Rajasthan Politics: साइन थीटा कोस थीटा नहीं, बल्कि रोजगार मुखी शिक्षा होनी आवश्यक- राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी
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Rajasthan Politics: साइन थीटा कोस थीटा नहीं, बल्कि रोजगार मुखी शिक्षा होनी आवश्यक- राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी

Rajasthan Politics: राजस्थान के जोधपुर के मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान उच्च शिक्षा का दो दिवसीय 63 वां प्रदेश अधिवेशन में शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए.

 

Minister Bhagirath Chaudhary

Rajasthan News: अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान उच्च शिक्षा का दो दिवसीय 63 वां प्रदेश अधिवेशन जोधपुर के मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया गया. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा व केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने अधिवेशन का आगाज किया. 

इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिक्षा के ऊपर ध्यान देने की बहुत जरूरत है, क्योंकि शिक्षा पद्धति से हमारी संस्कृति पर कुठाराघात किया गया है. हमारे शिक्षक संघ राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा है. नई शिक्षा नीति पर इस राष्ट्र भावना प्रबल होगी. आज इस दो दिवसीय अधिवेशन में चिंतन मनन होगा. पूरे प्रांत भर के शिक्षक आए हुए हैं और शिक्षा के ऊपर और कार्य होंगे. देश की एकता और अखंडता के लिए इस अधिवेशन में चिंतन मनन होगा. 

वहीं, पाठ्यक्रम में बदलाव होना चाहिए ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में जरूरी बदलाव होना चाहिए. हमारे इतिहास को तोड़ मरोड़ कर रखा गया है. वास्तव में हमारा जो मूल इतिहास है वह अभी भी छुपा हुआ है. कई तरह के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. इसलिए इस शिक्षा नीति के तहत आमूल चूल परिवर्तन करके नई शिक्षा नीति पर जोर दिया जा रहा है. हजारों साल पहले ऐसी शिक्षा पद्धति थी, जिससे रोजगार परख शिक्षा दी जाती थी. 

अभी साइन थीटा कोस थीटा बच्चों के काम नहीं आ रहे हैं. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि सच्चाई है नालंदा तक्षशिला विश्वविद्यालय इसका साक्षात प्रमाण है. पूरे दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में हमारा देश आगे बढ़ रहा था. पिछले कालखंड में हमारे शिक्षा नीति को तहस-नहस करके चले गए. शिक्षा नीति को बर्बाद कर दिया और हमारी शिक्षा नीति पर कुठाराघात किया. इसमें बहुत कुछ परिवर्तन करने की जरूरत है. शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो स्वरोजगार मुखी हो जो रोजगार दे इस तरह की शिक्षा होनी चाहिए. इस पर हमारे शिक्षक संघ काम कर रहे. 

उन्होंने कहा कि यह सच्चाई है कि हमारे महापुरुष जिन्होंने इस देश को आजाद करने में और संस्कृति को बचाए रखा उनका कोई उल्लेख पाठ्यक्रम में नहीं है. जिन्होंने हंसते-हंसते प्राण दे दिए उनका पाठ्यक्रम में उल्लेख नहीं है. उन इतिहासकारों को इतिहास में जोड़ना चाहिए और पता नहीं महान कौन है उनको इतिहास में जगह दे दी गई. अब नई शिक्षा नीति आई है उसमें सारी कुछ सुधार किया जाएगा और अमूल चूल परिवर्तन किया जाएगा.

राजस्थान के किसान आंदोलन की राह पर इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी से पहले जो कांग्रेस की सरकारी हुआ करती थी वह हमेशा यह नारा देती थी कि गरीबी मिटाएंगे किसानों को संपन्न बनाएंगे, लेकिन नारे तो दिए लेकिन उन्होंने ना तो गरीबों को हटाया ना किसानों को संपन्न बनाया. कभी भी किसी गांव गरीब की चिंता नहीं की. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन लोगों की चिंता कर रही है और एमएसपी भी ढाई गुना तीन गुना बड़ी है. अगर इस तरह से पहले एमएसपी बढ़ती तो किसान आज कुछ और ही होता.

रिपोर्टर- राकेश कुमार भारद्वाज

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