UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला पहले राज्य बन गया है. इस कानून पर बातचीत करने के लिए यूसीसी कमेटी ने असेंबली चुनाव-2022 में भाग लेने वाले दस प्रमुख सियासी पार्टियों को आमंत्रित किया था. इनमें नेशनल पार्टियों के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियां भी शामिल थीं, जिनमें से 7 पार्टी जैसे SP, BSP, UKD और भाजपा ने कमेटी के साथ विचार-विमर्श किया, जबकि कांग्रेस, AAP और CPI ने इसका बहिष्कार किया था.
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UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई है. यूसीसी लागू होने के बाद इसके ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए बनी समिति के मेंबर मनु गौड़ ने मंगलवार को यूसीसी के अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा की. उन्होंने इस दौरान बताया कि कैसे इस कानून को लागू करने में विभिन्न सामाजिक मुद्दों और कानून की जरूरतों का ख्याल रखा गया है.
मनु गौड़ ने बताया कि उत्तराखंड असेंबली चुनाव-2022 में भाग लेने वाले दस प्रमुख सियासी पार्टियों को समिति द्वारा आमंत्रित किया गया था. इनमें राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियां भी शामिल थीं. इनमें से 7 पार्टी जैसे सपा, बसपा, यूकेडी और भाजपा ने समिति के साथ विचार-विमर्श किया, जबकि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सीपीआई ने इसका बहिष्कार किया. इन पार्टियों से कोई सुझाव प्राप्त नहीं हुए, जिसकी वजह से उनकी राय यूसीसी को लेकर समिति तक नहीं पहुंची.
भारत में लिव इन रिलेशनशिप
उन्होंने कहा कि समिति ने जब इस मुद्दे पर विचार किया, तो यह पाया कि समान नागरिक संहिता संविधान की समवर्ती लिस्ट का हिस्सा है, जिसमें पर्सनल कानूनों का प्रावधान किया गया है. मनु गौड़ ने कहा कि भारत में लिव इन रिलेशनशिप की एक संस्कृति तेजी से डेवलेप हो रही है और कई लोग इसे गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, यह कहकर कि इसे मान्यता दी गई है. हालांकि, हाईकोर्ट पहले ही लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दे चुका है और घरेलू हिंसा एक्ट में भी इसके लिए प्रावधान मौजूद हैं. लिव इन में रहने वाले के साथ अगर घरेलू हिंसा होती है तो उसमें मेंटेनेंस तक का प्रोविजन है.
उन्होंने कहा कि बच्चे पढ़ाई करने के लिए शहर में आते हैं और लिव इन में रहने लगते हैं इसके बाद महिलाओं पर ब्लैकमेलिंग के तो वहीं पुरुष पर रेप के आरोप लग जाते हैं. कई मामलों में महिलाएं या पुरुष यह साबित नहीं कर पा रहे थे कि वह लिव इन में थे, क्योंकि उनके पास इसका कोई आधिकारिक दस्तावेज नहीं था. इस समस्या का समाधान करते हुए, समिति ने यह सुझाव दिया कि अगर कोई व्यक्ति लिव इन में रहना चाहता है, तो उसे अपने संबंधों का पंजीकरण कराना चाहिए, जिससे सरकार को उन रिश्तों का रिकॉर्ड मिल सके. इस पंजीकरण की सूचना गोपनीय रखी जाएगी और सिर्फ 18 से 21 साल के जोड़ों के माता-पिता को इसकी सूचनी दी जाएगी. यह व्यवस्था लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को सुरक्षा और गोपनीयता प्रदान करने के लिए शुरू की गई है.
सरकार की होगी नाबालिग बच्चों की संरक्षण की जिम्मेदारी
समिति का मानना है कि ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए यह रेजिस्ट्रेशन बेहद अहम है, ताकि किसी भी महिला या बच्चे के अधिकारों की रक्षा की जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि शादी और लिव इन ये दोनों ही हमारे निजता के अधिकार के अंतर्गत आते हैं और हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है, तो ऐसे रिश्तों का रेजिस्ट्रेशन क्यों नहीं होना चाहिए? इसके साथ ही, अगर किसी व्यक्ति का लिव इन रिलेशनशिप समाप्त हो जाता है, तो दोनों पार्टियों को तुरंत सूचित करने की व्यवस्था की गई है. यदि दोनों पार्टियों के बीच 18 से 21 साल की उम्र के बच्चे हैं, तो उन बच्चों के संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार की होगी.
रेजिस्ट्रेशन क्यों है जरूरी?
उन्होंने बताया कि रेजिस्ट्रेशन से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अगर किसी जोड़े के बीच रिश्ते खत्म होते हैं या किसी महिला के साथ धोखा होता है, तो उसकी स्थिति साफ हो सके. गौड़ ने एक मिसाल भी दी जिसमें एक महिला ने समिति से कॉन्टैक्ट किया और बताया कि उसके पति की मौत के बाद उसे कोई पेंशन या सरकारी मदद नहीं मिली, क्योंकि वह पहले से ही विवाहित था और महिला को यह जानकारी नहीं थी कि उसके पति की पहले शादी हो चुकी है. ऐसे में, अगर रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था होती तो ऐसा नहीं होता, क्योंकि उसके बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होती है कि वह कब किसके साथ रहा, वह शादीशुदा है या नहीं और उसका सही पहचान क्या है.
मनु गौड़ ने कहा कि शादी के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया जा रहा है, तो ऐसे रिश्तों का पंजीकरण क्यों नहीं किया जाना चाहिए? उन्होंने साफ किया कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि इस पंजीकरण से यह सार्वजनिक होगा कि कौन लोग लिव इन में रह रहे हैं. हम सिर्फ यह चाहते हैं कि अगर कोई घटना होती है, जैसे किसी महिला या पुरुष का उत्पीड़न, मर्डर या कोई अन्य अपराध, तो सरकार को यह जानकारी हो कि ये लोग एक साथ रह रहे थे.
इससे पुरुषों और महिलाओं दोनों के अधिकारों की सुरक्षा होगी
उन्होंने कहा कि अगर सरकार समय रहते कदम उठाती है और ऐसे रिश्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर देती है, तो भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस रेजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट प्रस्तुत कर सकेगा और खुद को बचा सकेगा. इससे पुरुषों और महिलाओं दोनों के अधिकारों की सुरक्षा होगी. अगर कोई पुरुष महिला के साथ लिव इन में रहा और बाद में उसे छोड़ दिया, तो उसे महिला को मेंटेनेंस देने का प्रावधान होगा और उससे जो बच्चे पैदा हुए उसके अधिकारों की सुरक्षा की जाएगी. ( इनपुट- आईएएनएस )