स्क्रब टाइफस: 3 हजार से ज्यादा सामने आए मामले जो पिछले 12 सालों में सबसे अधिक, जानिए क्या है बीमारी के लक्षण
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स्क्रब टाइफस: 3 हजार से ज्यादा सामने आए मामले जो पिछले 12 सालों में सबसे अधिक, जानिए क्या है बीमारी के लक्षण

Rajasthan News: स्क्रब टाइफस के 3 हजार से ज्यादा मामले समाने आए जो पिछले 12 सालों में सबसे अधिक हैं. जानिए बीमारी के लक्षण क्या हैं?

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Rajasthan News: प्रदेश में स्क्रब टाइफस बीमारी ने अभी तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और इस बीमारी से पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, बीते साल यानी वर्ष 2024 में इस बीमारी के 3 हजार से अधिक मामले सामने आए जो पिछले बारह सालों में सबसे अधिक हैं.

जानवरों के लगे चिचड़ा काटने से फैलने वाले स्क्रब टाइफस के बढ़ते मामले चिकित्सा विभाग के लिए लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं. बीते वर्ष इस बीमारी के कुल 3454 मरीज मिले है, 

उदयपुर, जयपुर, अलवर, राजसमंद, दौसा, कोटा, झालावाड़ समेत 30 से ज्यादा जिले इस बीमारी की चपेट में है, चिकित्सा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जयपुर और उदयपुर में इस बीमारी के सर्वाधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

इस बीमारी के लक्षण संक्रमण के 6 से 21 दिनों बाद दिखाई देते हैं.प्रदेश के कुछ ऐसे जिले हैं जहां लगातार स्क्रब टाइफस अपने पैर पसार रहा है.

इन जिलों में सबसे अधिक प्रकोप
जिले का नाम मामलों की संख्या
जयपुर 509 मामले
उदयपुर 608 मामले
राजसमंद 328 मामले
कोटा 285 मामले
अलवर 285 मामले
झालावाड़ 177 मामले
चित्तौड़गढ़ 151 मामले
टोंक 121 मामले
सवाई माधोपुर 118 मामले
दौसा 197 मामले
बारां 104 मामले

इन जिलों में मौत

स्क्रब टाइफस से मौत के मामलों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अभी तक प्रदेश में इस बीमारी से कुल 10 मरीजों की मौत हो चुकी है. सर्वाधिक मौतें राजधानी जयपुर में दर्ज की गई हैं. जयपुर में इस बीमारी से 6 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि अलवर में 2, भरतपुर और सवाईमाधोपुर में 1-1 मरीजों की मौत दर्ज की गई है.

डेंगू जैसे प्लेटलेट्स गिरती हैं

चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टाइफस बैक्टीरियल या रिकेटसियल डिजीज है, जो चिचड़ा के काटने के बाद सुसुगेमोसी बैक्टीरिया से फैलती है. इसमें भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स गिरती हैं. सिरदर्द, ठंड के साथ तेज बुखार, निमोनिया, प्लेटलेट्स कम होना तथा माइट के काटे हुए स्थान पर काले रंग का निशान बन जाता है. गंभीर स्थिति होने पर आर्गन फेलीयर पर मौत हो सकती है. चिचड़ा के काटने के 7 से 14 दिन बाद शरीर पर लक्षण दिखाई देती है.

बीते कुछ साल में ये रहे आंकड़े
साल मामले
2012 23
2013 513
2014 537
2015 370
2016 115
2017 954
2018 1650
2019 3002
2020 1618
2021 1997
2022 1904
2023 2092

यह बीमारी ज्यादातर जापान, कोरिया, चीन, भारत और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में हो रही है. भारत में यह खासतौर पर राजस्थान के दौसा, करौली, धौलपुर और गंगापुर इलाकों में ज्यादा देखी जा रही है. जहां झाड़ियां और बारिश अधिक होती हैं. किसानों और बाहरी काम करने वाले लोग इसके शिकार ज्यादा होते हैं.

डॉ. सुनील महावर (SMSअस्पताल) के अनुसार, स्क्रब टाइफस के गंभीर मामलों में डबल निमोनिया, खून की कमी, किडनी खराब होना, और लिवर फेलियर जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर यह दिमाग तक पहुंच जाए तो एन्सेफलाइटिस का खतरा बढ़ जाता है.

समय पर निदान और इलाज से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. हालांकि, अगर देर हो जाए तो बीमारी की जटिलताएं बढ़ सकती हैं, जिससे बचने की संभावना 80% तक रह जाती है.

यह बीमारी जुलाई से अक्टूबर के बीच ज्यादा फैलती है और सर्दियों में कम हो जाती है. सर्दी में लोग पूरे कपड़े पहनते हैं, जिससे खतरा कम होता है. बारिश के समय लोग सतर्क रहें, खासकर यदि किसी को बुखार या अन्य लक्षण दिखें तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लेकर जांच कराएं.

बहरहाल राजस्थान सरकार ने अब डायग्नोसिस की सुविधा में सुधार किया है, जिससे स्क्रब टाइफस बीमारी का समय पर पता लगाना आसान हो गया है. स्क्रब टाइफस का इलाज सही समय पर हो तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

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