Infosys Co-Founder: इंफोसिस के को फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति ने कहा है कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, भारत में आर्थिक गतिविधियां 'ठहर' गईं थीं. उस दौरान देश में निर्णय नहीं लिए जा रहे थे.
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Narayana Murthy Statement: देश के दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के को फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति ने कहा है कि कांग्रेस की सरकार ने देश को आधार कार्ड जैसी व्यवस्था देने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन इसके बाद भी वो मनमोहन सिंह सरकार में समय को बहुत अच्छा नहीं मानते. क्योंकि यूपीए सरकार में भारत में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी गई थीं.
'मनमोहन सरकार में ठहर गई थीं आर्थिक गतिविधियां'
इंफोसिस के को फाउंडर IIM अहमदाबाद के छात्रों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि UPA सरकार के वक्त, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, भारत में आर्थिक गतिविधियां 'ठहर' गईं थीं. उस दौरान देश में निर्णय नहीं लिए जा रहे थे. दुनिया में भारत की कोई खास पूछ नहीं थी. इसके उलट आज दुनिया में भारत का बेहद सम्मान है, जो दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
भारतीय युवा बन सकता है चीन का प्रतिस्पर्धी
छात्रों के साथ बातचीत के दौरान मूर्ति ने भरोसा जताया कि युवा दिमाग भारत को चीन का एक योग्य प्रतिस्पर्धी बना सकता है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, 'मैं लंदन में (2008 और 2012 के बीच) एचएसबीसी के बोर्ड में था. पहले कुछ वर्षों में, जब बोर्डरूम (बैठकों के दौरान) में चीन का दो से तीन बार उल्लेख किया गया, तो भारत का नाम एक बार आता था'.
चीन ने भारत को बड़े अंतर से पीछे छोड़ा
मूर्ति ने छात्रों से कहा, 'जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो बहुत ज्यादा जिम्मेदारी नहीं थी, क्योंकि ना मुझसे और ना भारत से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं. आज आपसे देश को आगे ले जाने की उम्मीदें हैं. चीनी अर्थव्यवस्था भारत से 6 गुना बड़ी है. चीन ने भारत को 44 सालों में बहुत बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया है. चीन की तरक्की अविश्वसनीय है. मेरे हिसाब से आप लोग भारत को चीन का सही प्रतिद्वंद्वी बना सकते हैं.'
'UPA के दौर में नहीं लिए गए फैसले'
मूर्ति ने आगे कहा, 'लेकिन दुर्भाग्य से, मुझे नहीं पता कि बाद में भारत के साथ क्या हुआ. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह एक असाधारण व्यक्ति थे और मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है. लेकिन UPA के दौर में भारत ठहर गया था. निर्णय नहीं लिए जा रहे थे.'
'भारत देश की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था'
जब उन्होंने साल 2012 में एचएसबीसी छोड़ा, तो बैठकों के दौरान भारत का नाम शायद ही कभी आता था, जबकि चीन का नाम लगभग 30 बार लिया गया. मूर्ति ने कहा कि आज दुनिया में भारत के लिए सम्मान का भाव है और देश अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.
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