DNA Analysis: बड़ी शान से लहराते हैं तिरंगा, लेकिन क्या पिंगली वेंकैया को जानते हैं आप?
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DNA Analysis: बड़ी शान से लहराते हैं तिरंगा, लेकिन क्या पिंगली वेंकैया को जानते हैं आप?

DNA Analysis: आज जो तिरंगा भारत की शान है, उसे डिजाइन करने में पिंगली वेंकैया का बहुत बड़ा योगदान था. वो एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनका जन्म आज ही के दिन 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था.

DNA Analysis: बड़ी शान से लहराते हैं तिरंगा, लेकिन क्या पिंगली वेंकैया को जानते हैं आप?

DNA Analysis: क्या आपको पता है भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा किसने डिजाइन किया था? आपमें से बहुत सारे लोगों को शायद इस सवाल का जवाब पता नहीं होगा. आज जो तिरंगा भारत की शान है, उसे डिजाइन करने में पिंगली वेंकैया का बहुत बड़ा योगदान था. वो एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उनका जन्म आज ही के दिन 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था. इस मौके पर आज गृह मंत्री अमित शाह द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया और इस दौरान उन्होंने पिंगली वेंकैया के परिवार से भी मुलाकात की.

कई झंडों पर की थी रिसर्च

बहुत कम लोग जानते हैं कि वर्ष 1916 से लेकर वर्ष 1921 तक पिंगली वेंकैया ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर गहराई से अध्ययन किया था. इसके बाद वर्ष 1921 में Congress के सम्मेलन में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज का अपना बनाया हुआ Design पेश किया था. उस Design में मुख्य रूप से लाल और हरा रंग था. जिसमें लाल रंग हिंदू और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता था. बाकी समुदायों को ध्यान में रखते हुए महात्मा गांधी ने उस Design में सफेद पट्टी डालने की बात कही थी. 

गांधी जी ने दी थी ये सलाह

महात्मा गांधी ने ही झंडे के बीच में चरखे को शामिल करने की सलाह दी थी. क्योंकि वो चरखे को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांति का प्रतीक मानते थे और उनका कहना था कि चरखा भारत के लोगों को आत्म निर्भर बनने के लिए प्रेरित करेगा और इससे आजादी का आन्दोलन भी मजबूत होगा. अगस्त 1931 को कांग्रेस ऩे अपने वार्षिक सम्मेलन में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव पारित किया.

हर रंग देता है इस बात का संकेत

हालांकि तब इस ध्वज में लाल रंग को हटा कर केसरिया रंग शामिल किया गया. केसरिया रंग को हिम्मत, त्याग और बलिदान का प्रतीक माना जाता है. यानी तब इस ध्वज में, केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं और बीच में चरखा था. 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया. लेकिन इस ध्वज में चरखे की जगह अशोक चक्र को शामिल किया गया. ये एक नीला चक्र था, जिसे अशोक का धर्म चक्र भी कहा जाता है. पिंगली वेंकैया ने भारत को एकजुट करने वाला राष्ट्रीय ध्वज दिया, लेकिन दुर्भाग्य ये है कि हमारे देश के बहुत सारे युवा आज उनका नाम तक नहीं जानते.

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