Panchayat Chuav: राजस्थान में गांव की सरकार इन दिनों प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा ले रही है. इलेक्शन के फैसले से पहले जानिए किस दिन सरपंच जयपुर कूच करेंगे.
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Rajasthan Panchayat Chuav 2025: राजस्थान में पंचायत चुनाव के फैसले से पहले सरपंच सड़क पर उतरने के लिए तैयार हो गए है. पंचायतों में प्रशासक लगाने की संभावनाओं के चलते प्रदेशभर के सरपंच 6 दिसंबर को जयपुर कूच करेंगे.
प्रशासक लगाने की संभावनाओं से खफा
राजस्थान में गांव की सरकार इन दिनों प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा ले रही है. वजह प्रदेश में पंचायत चुनाव. राज्य में 40 प्रतिशत पंचायतों का कार्यकाल जनवरी में पूरा हो रहा है. ऐसे में सरपंचों को आशंका है कि निकायों की तरह पंचायतों में भी प्रशासक लगाकर उनके हाथ से कुर्सी छीन ली जाएगी.
प्रशासक लगने पर सरपंचों के सभी अधिकार खत्म हो जाएंगे, इसलिए सरपंच चाहते है कि या तो तय समय पर चुनाव हो,या वन स्टेट वन इलेक्शन की तर्ज पर चुनाव हो. लेकिन इस दौरान प्रशासक नहीं लगाकर सरपंचों को पंचायतों का चेयरमैन बनाकर सभी अधिकार उन्हें ही दिए जाएं. इ
स मांग को लेकर ग्रामीण विकास मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से मुलाकात कर चुके है, जिसके बाद सरपंचों ने जयपुर कूच का ऐलान कर दिया.6 दिसंबर को प्रदेशभर के सरपंच जयपुर कूच करेंगे.
राज्य निर्वाचन आयोग की तैयारियां शुरू
इसी बीच सरकार की तैयारियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने जनवरी में पंचायत चुनाव करवाने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए प्रगणक नियुक्त करने को कहा है.
पंचायत के तीन या चार वार्डों के लिए एक प्रगणक नियुक्त होगा. एक प्रगणक के पास आवंटित वार्डों में 1100 से ज्यादा वोटर नहीं होंगे. आयोग ने बूथ लेवल ऑफिसर को ही प्रगणक नियुक्त करने को कहा है.
पंचायतों में प्रशासक लगने पर सरपंच और वार्ड पंच नहीं रहते. पंचायत के सारे अधिकार प्रशासक के पास ही रहते हैं. जो विकास के काम सरपंच स्तर पर होते थे,वे प्रशासक मंजूर करता है.
पंचायती राज और शहरी निकायों के चुनाव 5 साल में करवाने की कानूनी बाध्यता है. विशेष परिस्थितियों में ही इसे टालने का प्रावधान है. इसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट तक जाना होता है. हालांकि पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर कह चुके है कि पंचायत चुनाव का फैसला कैबिनेट लेगी.
सरकार कोर्ट के फैसले का अध्ययन करवा रही
पिछले दिनों पंजाब में निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से राजस्थान में भी लंबे समय तक चुनाव टालने में दिक्कत आ सकती हैं.
कोरोना के वक्त भी चुनाव टालने के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. सरकार ने पिछले दिनों शहरी निकायों के वार्डों के परिसीमन का फैसला किया. वार्ड परिसीमन के कारण चुनाव आगे टालने का आधार मिल गया.
पंचायतों के चुनाव आगे खिसकाने के लिए भी पंचायतों के वार्डों का फिर से सीमांकन करवाने का आधार हो सकता है. ऐसे में पंचायतों के वार्ड परिसीमन पर भी कानूनी राय ली जा रही है.
वहीं पिछले दिनों पंजाब में निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से राजस्थान में भी लंबे समय तक चुनाव टालने में दिक्कतें आ सकती हैं.
सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करवा रही है. इसके लिए कानूनी जानकारों से राय ली जा रही है. एडवोकेट जनरल से भी राय ली गई है.
वन स्टेट वन इलेक्शन में अभी कानूनी अड़चन
वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कई तरह की कानूनी अड़चनें हैं. कानूनी दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार में अलग-अलग स्तर पर मंथन चल रहा है.
73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद ग्राम पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव हर 5 साल में करना अनिवार्य है.
इन्हें आपात स्थिति को छोड़कर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता.सरकार वार्ड परिसीमन को कानूनी बचाव के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है.सरपंच संघ का तर्क है कि प्रशासक लगाने की जगह पंचायत लेवल पर सरपंच-वार्ड पंचों की कमेटी को अधिकार दे दिए जाएं. चुनाव होने तक वही कमेटी पंचायत चलाए.