Barmer News: भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित एक ग्राम पंचायत का कार्यालय भवन इन दिनों किसी पर्यटन स्थल जैसा बना हुआ है. रेगिस्तान के रेतीले टीलों के बीच बना यह भवन खासा चर्चाओं में है.
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Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर जिले भारत पाक सीमा के पास स्थित गांव में बनी इमारत इन दिनों काफी चर्चाओं में है. रेतीले धोरों के बीच बनी यह बिल्डिंग किसी राजमहल जैसी दिखती है और अंदर से किसी कॉर्पोरेट ऑफिस से कम नहीं है. ग्राम पंचायत गुल्ले की बेरी की बुजुर्ग महिला सरपंच द्वारा 2 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई.
बाड़मेर जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर चौहटन इलाके के सेड़वा पंचायत समिति की गुल्ले की बेरी ग्राम पंचायत में सरपंच ने 2 करोड़ रुपये की लागत से भव्य महलनुमा पंचायत भवन बनाया है. बाहर से ग्राम पंचायत के निर्माण के लिए जोधपुर के गुलाबी पत्थर पर बारीक नक्काशी का काम किया गया है.
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आगे बड़ा गार्डन तैयार किया जा रहा है. गार्डन में खूबसूरत फाउंटेन फव्वारे लगाएं जा रहे है और अंदर से पूरी बिल्डिंग में एयर कुल्ड सिंस्टम लगाया गया है. ग्रामीणों के बैठने के लिए वेटिंग रूम से लेकर सभी कार्यालयों में सोफे लगाए गए हैं. सरपंच ग्राम विकास अधिकारी के साथ मीटिंग हॉल किसी कॉर्पोरेट ऑफिस तर्ज पर बनाएं गए हैं, दो मंजिला इस इमारत में ग्रामीणों के पीने के लिए फिल्टर पानी से लेकर अल्प आहार की व्यवस्था अंदर ही की जाती है. आलीशान भवन के चलते ग्राम पंचायत का स्टाफ भी निर्मित ऑफिस में उपलब्ध रहता है.
गुल्ले की बेरी ग्राम पंचायत में पंचायती राज की स्थापना की स्थापना से आज दिन तक 65 सालों से वर्तमान सरपंच जिया देवी या उनके परिवार से कोई न कोई सदस्य सरपंच रहा हैं. ग्रामीण का भरोसा इस परिवार पर इतना है कि बिना चुनाव के ही निर्विरोध सरपंच चुनते हैं.
सरपंच ने भी गांव के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं. गांव में शिक्षा,चिकित्सा,पेयजल सड़कों की अच्छी व्यवस्था हैं लेकिन करीब 80 साल की हो चुकी सरपंच जिया देवी ने अपने कार्यकाल को चिरस्थाई बनाने के लिए पंचायत को बड़ी सौगात देते हुए दो करोड़ रुपये की लागत से ग्राम पंचायत की बिल्डिंग बनाई है. सरकार से स्वीकृति 40 लाख रुपये की ही मिली थी. ऐसे में बाकी राशि अपने निजी स्तर से लगवाकर यह आलीशान महल जैसा पंचायत भवन बनाया गया है.
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इसको लेकर सरपंच जिया देवी बताती हैं कि ग्रामीणों ने इतने साल तक उन पर और उनके परिवार पर भरोसा कर गांव का मुखिया बनाते आएं है. सड़के, टांके, आवास को घर-घर कोई नहीं देखता. ऐसे में सार्वजनिक जगह पर ऐसा कुछ किया जाएं कि आने वाली पीढ़ियों और लोग उनके कार्यकाल को याद रखें और उन्हें बेहतर सुविधा मिले इसके लिए ये भवन बनाया गया है.