Chitrakoot Ka Gadho Ka Mela:बताया जाता है कि औरंगजेब ने अपनी सेना में शामिल करने के लिए गधा-मेला की शुरुआत की थी.जिसमें अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं.
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संजय लोहानी/सतना: चित्रकूट में दीपदान मेले में दिवाली के दूसरे दिन मंदाकिनी नदी के किनारे ऐतिहासिक गधा मेला लगता है. यह मेला औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा है.इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं. यहां बिकने आने वाले ज्यादातर गधों को फिल्म स्टार का नाम दिया जाता है.जिसमें अमिताभ बच्चन,सलमान, शाहरुख आदि के नामों की बोली लगती है.इस बार सबसे ज्यादा बोली सलमान नाम के गधे की 2 लाख लगी है तो शाहरुख 90 हजार में बिक गया है.
मेले की परंपरा बहुत पुरानी
मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले की परंपरा बहुत पुरानी है.इस मेले की शुरुआत मुगल बादशाह औरंगजेब ने की थी.औरंगजेब ने चित्रकूट के इसी मेले से अपनी सेना के बेड़े में गधों और खच्चरों को शामिल किया था.इसलिए इस मेले का ऐतिहासिक महत्व है इस मेले में एक लाख से तीन लाख तक के गधे बिकते हैं.
बिक्री के लिए पहुंचे 5 हजार गधे
मध्यप्रदेश-उत्तर प्रदेश के बार्डर में पुण्य सलिला मंदाकिनी के तट पर लगभग डेढ़ एकड़ के क्षेत्र में इस बार गधा-मेला लगाया गया है.यहां करीब 5 हजार गधे बिक्री के लिए पहुंचे हैं.इस बार काफी संख्या में खच्चर भी बिकने को पहुंचे हैं.इस बार सबसे ज्यादा बोली सलमान नाम के गधे की 2 लाख रुपये की लगी है तो वहीं शाहरुख को 90 हजार रुपये में मिले.
धीरे-धीरे व्यापारियों का आना हो रहा है कम
मुगल काल से चली आ रही ये परंपरा सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खात्मे की कगार पर है.नदी के किनारे भीषण गंदगी के बीच लगने वाले इस मेले में व्यापारियों को न तो पीने का पानी मुहैया होता है और न ही छाया.दो दिवसीय गधा मेले में सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक के जवान नहीं लगाए जाते.वहीं व्यापारियों के जानवर बिकें या न बिकें ठेकेदार उनसे पैसे वसूल लेते हैं.ऐसी हालत में यह ऐतिहासिक गधा मेला अपना अस्तित्व खोता जा रहा है.धीरे-धीरे व्यापारियों का आना कम हो रहा है.
वहीं गधा ब्यापरियो ने बताया कि मेले में ढेकेदार द्वारा 30 रुपये प्रति खूंटा जानवर के बांधने का लिया जाता है एवं 500 रुपये प्रति जानवर इंट्री का लिया जाता हैं और सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता है.गधे व्यापारी ने इसे अवैध वसूली बताया है.