Valmiki Jayanti: इधर राहुल गांधी, उधर नायब सिंह सैनी... वाल्मीकि मंदिर पर क्यों फोकस हुई बीजेपी और कांग्रेस की राजनीति?
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Valmiki Jayanti: इधर राहुल गांधी, उधर नायब सिंह सैनी... वाल्मीकि मंदिर पर क्यों फोकस हुई बीजेपी और कांग्रेस की राजनीति?

BJP And Congress Politics On Maharishi Valmiki: रामायण के रचयिता आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस में सियासी तलवार खिंच गई है. भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी के वाल्मीकि मंदिर जाने को ढोंग करार दिया. वहीं, हरियाणा में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले नायब सिंह सैनी ने भी वाल्मीकि मंदिर में जाकर नमन किया.

Valmiki Jayanti: इधर राहुल गांधी, उधर नायब सिंह सैनी... वाल्मीकि मंदिर पर क्यों फोकस हुई बीजेपी और कांग्रेस की राजनीति?

Rahul Gandhi And Nayab Singh Saini : रामायण के रचयिता आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर गुरुवार को वाल्मीकि मंदिर में जाने, पूजा-अर्चना करने और लोगों को शुभकामनाएं देने को लेकर भाजपा और कांग्रेस में राजनीतिक टकराव तेज हो गया है. लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली में और हरियाणा में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले नायब सिंह सैनी ने पंचकूला में वाल्मीकि मंदिर में हाजिरी दी.

वाल्मीकि मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद राहुल गांधी ने दी शुभकामनाएं

महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर वाल्मीकि मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने की तस्वीरों को शेयर करते हुए राहुल गांधी ने सबको शुभकामनाएं दी. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'महाकाव्य रामायण के रचनाकार, आदिकवि महर्षि वाल्मीकि जी की जयंती पर आप सभी को शुभकामनाएं. आज सुबह इस सुअवसर पर दिल्ली में वाल्मीकि मंदिर में दर्शन किए. इस परिसर में महात्मा गांधी जी ने वाल्मीकि समाज के साथ काफी वक्त बिताया था - बापू निवास में कुछ समय रुककर प्रेरणा प्राप्त की. मानवता को प्रेम और करुणा युक्त सत्य, न्याय और समरसता का मार्ग दिखाने वाले महान तपस्वी महर्षि वाल्मीकि जी को शत शत नमन.'

शपथ ग्रहण से पहले पंचकूला में वाल्मीकि मंदिर पहुंचे CM नायब सिंह सैनी

दूसरी ओर, पंचकूला में शपथ ग्रहण से पहले नायब सिंह सैनी ने महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर वाल्मीकि मंदिर में पूजा-अर्चना की. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. नायब सिंह सैनी ने पूजा-अर्चना के बाद कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आज भगवान वाल्मीकि की जयंती है. उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने का काम किया और समाज को एक संदेश दिया. आज मेरा सौभाग्य है कि मुझे भगवान वाल्मीकि के चरणों में पूजा करने का अवसर मिला है. मैं उनकी जयंती पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं.

राहुल गांधी का वाल्मीकि मंदिर जाना ढोंग, कांग्रेस आरक्षण विरोधी- भाजपा

इसके पहले, भाजपा ने राहुल गांधी के वाल्मीकि मंदिर जाने और पूजा-अर्चना करने को ढोंग करार दिया और आरोप लगाया कि कांग्रेस का इतिहास ही आरक्षण विरोध का रहा है. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "आज वाल्मीकि जयंती है. कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी वाल्मीकि मंदिर जाने का ढोंग कर रहे हैं, इसलिए फिर एक बार कांग्रेस के आरक्षण विरोधी इतिहास को दोहराना ज़रूरी है. राहुल गांधी ने अपनी हालिया अमेरिकी यात्रा के दौरान कहा है कि वह "आरक्षण हटा देंगे." ये वही धुन है जो राहुल गांधी का परिवार नेहरू के जमाने से गाता आ रहा है."

कांग्रेस के शीर्ष नेहरू-गांधी परिवार पर आरक्षण विरोधी होने का बड़ा आरोप

कांग्रेस के शीर्ष नेहरू-गांधी परिवार पर आरक्षण विरोधी होने का बड़ा आरोप लगाते हुए मालवीय ने आगे लिखा, "जवाहर लाल नेहरू सरकार ने 1956 में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की काका कालेलकर रिपोर्ट को खारिज कर दिया. नेहरू ने 1961 में मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि आरक्षण से अक्षमता और दोयम दर्जे का मानक पैदा होता है. नेहरू ने जीवन भर डॉक्टर अंबेडकर के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें लोकसभा चुनाव में हराने के लिए हर तरह से साजिश रची. इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालकर ओबीसी आरक्षण में देरी की. राजीव गांधी ने 1985 में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को "बुद्धू" कहा था."

राजीव गांधी समेत कांग्रेस की सरकारों ने ओबीसी आरक्षण को कमजोर किया

उन्होंने आगे लिखा कि राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट का विरोध किया और 1990 में लोकसभा में ओबीसी आरक्षण का पुरजोर विरोध किया. वर्ष 2004-2010 के बीच, कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए चार बार प्रयास किए. इसे ओबीसी कोटा से अलग कर दिया और इस तरह ओबीसी को उनके उचित अधिकार से वंचित कर दिया. कांग्रेस ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी इसी तरह के कदम उठाए थे. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अब मुसलमानों को ओबीसी सूची में शामिल कर लिया है. कांग्रेस सरकार ने 2010 में ओबीसी की केंद्रीय सूची में ओबीसी श्रेणी के तहत कुछ मुस्लिम समुदायों को आरक्षण प्रदान किया.

जामिया मिलिया और एएमयू जैसे संस्थानों में नहीं मिलने दिया ओबीसी आरक्षण

भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकारों के कार्यकाल में जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) जैसे सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में वर्गीकृत किया गया, जिससे पिछड़ों को आरक्षण देने से इनकार कर दिया गया. वहीं 93वें संवैधानिक संशोधन (2005) के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को आरक्षण प्रदान करने से छूट दी गई. इस एक कदम से सैकड़ों संस्थानों से पिछड़े समुदायों के अधिकार छीन लिए गए.

वाल्मीकि जयंती पर क्यों मंदिर गए राहुल गांधी और नायब सैनी ?

वाल्मीकि जयंती पर राहुल गांधी और नायब सिंह सैनी के वाल्मीकि मंदिर जाने और भाजपा के आरक्षण और महापुरुषों के सम्मान के नाम कांग्रेस पर हमलावर होने के पीछे के कारणों पर बहस छिड़ गई है. वाल्मीकि जयंती पर फोकस हुई भाजपा और कांग्रेस की राजनीति के पीछे राजनीति के जानकार दलित वोट बैंक के साथ ही महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को वजह मान रहे हैं. 

हरियाणा चुनाव में दलित वोट बैंक ने तय किया चुनावी समीकरण

हरियाणा चुनाव में जातीय प्रभाव के मामले में दूसरे नंबर पर माने जाने वाले दलित वोट बैंक के कांग्रेस से खिसकने की वजह से भाजपा ने बाजी मार ली. हरियाणा में 25 फीसदी से जाट के बाद 21 फीसदी दलित वोटर्स 4 लोकसभा और 30 से ज्यादा विधानसभा में प्रभाव रखते हैं. हरियाणा में काग्रेस के लगातार तीसरी बार सत्ता से दूर रहने के पीछे दलित नेता कुमारी शैलजा की नाराजगी को दूर नहीं किए जाने को भी कारण बताया जा रहा है. 

गलती सुधारने में जुटी कांग्रेस तो विनिंग फॉर्मूला दोहराने में भाजपा

कांग्रेस झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव से पहले हरियाणा में हुई गलती को ठीक करने की कोशिश में जुटी हुई है. वहीं, भाजपा हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीत का सियासी फॉर्मूला बाकी राज्यों में आजमाना चाहती है. क्योंकि महाराष्ट्र और झारखंड में दलित और आदिवासी वोट काफी अहम हैं. ये दोनों समुदाय अगर किसी पार्टी या गठबंधन के पक्ष में आ जाए तो हार-जीत तय करने में निर्णायक साबित हो सकते हैं. 

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महाराष्ट्र और झारखंड में क्या है दलित-आदिवासी वोट का प्रभाव?

महाराष्ट्र में दलित समुदाय की आबादी करीब 14 प्रतिशत है. इनमें आधे से ज्यादा महार हैं और बाकी में मातंग, भांबी और दूसरी जातियां हैं. इसके अलावा 8 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय की है. वहीं, झारखंड में अनुसूचित जाति की आबादी करीब 12 प्रतिशत है और आदिवासी समुदाय की आबादी 26 प्रतिशत है. 

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे. वहीं, 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा के लिए दो चरणों में 13 नवंबर और 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. दोनों राज्यों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.

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