Michhami Dukkadam: जब नई संसद में PM मोदी ने कहा- 'मिच्छामी दुक्कड़म', जानिए इस शब्‍द का मतलब
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Michhami Dukkadam: जब नई संसद में PM मोदी ने कहा- 'मिच्छामी दुक्कड़म', जानिए इस शब्‍द का मतलब

Michhami Dukkadam in Parliament: पीएम नरेंद्र मोदी वैसे तो हर एक अवसर पर कुछ ना कुछ अलग तरह से अपनी बातों को जनता के सामने रखते हैं लेकिन यदि मौका खास हो तो शब्द और महत्वपूर्ण हो जाते हैं. संसद में संबोधन देते हुए उन्होंने मिच्छामी दुक्कड़म शब्द का इस्तेमाल किया जिसे लोगों में उत्सुकता बढ़ गई कि आखिर इस शब्द का क्या मतलब है और यह कहां से आया.

 

Michhami Dukkadam: जब नई संसद में PM मोदी ने कहा- 'मिच्छामी दुक्कड़म', जानिए इस शब्‍द का मतलब

Michhami Dukkadam Meaning: पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद के नए भवन में संबोधित करते हुए एक खास शब्द मिच्छामी दुक्कणम शब्द का प्रयोग किया. यकीन है कि इस शब्द के बारे में शायद ही सुना हो. आखिर इस शब्द का मतलब क्या है. यह शब्द कहां से आया और यदि पीएम मोदी ने इस शब्द का इस्तेमाल किया तो इसका अर्थ क्या है. दरअसल मिच्छामी दुक्कणम शब्द का इस्तेमाल जैन धर्म में होता है. 19 सितंबर 2023 को जैन धर्म का संवत्सरी पर्व है इसे क्षमा वाणिका पर्व भी कहते हैं. इस पर्व पर मिच्छामी दुक्कड़म शब्द बोलकर सभी से माफी मांगी जाती है.

मिच्छामी दुक्कड़म में मिच्छामी का अर्थ क्षमा करना और दुक्कणम का अर्थ गलतियों से होता है. सामान्य तरीके से आप ऐसे समझ सकते हैं. जैसे अगर मेरे द्वारा जानकर या अनजाने में अगर कोई गलती हुई तो उसके लिए क्षमा करें. जैन धर्म में श्वेतांबर समाज से जुड़े लोग भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की पंचमी और दिगंबर समाज के लोग भाद्रपद शुक्ल की पंचमी से चतुर्दशी तक पर्यूषण पर्व मनाते हैं.इस मौके पर लोग एक दूसरे से मिलकर मिच्छामी दुक्कणम के बोल क्षमा याचना करते हैं.

 क्या है मिच्छामी दुक्कड़म

  • इसे जैन धर्म से लिया गया है

  • जाने अनजाने में गलती के लिए मांगी जाती है माफी

  • पर्यूषण पर्व पर इस शब्द का इस्तेमाल खास

पर्यूषण पर्व और मिच्छामी दुक्कड़म

जैन धर्म के मुताबिक पर्यूषण पर्व के आखिरी दिन मैत्री दिवस या क्षमावाणी दिवस पर एक दूसरे मिलकर आपस में अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं, सबसे बड़ी बात कि बिना किसी शिकवा शिकायत, छोटे बड़े का भेदकर आपस में मिच्छामी दुक्कणम बोलते हैं वैसे तो इस शब्द का इस्तेमाल कभी भी किया जा सकता है लेकिन पर्यूषण पर्व के दिन इस शब्द का इस्तेमाल खास होने के साथ साथ शुभ होता है.जैन धर्म में लोग मानते हैं कि कहने को यह दो शब्द है लेकिन इसे बोलकर मन हल्का हो जाता है, आपसी कड़वाहट दूर हो जाती है. अगर किसी से कोई गलती हुई तो उसे मुक्ति मिल जाती है. दरअसल हम अपने जीवन में कभी ना कभी किसी ना किसो को जाने आ अनजाने में दुखी कर देते हैं वैसी सूरत में इस शब्द के इस्तेमाल से बोलने वाले और सुनने वाले दोनों के मन में जो भी कड़वाहट होती है वो मिठास में बदल जाती है. रिश्तों में नए सिरे से गर्माहट आ जाती है.

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