MP BJP Jila Adhyaksh: मध्य प्रदेश में बीजेपी अब तक 47 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर चुकी है. माना जा रहा है कि बीजेपी ने सभी जिलों में समीकरण बनाकर ही इनका चयन किया है.
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MP BJP District President: बीजेपी को इस बार मध्य प्रदेश में पार्टी के जिलाध्यक्ष चुनने में मशक्कत करनी पड़ी है, कही एक जिले में दो अध्यक्षों का ऐलान किया गया तो कही नेता की पसंद के लिए नियमों को भी बदला गया. किसी जिले में संगठन के नेता को कमान मिली तो कई जिले में सीनियर नेताओं के सर्मथकों को मौका दिया गया है. कुल मिलाकर बीजेपी ने मध्य प्रदेश के जिलाध्यक्षों के चयन में सभी समीकरणों को साधने की कोशिश की है. अब तक हुए 47 जिलाध्यक्षों के ऐलान को करीब से देखा जाए तो राजनीतिक जानकार तो यही कहते नजर आ रहे हैं कि पार्टी ने सीएम मोहन यादव से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर तक सबके समीकरणों को साधा है, जबकि जातिगत समीकरणों से लेकर संगठन के सीनियर नेताओं की पसंद को भी तरहीज दी गई है.
दिल्ली से भोपाल तक चली उठापठक
इस बार मध्य प्रदेश में बीजेपी के जिलाध्यक्षों के चयन के लिए दिल्ली से भोपाल तक सियासी हलचल देखी गई थी. कई बैठकों के दौर के बाद जब जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान शुरू हुआ तो नामों में इन बैठकों का असर दिखा. अब जारी 47 जिलाध्यक्षों में देखा जाए तो ज्यादातर बड़े नेताओं के करीबियों को ही जगह मिली है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कार्यकाल में बनाए गए ज्यादातर अध्यक्षों को रिपीट किया गया है, जबकि सीएम मोहन यादव के समर्थकों को भी जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है. वहीं ग्वालियर चंबल में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच समन्वयय बनाने की कोशिश हुई है, इसके अलावा मोहन सरकार के सीनियर मंत्रियों के जिले में उनकी पसंद का दबदबा दिखा है.
वीडी शर्मा और सीएम मोहन का सबसे ज्यादा समर्थक
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान सीएम मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन से की थी. उज्जैन के दोनों ग्रामीण और शहरी अध्यक्ष सीएम मोहन के करीबी माने जाते हैं. जबकि करीब 10 जिलों में उनके करीबियों को मौका दिया गया है, जिनमें उज्जैन और इंदौर संभाग के जिले शामिल हैं, क्योंकि उज्जैन सीएम का गृह जिला है तो मुख्यमंत्री ने इंदौर जिले का प्रभार खुद ले रखा है. वहीं बुंदेलखंड और महाकौशल के जिलाध्यक्षों के चयन में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की टीम के 20 लोगों को जिलों की कमान दी गई है. ग्वालियर शहर के जिलाध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया भी वीडी शर्मा के करीबी माने जाते हैं.
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ग्वालियर चंबल में सिंधिया और तोमर के बीच समन्वय
बात अगर ग्वालियर-चंबल इलाके की जाए तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पसंद के जिलाध्यक्ष उनके लोकसभा क्षेत्र गुना-शिवपुरी के जिलों में बनाए गए हैं. शिवपुरी में सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए बीजेपी ने नियमों तक में बदलाव कर दिया, जाटव को पार्टी में आए हुए ही चार साल हुए हैं, जबकि जिलाध्यक्ष बनने के लिए करीब 6 साल तक पार्टी का सदस्य होना जरूरी होता है, बावजूद इसके उन्हें अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं गुना और अशोकनगर जिले में भी सिंधिया के करीबी नेताओं को ही जिलाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं चंबल दो मुख्य जिले मुरैना और भिंड में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों को जगह दी गई है. जबकि भिंड जिले में पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया के समर्थक माने जाने वाले देवेंद्र नरवरिया को फिर से अध्यक्ष बनाया गया है.
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मोहन सरकार के मंत्रियों का भी दखल
जिलाध्यक्षों के चयन में मोहन सरकार के मंत्रियों का भी दखल दिखा है. दमोह और जबलपुर ग्रामीण में मंत्री प्रहलाद पटेल के समर्थकों को कमान मिली तो जबलपुर शहर के अध्यक्ष रत्नेश सोनकर मंत्री राकेश सिंह के करीबी माने जाते हैं. वहीं रीवा, सतना और मऊगंज जिले में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला की पसंद दिखी है, दतिया जिले में एक बार फिर पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के करीबी को अध्यक्ष बनाया गया है. एक और बड़े जिले सागर में शहरी अध्यक्ष के लिए मंत्री गोविंद राजपूत की पसंद को तरहीज दी गई तो ग्रामीण अध्यक्ष के चयन में सबसे सीनियर विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की पसंद को मौका दिया गया है.
जातिगत समीकरण के साथ आधी आबादी को भी साधा
बीजेपी ने जिलाध्यक्षों के चयन में जातिगत समीकरणों के साथ-साथ आधी आबादी यानि महिलाओं को भी इस बार मौका दिया है. अब तक 47 में से 16 जिलों की कमान ओबीसी नेताओं सौंपी गई है, जबकि यह संख्या और बढ़ सकती है, ऐसे में कहा जा सकता है कि सरकार के बाद संगठन में भी बीजेपी ने ओबीसी को तरहीज दी है. जबकि 11 ब्राह्मणों को जिलाध्यक्ष बनाया है. हीं 5 क्षत्रिय और 6 वैश्य नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा पहली बार 4 अनुसूचित जाति के नेता भी जिलाध्यक्ष बने हैं. इसके अलावा आदिवासी वर्ग से 1 नेता को कमान मिली है. जबकि मध्य प्रदेश में पहली बार 4 महिला नेताओं को भी जिलाध्यक्ष पद की कमान दी गई है. इस तरह भाजपा ने मध्य प्रदेश में जातिगत समीकरणों को भी साधा है. ऐसे में बचे हुए 15 जिलाध्यक्षों में अब आदिवासी वर्ग के नेता ज्यादा हो सकते हैं.
15 नामों की घोषणा बाकी
मध्य प्रदेश में अब तक बीजेपी संगठन के हिसाब से 60 जिले थे, जिनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में ग्रामीण और शहरी बनाए जाते थे, लेकिन इस बार सागर और धार जिले में भी दो-दो अध्यक्ष बनाए जा रहे हैं. इस हिसाब से प्रदेश में इस बार कुल 62 जिलाध्यक्षों के नामों का ऐलान होना है, फिलहाल 15 नामों का ऐलान होना बाकि है, जिसमें प्रदेश का सबसे बड़ा इंदौर जिला भी शामिल है. माना जा रहा है कि भाजपा आज यहां भी जिला अध्यक्षों के नामों का ऐलान कर सकती है.
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