Navratri 2024: नवरात्रि में इस शापित पहाड़ पर विराजमान रहती हैं देवी, द्वापर युग से है संबंध
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Navratri 2024: नवरात्रि में इस शापित पहाड़ पर विराजमान रहती हैं देवी, द्वापर युग से है संबंध

Navratri 2024:  बुंदेलखंड में मां विंध्यवासिनी के जयकारे माहौल भक्तिमय बना रहे हैं. द्वापर युग में स्थापित प्राचीन मंदिर विंध्यवासिनी दरबार में भक्तों का तांता लगा है. मान्यता है कि नवरात्रि की अष्टमी को मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर से आकर यहीं विराजमान रहती हैं.

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अतुल मिश्रा/बांदा: नवरात्रि का पावन पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. बुंदेलखंड में मां विंध्यवासिनी के जयकारे माहौल भक्तिमय बना रहे हैं. बांदा में द्वापर युग में स्थापित प्राचीन मंदिर विंध्यवासिनी दरबार में भक्तों का तांता लगा है. खत्री पहाड़ में विराजमान मां विंध्यवासिनी 108 शक्तिपीठों में से एक हैं. मान्यता है कि नवरात्रि की अष्टमी को मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर से आकर बांदा के इस खत्री पर्वत में विराजमान रहती हैं.

द्वापर युव से है संबंध
बांदा के गिरवा थाना क्षेत्र के शेरपुर गांव में स्थित खत्री पर्वत का पौराणिक रिश्ता द्वापर युग में राजा कंस के शासन में कैद नंद बाबा और मां देवकी से जुड़ता है. खत्री पहाड़ को कारागार में कैद नंद बाबा की देवी रूपी कन्या ने कोढ़ी होने का श्राप दिया था. नंदबाबा और माता देवकी की संतान के रूप में जन्मी कन्या रूपी देवी को जब कंस ने कारागार में एक पत्थर में पटकने का प्रयास किया था. तभी वह कन्या रूपी देवी कंस के हाथ से निकल कर आकाश में विलीन हो गई थीं. उसके बाद मान्यता है कि नंद बाबा की देवी रूपी कन्या बांदा के इसी खत्री पहाड़ में आई थीं.

क्रोधित होकर देवी ने दिया श्राप
इस पहाड़ ने देवी रूपी कन्या का भार सहन करने से इंकार कर दिया था. जिससे क्रोधित होकर देवी कन्या के श्राप से इस पर्वत का रंग सफेद हो गया था और इस पर्वत में कोढ़ हो गया था, तभी से इस पर्वत का नाम खत्री पहाड़ पड़ गया और इस पहाड़ के अनुनय विनय करने के बाद देवी कन्या ने आकाशवाणी की थी कि वह प्रत्येक अष्टमी को भक्तों को यहां दर्शन देती रहेंगी और तब से इस प्राचीन मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर जबरदस्त धार्मिक मेला लगता चला रहा है.

मंदिर से जुड़ी मान्यता
कहा जाता है कि उसके बाद गिरवा के ही एक ब्राह्मण परिवार बद्री प्रसाद दुबे की नातिन शांता को मां विंध्यवासिनी ने दर्शन दिए थे और इच्छा प्रकट की थी कि पर्वत के नीचे भी उनके मंदिर की स्थापना कराई जाए, जिसके बाद पर्वत के नीचे भी मां विंध्यवासिनी की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी. मान्यता है कि मां विंध्यवासिनी इस मंदिर में भी विराजमान होकर अष्टमी के दिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

नवरात्रि में लगता है भक्तों का तांता
मंदिर संचालन समिति के सदस्य और पुजारी और इस मां के दरबार में आने वाले लाखों भक्तों का मानना है कि अष्टमी की मध्यरात्रि के बाद देवी मां की मूर्ति में एक विशेष चमक आ जाती है, जिससे मां विंध्यवासिनी के विराजमान हो जाने का अनुमान लगाया जाता है. नवरात्रि के समय यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं.

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