Punjab and Haryana High Court: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक चौंका देने वाला फैसला सुनाया है. कोर्ट ने एक जज को फिर से बहाल करने का आदेश दिया. उन्हें 15 साल पहले उनकी पत्नी की शिकायत पर सेवा से हटा दिया गया था.
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Punjab and Haryana High Court: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एक चौंका देने वाला फैसला सुनाया है. कोर्ट ने एक जज को फिर से बहाल करने का आदेश दिया. उन्हें 15 साल पहले उनकी पत्नी की शिकायत पर सेवा से हटा दिया गया था. दिलचस्प बात यह है कि उनकी पत्नी भी दिल्ली में जज थीं. इस मामले में 2009 में शिकायत के बाद जज पीयूष गखर को उनके पद से हटाने की सिफारिश की गई थी.
पत्नी की शिकायत और हटाने की प्रक्रिया
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक 2009 में पीयूष गखर की पत्नी ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद एडमिनिस्ट्रेटिव जज ने गखर के आचरण को न्यायिक अधिकारी के लिए अनुचित बताया और उनकी नैतिकता पर सवाल उठाए. 2010 में हाईकोर्ट की फुल कोर्ट की सिफारिश पर उन्हें सेवा से हटा दिया गया.
गखर ने हाईकोर्ट में दी चुनौती
गखर ने अपने खिलाफ इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें अपना पक्ष रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया. 17 जनवरी को दिए गए फैसले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि गखर को हटाने की प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ. कोर्ट ने पाया कि गखर को कोई चार्जशीट नहीं दी गई. उन्हें शिकायत की प्रति या पत्नी के बयान की जानकारी नहीं दी गई. उन्हें बिना तैयारी के तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया.
गखर एक अच्छे जज...
कोर्ट ने यह भी देखा कि 2007-08 और 2008-09 के लिए गखर की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में उन्हें अच्छा अधिकारी बताया गया था. जिला जज ने भी उनके काम को सराहा था.
बहाली के आदेश
हाईकोर्ट ने गखर की सेवा बहाल करने का आदेश दिया. इसमें उनके वेतन, वरिष्ठता और सेवा निरंतरता को भी शामिल किया गया. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार चाहे तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर सकती है.
यहां समझें पूरा मामला
गखर ने 2006 में न्यायिक सेवा जॉइन की थी. उनकी सगाई उनकी बैचमेट से हुई जो बाद में उनकी पत्नी बनीं. 2009 में शादी के बाद उनकी पत्नी ने हरियाणा न्यायिक सेवा से इस्तीफा देकर दिल्ली न्यायिक सेवा जॉइन कर ली. शादी के कुछ ही समय बाद उनकी पत्नी ने गखर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. 2012 में दोनों को शादी रद्द करने का डिक्री मिला. गखर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव आत्मा राम और अन्य वकीलों ने पैरवी की. वहीं, हाईकोर्ट और हरियाणा सरकार की ओर से अलग-अलग वकीलों ने उनका पक्ष रखा.