एक बूंद पानी को तरसा अस्पताल, सरकार की योजना हुई फेल
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एक बूंद पानी को तरसा अस्पताल, सरकार की योजना हुई फेल

सरकार आम आदमी के स्वास्थय को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही है, जिससे हर कोई स्वस्थ रहे लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी में आज भी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. इन सुविधाओं के लिए मरीजों को बाहर से पैसे खर्च करके लाना पड़ता है. 

 

एक बूंद पानी को तरसा अस्पताल, सरकार की योजना हुई फेल

Lunkaransar: सरकार आम आदमी के स्वास्थय को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही है, जिससे हर कोई स्वस्थ रहे लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी में आज भी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. इन सुविधाओं के लिए मरीजों को बाहर से पैसे खर्च करके लाना पड़ता है. 

लोगों  के लिए सबसे जरूरी अगर कुछ है तो वह हवा और पानी है, जिसके मिलने से जीवन सहज रहता है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की एक ऐसी सीएचसी से आज आपको रूबरू करवाते है जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया था, लेकिन आज तक वहां पानी का कनेक्शन तक नहीं लगा. जिसके कारण मरीजों को  पानी की एक-एक बूंद के लिए पैसे खर्च करने पड़ते है. 

बता दें कि, अस्पताल बनने के तीन साल बाद भी पानी का कनेक्शन नहीं हुआ. जिसके कारण सरकारी दावों की मूलभूत सुविधाओं पर कई सवाल खड़े होते है.  मामला लूणकरणसर विधानसभा के महाजन उपतहसील में स्थित समुदाय स्वास्थ्य केंद्र का है. जहां अस्पताल में  पीने के पानी के लिए कनेक्शन तक नहीं है, ऐसे में मरीजों के लिए परिजनों को बाहर से पानी की बोतलें खरीदकर लानी पड़ती है. 

गौरतलब है कि, अस्पताल को बने हुए तीन साल हो गए है जबकि अस्पताल का लोकार्पण वर्चुअल तरीके से सीएम ने किया था. उसके बाद अस्पताल को शिफ्ट  किया गया. जिसे भी अब तक दो साल का वक्त हो गया लेकिन अस्पताल आज भी पानी के कनेक्शन को तरस रहा है. आठ महीने पहले अस्पताल का दौरा बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल ने किया था. स्थिति को जानने के लिए उस समय ग्रामीणों ने इस समस्या सांसद को अवगत भी करवाया परंतु  स्थिति वैसी ही बनी रही. 

भामाशाहों के जरिए अस्पताल में ठंडे पानी की व्यवस्था तो की जाती है लेकिन वो पूरे दिन नहीं चलता है. वहीं, अस्पताल के मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण वह पानी पर्याप्त भी नहीं होता है. ऐसे में बाहर से पानी खरीदकर लाना पड़ता है. नेशनल हाईवे 62 पर अस्पताल होने के कारण मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है, जिससे पानी की खपत ज्यादा होती है. इस बारे में डॉ.अभिषेक पंवार ने बताया कि, अस्पताल में पानी की एक बड़ी समस्या है. दो साल हो गए है अस्पताल को शिफ्ट हुए, लेकिन पानी का कनेक्शन आज तक नहीं लगा है. टेंकरो और भामाशाहों की मदद तो मिल रही है, जिससे हम पानी की पूर्ति कर रहे है पर उससे गुजारा नहीं हो पा रहा है. 

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पूर्व उपसरपंच हरिराम का कहना है कि, मरीज दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद अस्पताल पहुंचते है. उसके बाद उनको पीने के लिए पानी नहीं मिलना एक बड़ी समस्या है. कई बार इस समस्या से जनप्रतिनिधियों को अवगत भी करवाया गया है लेकिन  यह आज भी वैसी की वैसी ही बनी हुई है.

सरकार आम आदमी के स्वास्थ को लेकर तो करोड़ों रुपयों की योजनाएं बना रही है, लेकिन फ्री योजना की वाहवाही लूटने के चक्कर में ये भूल जाती है कि मरीज को दवा से पहले मूलभूत सुविधाएं की जरूरत होती है. जो अस्पताल खुद बीमार हो वो मरीजों की देखभाल कैसे करेगा. ये ऊपर बैठे उन अधिकारियों को सोचना पड़ेगा जो आनन-फानन में ऐसे अस्पतालों का शुभारंभ करवाते है और आम सुविधाए तक नहीं उपलब्ध करवा पाते है.

Reporter: Tribhuvan Ranga

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