छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर की चर्चा अब देश के साथ-साथ विदेश में भी हो रही है. अंबिकापुर में प्रशासन ने प्लास्टिक मैनेजमेंट का ऐसा गजब का मॉडल तैयार किया है, जिसे देख कई देश हैरान हैं.
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Chhattisgarh News/रूपेश गुप्ता: स्वच्छता को लेकर अंबिकापुर की अब तक राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तो होती थी, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि शहर की चर्चा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है. फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्लास्टिक पॉल्युशन को लेकर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस में ब्राजील, आस्ट्रेलिया समेत कई बड़े देशों के प्रतिनिधियों के सामने अंबिकापुर की जमकर तारीफ की गई.
अंतरराष्ट्रीय स्तर अंबिकापुर की चर्चा होना छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है. कॉन्फ्रेंस में वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहे देशों के अलावा कई बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन के प्रतिनिधि भी शामिल थे. अंतरराष्ट्रीय मंच पर अंबिकापुर के कामों की चर्चा से अभियान से जुड़ी स्वच्छता दीदियों का हौसला बढ़ेगा, क्योंकि इन्हीं की बदौलत अम्बिकापुर को ये पहचान मिली है. प्लास्टिक के कचरे से होने वाले पॉल्युशन से दुनिया चिंतित हैं और हर कोई इससे निपटने की तरकीब खोज रहा है. भारत सरकार ने तीन निगमों अंबिकापुर, विजयवाड़ा, पोर्ट ब्लेयर को भेजा था. यहां अंबिकापुर के स्वच्छता मॉडल को दुनिया ने देखा.
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क्या है अंबिकापुर का प्लास्टिक पॉल्यूशन मॉडल
1. प्लास्टिक कचरे को सड़क पर आने से रोकने गार्बेज कैफे चल रहा है. इसमें आधा किलो प्लास्टिक देने पर मुफ्त नाश्ता और एक किलो प्लास्टिक देने पर मुफ्त भोजन कराया जाता है.
2. सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने दीदी बर्तन बैंक चलाया जा रहा है. शादी, विवाह से लेकर पार्टियों में किराये पर दीदियां स्टील का बर्तन देते हैं. इससे सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लग रही है.
3. स्वच्छता अभियान महिलाओं के रोजगार से जोड़ा गया है. महिला सशक्तिकरण में इसे बेस्ट बताया गया. भारत सरकार की भी यही थीम है.
अंबिकापुर की तरह बाकी देश भी करें काम: मॉडरेटर
फ्रांस की क्वीजन सिटी की महापौर जॉय बेलमोंट ने अंबिकापुर मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि अंबिकापुर छोटे और मध्यम श्रेणी के नगरों के लिए उत्कृष्ट उदाहरण है. ये कचरा प्रबंधन के साथ रोजगार भी दे रहा है. उन्होंने कहा कि बाकी देशों को भी इसी तरह से काम करना चाहिए, जिससे प्लास्टिक कचरे से होने वाले पॉल्युशन को रोका जा सके.