Motivational Story of Aruna: कर्ज से परेशान पिता ने किया था सुसाइड, UPSC परीक्षा में 5 बार झेली असफलता; छठी बार में रच दिया इतिहास
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Motivational Story of Aruna: कर्ज से परेशान पिता ने किया था सुसाइड, UPSC परीक्षा में 5 बार झेली असफलता; छठी बार में रच दिया इतिहास

Motivational Story of Aruna: अपने 5 बच्चों को पढ़ाने के लिए किसान पिता ने कर्ज लिया. लेकिन जब उसे चुका नहीं पाया तो मजबूरी में सुसाइड कर लिया. उसी किसान की बेटी अरुणा ने अपने छठे प्रयास में UPSC का एग्जाम क्लियर करके इतिहास रच दिया है. 

Motivational Story of Aruna: कर्ज से परेशान पिता ने किया था सुसाइड, UPSC परीक्षा में 5 बार झेली असफलता; छठी बार में रच दिया इतिहास

Motivational Story of Aruna: देश में इस बार का संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का रिजल्ट खास रहा है. शुरुआत के टॉप-4 रैंक पर लड़कियों ने कब्जा जमाया है, जिस पर पूरे देश में हर्ष और खुशी व्यक्त की जा रही है. इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में अच्छा प्रयास बताया जा रहा है. ऐसी ही एक प्रेरक कहानी कर्नाटक से आने वाली अरुणा (Aruna) की भी है. जिनके किसान पिता ने कर्ज न चुका पाने पर सुसाइड कर लिया था. वे खुद 5 बार UPSC की परीक्षा में फेल हुई लेकिन इस बार छठे प्रयास में वे 308 रैंक के साथ इस प्रतिष्ठित एग्जाम को क्रैक करने में कामयाब रहीं.

कर्ज से परेशान पिता ने कर ली थी आत्महत्या

अरुणा (Aruna) कर्नाटक की बैकवर्ड क्लास सोसायटी से आती हैं. वे 5 भाई-बहनों में से एक हैं. उनके पिता किसान थे, जिनका एकमात्र सपना था कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर जिंदगी में आगे बढ़ें. इसके लिए उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ाया. धीरे-धीरे कर्ज आगे बढ़ता गया, जिसे वे चुका नहीं पाए. बैंक वालों के लगातार तकादे और मकान की नीलामी की चेतावनी के डर से उन्होंने वर्ष 2009 में परेशान होकर सुसाइड कर लिया. जिस वक्त ये घटना हुई, उस वक्त अरुणा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं.

लगातार 5 बार UPSC की परीक्षा में हुई फेल

इस घटना ने अरुणा (Aruna) के मन पर गहरा प्रभाव डाला और उन्होंने पिता के सपनों को पूरा करने का मन बनाया. उन्होंने वर्ष 2014 से शुरू करके एक के बाद एक लगातार 5 बार UPSC की परीक्षा दी लेकिन क्लियर नहीं कर पाईं. बड़ी बात ये थी कि कर्नाटक समेत देशभर में पिछड़े वर्ग के लिए OBC कोटा लागू है लेकिन उन्होंने पढ़ाई से लेकर UPSC की परीक्षा में आरक्षण का इस्तेमाल नहीं किया और हर बार अनारक्षित वर्ग के रूप में एग्जाम दिया.

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छठी बार में क्रैक कर लिया UPSC का एग्जाम

आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और इस साल जारी हुई UPSC की लिस्ट में उनका नाम आ गया. उनका इस बार यह छठा प्रयास था. इस परीक्षा में उनका 308वां रैंक आया है और उन्हें IPS संवर्ग मिलना तय माना जा रहा है. वे अपनी इस उपलब्धि को अपने स्वर्गीय पिता की मेहनत को देती हैं. वे कहती हैं कि उनके मां-बाप ने इस दिन के लिए जितना किया, वह कोई नहीं कर सकता. 

बेंगलुरु में खुद की चला रखी है कोचिंग एकेडमी

अरुणा (Aruna) कहती हैं कि वे नहीं चाहती कि उनके पिता की तरह देश का कोई और किसान इस तरह आत्महत्या के लिए मजबूर हो. इसके लिए वे नौकरी में आने के बाद किसानों को समझाने और उन्हें नए आर्थिक रास्ते बताने का काम करेंगी. उन्होंने बेंगलुरु में अपने नाम से 'अरुणा एकेडेमी' भी शुरू की है, जिसमें वे ग्रामीणों युवाओं को यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए प्रेरित करती हैं. अरुणा का कहना है कि इस एकेडमी को खोलने का मकसद ग्रामीण युवाओं की मदद करना है. 

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