यहां आने वाले स्वप्न के बाद महिला अपने पति के साथ स्नान कर लौट आती है. मान्यता है महिला को स्वप्न में फल दिखाई देने पर पुत्र की प्राप्ति होती है. माता अनुसूया मंदिर से ढाई किलोमीटर दूर स्थित अत्रमुनि आश्रम है जहाँ हिमालय से अमृत गंगा की धारा बहती है और श्रद्धालु अमृत गंगा की परिक्रमा करते हैं. लेकिन यहाँ पर जाने के लिए एक कठिन पहाड़ी के रास्ते से गुजरना पड़ता है इस पहाड़ी पर एक फिट ऊँचा और करीबन दस फिट से अधिक लंबा पहाड़ी की गूपा से श्रद्धालुओं को गुजरना पड़ता है.

पाप और पुण्य से होते है दर्शन
जिसके नीचे की साइड से दो सो मीटर की गहरी खाई भी है. इस पहाड़ी की गूफा से वही जा सकता है जिसने कोई भी पाप नहीं किया हो तो चाहिये वो कितना मोटा श्रद्धालु क्यों न हो और जिसने पाप किया हो तो वो कितना पतला श्रद्धालु क्यों न हो वो इस पहाड़ी के रास्ते नहीं जा सकता है. लेकिन देश दुनिया में ये एक मात्र गंगा है अमृत गंगा जिसकी लोग परिक्रमा करते हैं. और गंगा , नदियों को आप केवल छू सकते हैं.

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