Srinagar Smart City: विवाद उस समय हुआ है जब श्रीनगर स्मार्ट सिटी लिमिटेड परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की एसीबी द्वारा जांच चल रही है. वहीद शाह की अगुवाई में हुई जांच में कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ था.
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ACB officers transfer: जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हो गए हैं. जब वहीद अहमद शाह सहित तीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से हटाकर गृह विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस कदम की आलोचना करते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले अधिकारियों को दंडित करने का आरोप लगाया. उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "एसीबी से वहीद शाह और उनके सहयोगियों को हटाने का निर्णय भ्रष्टाचार को चुनौती देने वाले अधिकारियों के सामने आने वाले खतरों को उजागर करता है. यह कदम भ्रष्ट और शक्तिशाली लोगों के बीच गठजोड़ को भी सामने लाता है. सरकार इस कार्रवाई से न्याय और जवाबदेही की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर रही है."
दरअसल, यह विवाद उस समय हुआ है जब श्रीनगर स्मार्ट सिटी लिमिटेड परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की एसीबी द्वारा जांच चल रही है. वहीद शाह की अगुवाई में हुई जांच में कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. इनमें कार्यकारी अभियंता जहूर डार और मुख्य वित्तीय अधिकारी साजिद यूसुफ भट के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और घटिया काम के आरोप शामिल हैं.
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
हाल ही में जम्मू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वहीद शाह ने सार्वजनिक परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दिया था. लेकिन, उनकी वापसी ने सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. महबूबा मुफ्ती का कहना है कि यह कदम भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों को कमजोर करने का संकेत है. सोशल मीडिया पर इस निर्णय को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. जहां कुछ इसे प्रशासनिक प्रक्रिया मान रहे हैं, वहीं अन्य इसे एसीबी की स्वतंत्रता को कमजोर करने की साजिश बता रहे हैं.
श्रीनगर के एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, "यह कदम ईमानदार अधिकारियों को हतोत्साहित करने वाला है और सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों की सच्चाई पर सवाल खड़ा करता है. स्मार्ट सिटी परियोजना में बड़ी धनराशि और हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों की संलिप्तता के कारण एसीबी की जांच पर कड़ी नजर है. विशेषज्ञों को आशंका है कि प्रमुख अधिकारियों को हटाने से जांच प्रक्रिया धीमी या बाधित हो सकती है.