खोया, मिला और फिर खो गया... 2 परिवारों के बीच उलझी किडनैपिंग की 31 साल पुरानी कहानी
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खोया, मिला और फिर खो गया... 2 परिवारों के बीच उलझी किडनैपिंग की 31 साल पुरानी कहानी

Ghaziabad​ news: अब बड़ा सवाल ये है कि किसी शख्स की पहचान महज तीन दिन पहले पूरी तरह बदल गई. अब कोई उसे मोनू शर्मा कह रहा है तो कुछ लोग भीम सिंह के नाम से उसे पुकार रहे हैं.

 

सांकेतिक फोटो: गाजियाबाद पुलिस इंस्टाग्राम

Lost son found: असली या नकली... सांप या रस्सी? हमारे पूर्वज ऐसी मिसालें न सिर्फ डर को दूर भगा देते थे, बल्कि इस तरह की मिसालों से मुश्किल से मुश्किल पहेलियां सुलझा देते थे. रियल या फेक? ये सवाल है आज भी प्रासंगिक है. यहां बात गाजियाबाद की उस फैमिली की जिनका बेटा 31 साल पहले महज 7 साल की उम्र में स्कूल से घर आते समय अगवा हो गया था. जानकारी के मुताबिक वो बहन के साथ स्कूल से लौट रहा था तभी बदमाश उसे एक वैन में किडनैप करके ले गए थे.

कहानी फिल्मी है...

उसने बहुत बुरे दिन देखे. कभी पीटा तो कभी भूखा सोया. लेकिन जब ऊपरवाला मेहरबान हुआ तो उसे मां-बाप समेत सब कुछ मिल गया. इस स्टोरी में कितनी सच्चाई है ये पता लगाने के लिए दो राज्यों की पुलिस एक्टिव हुई. खासकर बीते कुछ दिनों की पड़ताल में मामला असली लेकिन कहानी फिल्मी दिख रही है.

सालों की गुमनानी में रहने के बाद, अगवा हुए लड़के को अगर कुछ याद था तो बस मां-बाप-बहन का नाम. वहीं शहर और मोहल्ले की धुंधली सी तस्वीरें भी जेहन में ताजा थीं. तीन दशक में उसके शहक की बसावट भी बहुत हद तक बदल गई. दिन बीतते रहे और तमाम टूटी फूटी यादों की ओवरलैपिंग से बनी कहानी एक गुलदस्ते के बिखरे फूलों की तरह बंध चुकी है.

अब बड़ा सवाल ये है कि किसी शख्स की पहचान महज तीन दिन में कैसे बदल गई? अब कोई उसे मोनू शर्मा कह रहा है तो कुछ लोग भीम सिंह के नाम से उसे पुकार रहे हैं.

पुलिस की पड़ताल जारी

ये कहानी कैसे परवान चढ़ी ये बताने से पहले, ये जान लीजिए कि अभी पुलिस की जांच जारी है. दरअसल एक शख्स ने गाजियाबाद के एक पुलिस स्टेशन में दाखिल होकर दावा किया था कि 31 साल पहले सात साल की उम्र में उसका अपहरण कर लिया गया था. प्रारंभिक 'जांच' के बाद, उसके 'खुलासे' से उसका अपनी फैमिली के साथ भीगी पलकों से पुनर्मिलन हुआ. कथित रूप से मां-बाप का वो बेटा लौट आया जिसके लिए वो तीस साल से मातम मना रहे थे, उसके मिलने की आस खो चुके थे. एक अर्सा बीत गया था. लेकिन एक मां के दिल ने अपने दिमाग में कभी ये ख्याल नहीं आने दिया कि उसके बेटे को कहीं कुछ हो तो नहीं गया होगा.

पुलिस उस पहेली का जवाब ढूंढने के लिए मामले की जांच कर रही है, जिसकी कहानी दो राज्यों की सीमाओं यूपी और उत्तराखंड के बीच उलझी थी. मोनू कहें या भीम वो पहली बार किसी तीसरे के जेहन यानी लाइम लाइट में इसी साल जुलाई की शुरुआत में आया. जब देहरादून की पुलिस को उसकी खबर मिली.

ड्राइवर बना भगवान!

टीओआई की रिपोर्ट के देहरादून पुलिस के सामने उस लड़के ने अपनी पहचान बताते समय अपना नाम मोनू शर्मा बताया. उसने थाने में बताया- 'अज्ञात व्यक्तियों ने उसका अपहरण कर लिया था जो उसे राजस्थान में ले गए. वहां उसे बेच दिया गया. जिस परिवार ने उसे खरीदा वो चरवाहों की फैमिली थी. वहां उसे बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने को मजबूर किया गया था. आखिरकार उसे उत्तराखंड के एक ट्रक ड्राइवर ने बचाया, जो मवेशियों को खरीदने वहां गया था. 

पुलिस की पहल

पुलिस ने 31 साल से लापता शख्स की घर वापसी कराने का फैसला किया. उत्तराखंड पुलिस ने फौरन उसकी तस्वीर के साथ एक विज्ञापन जारी किया. उस पर देहरादून के पटेल नगर निवासी बुजुर्ग आशा शर्मा की नजर पड़ी. उसने कहा कि ये उसका लापता बेटा है और इस तरह वो उनके साथ चला गया.

मामले में आया ट्विस्ट

इस घटनाक्रम के कुछ दिन बाद वही कथित लापता शख्स दो दिन पहले गाजियाबाद के खोड़ा थाने में पेश हुआ. इस बार उसने खुद की पहचान भीम सिंह के रूप में बताई. नई रीटेलिंग में, खोड़ा थाने में उसने किडनैपिंग की वही कहानी दोहराई. इसके बाद गाजियाबाद पुलिस ने उसकी तस्वीर जारी की तो एक और परिवार खुशी से झूम उठा, उन्हें महसूस हुआ कि उनका बच्चा मिल गया.

देहरादून वाली फैमिली का खुलासा

आशा के पति कपिल देव शर्मा ने कहा, उसके आने के बाद मुझे उस पर यकीन नहीं हुआ. मुझे हमेशा ये लगता था कि वो धोखेबाज है. वो अक्सर लड़ता था. मेरी पत्नी से प्रॉपर्टी की बात करता था. गाजियाबाद (घटना) का केस सुनने के बाद, यकीन हो गया है कि वो धोखा दे रहा था. उसे पकड़ा जाना चाहिए ताकि वो दोबारा किसी परिवार की भावनाओं से खिलवाड़ न कर सके. कपिल देव शर्मा ने ये भी आरोप लगाया कि दिल्ली की ओर जाने से पहले, उसने अपनी मजबूरी की मनगढ़ंत कहानी सुनाकर एक NGO से 8000 रुपये झटक लिए थे.

इस एपिसोड को लेकर उत्तराखंड की ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल के इंसपेक्टर का कहना है कि मामले की जांच के लिए गाजियाबाद पुलिस से बात चल रही है. अब तक, ऐसा लगता है कि दोनों मामलों में यह एक ही व्यक्ति है. हम उसकी असली पहचान निर्धारित करने और उसके इरादों को समझने के लिए काम कर रहे हैं. अगर धोखाधड़ी का मामला कंफर्म हुआ तो हम सुनिश्चित करेंगे कि उसकी वजह से गाजियाबाद वाला हो या फिर कोई और परिवार हो उसे किसी तरह का नुकसान न हो.

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