ये तो दयनीय है.. इतनी कम पेंशन, सुप्रीम कोर्ट ने आखिर किसके लिए तय कर दी सुनवाई?
Advertisement
trendingNow12563984

ये तो दयनीय है.. इतनी कम पेंशन, सुप्रीम कोर्ट ने आखिर किसके लिए तय कर दी सुनवाई?

Pension Reforms: न्यायालय ने सुझाव दिया कि सरकार खुद ही इस मुद्दे को हल कर ले तो बेहतर होगा ताकि अदालत को हस्तक्षेप न करना पड़े. साथ ही कहा कि इस मामले का समाधान व्यक्तिगत आधार पर नहीं किया जाएगा.

ये तो दयनीय है.. इतनी कम पेंशन, सुप्रीम कोर्ट ने आखिर किसके लिए तय कर दी सुनवाई?

Supreme Court on pension: सुप्रीम कोर्ट  ने बुधवार को उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को मिलने वाली पेंशन को “दयनीय” बताया है. न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कुछ न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये की मामूली पेंशन मिल रही है, जो न केवल चौंकाने वाला है बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है. पीठ ने इस मुद्दे पर सरकार से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की और मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जनवरी की तारीख तय की.

असल में याचिका में दावा किया गया कि कई सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन गणना में उनकी पूर्ण सेवा का ध्यान नहीं रखा गया. उदाहरण के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जो जिला अदालत में 13 वर्षों तक सेवा कर चुके थे, ने अपनी याचिका में बताया कि उन्हें केवल 15,000 रुपये की पेंशन दी जा रही है. यह राशि उनकी सेवा अवधि और पद के अनुरूप नहीं है.

समस्या को सुलझाने का प्रयास

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत को आश्वस्त किया कि सरकार इस समस्या को सुलझाने का प्रयास करेगी. न्यायालय ने सुझाव दिया कि सरकार खुद ही इस मुद्दे को हल कर ले तो बेहतर होगा, ताकि अदालत को हस्तक्षेप न करना पड़े. साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले का समाधान व्यक्तिगत आधार पर नहीं किया जाएगा; आदेश सभी उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर लागू होगा.

पेंशन लाभ की गणना में भेदभाव

यह मामला पहली बार नहीं है जब न्यायालय ने इस तरह की समस्या पर चिंता जताई है. मार्च में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेंशन लाभ की गणना में यह भेदभाव नहीं किया जा सकता कि न्यायाधीश बार से आए हैं या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं. अदालत ने यह भी कहा कि पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन के आधार पर होना चाहिए.

अदालत ने पूर्व में यह भी बताया कि कुछ न्यायाधीशों को केवल 6,000 रुपये तक की पेंशन दी जा रही थी, जो कि उनके पद और सेवा के मानदंडों के खिलाफ है. न्यायालय ने इसे “चौंकाने वाला” बताते हुए मामले को गंभीरता से लिया. सरकार को इस मुद्दे को शीघ्र हल करने की जरूरत है ताकि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिले. एजेंसी इनपुट

Trending news