chhattisgarh news-छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर एक स्कूल में बेजुबानों जानवरों के प्रति करुणा और प्यार का पाठ सिखाया जाता है. इस स्कूल में बेजुबान जानवरों के लिए विशेष तरह की मुहिम की शुरुआत की गई थी, जो अब तक जारी है. स्कूल में पढ़ने वाले छात्र अपने टिफिन में एक रोटी ज्यादा लेकर आते हैं. इस एक्स्ट्रा रोटी लाने को संस्कार और परंपरा से जोड़कर देखा जाता है.
रायपुर के वीर छत्रपति शिवाजी स्कूल में छात्र जानवरों के नाम से एक रोटी को दान करते हैं. स्कूलों की दीवारों पर गाय की तस्वीर बनी हुई है, जिसमें पहली रोटी गाय की लिखा हुआ है. स्कूल के बच्चे रोजाना टिफिन में एक रोटी गाय के नाम की रख कर लाते हैं.
रोटी को दान करने के लिए एक दान पेटी बनाई गई है. इसमें ही बच्चे रोजाना टिफिन से एक रोटी दान करते हैं. स्कूल में एंट्री गेट के पास ही 2 दान पेटी रखी हैं, जिसमें बच्चे रोटी दान करते हैं.
स्कूल में प्रवेश के समय ही बच्चे टिफिन से एक रोटी निकालते हैं और बॉक्स में डाल देते हैं, इसके बाद बच्चे अपनी क्लास में एंट्री लेते हैं.
दो बैच में संचालित स्कूल में रोटियां इकट्ठा होने के बाद शाम को उसे रायपुर के ही दूधाधारी मठ के गोशाला में भेजा जाता है, शाम को यही रोटियां गाय को खिलाई जाती हैं.
स्कूल के संचालक मुकेश शाह बताते हैं कि भारतीय पंरपरा है कि हम घर में बनने वाली पहली रोटी गाय और अंतिम रोटी कुत्ते को खिलाते हैं. स्कूल में 700 बच्चे पढ़ते हैं, रोज इतनी ही रोटी इकट्ठा हो जाती हैं.
उन्होंने बताया कि भारतीय परंपरा के अनुरूप परिवार वाले पहली रोटी गाय के लिए बना रहे हैं और उसे टिफिन में रख कर दान पेटी तक पहुंचा रहे हैं.
स्कूल के संचालक ने बताया कि स्कूल के विद्यार्थियों को समय-समय पर वृद्धा आश्रम, बाल आश्रम का भ्रमण करवाया जाता है. रक्षा बंधन के दिन स्कूल की छात्राएं बाल आश्रम जाती हैं और वहां बच्चों को राखी बांधती हैं. ताकि अनाथ या अकेले रह रहे बच्चों को परिवार का एहसास हो सके.
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