Garba in UNESCO List: भारत के गुजराती लोकनृत्य गरबा का बोलबाला आज पूरी दुनिया में देखने को मिला. जब यूनेस्को ने इसे अपनी 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की लिस्ट में जगह दी. यह गुजरात ही नहीं पूरे देश को गौरवान्वित करने वाला क्षण है.
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Garba in UNESCO List: भारत के गुजराती लोकनृत्य गरबा का बोलबाला आज पूरी दुनिया में देखने को मिला. जब यूनेस्को ने इसे अपनी 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की लिस्ट में जगह दी. यह गुजरात ही नहीं पूरे देश को गौरवान्वित करने वाला क्षण है. यूनेस्को लिस्ट में गरबा के शामिल होने पर पीएम मोदी ने गरबा को जीवन, एकता और गहरी परंपराओं का उत्सव बताया. गरबा के यूनेस्को की लिस्ट में शामिल होने पर गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने भी खुशी जाहिर की है.
पीएम मोदी ने जताई खुशी
पीएम मोदी ने 'एक्स' पर लिखा, 'अमूर्त विरासत सूची पर इसका शिलालेख दुनिया को भारतीय संस्कृति की सुंदरता दिखाता है. यह सम्मान हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारी विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है. इस वैश्विक स्वीकृति के लिए बधाई.' भारत ने नवरात्रि उत्सव के दौरान गुजरात और देश के कई अन्य हिस्सों में किए जाने वाले गरबा को यूनेस्को की इस सूची में शामिल करने के लिए नामित किया था.
सीएम पटेल ने कहा...
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने बुधवार को कहा कि राज्य के लोकप्रिय गरबा नृत्य को यूनेस्को ने ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की प्रतिनिधि सूची’ में शामिल किया है. पटेल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘गरबा के रूप में देवी मां की भक्ति की सदियों पुरानी परंपरा जीवित है और बढ़ रही है. गुजरात की पहचान बन चुके गरबा को यूनेस्को ने अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची के तहत मंजूरी दी है.’
गुजरातियों के लिए गौरव का क्षण
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह दुनिया भर में फैले गुजरातियों के लिए गौरव का क्षण है. यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की विरासत को महत्व दिए जाने और ऐसी विरासत को दुनिया भर में ले जाने का परिणाम है. गुजरात के लोगों को बधाई.’ मंगलवार को कसाने, बोत्सवाना में शुरू हुई अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की हिफाजत के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सहेजने संबंधी 2003 की संधि के प्रावधानों के तहत इसे सूची में शामिल किया गया.
यूनेस्को की लिस्ट में गरबा
गुजरात का गरबा नृत्य इस सूची में शामिल होने वाला भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है. यह उपलब्धि सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है. एक नृत्य शैली के रूप में गरबा परंपरा और श्रद्धा की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं और यह समुदायों को एकजुट करने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है.
क्या है गरबा?
यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार गरबा एक ‘अनुष्ठानात्मक और भक्तिपूर्ण नृत्य’ है जो नवरात्रि के त्योहार के अवसर पर किया जाता है, जो आदिशक्ति की पूजा के लिए समर्पित है. यह नृत्य कलश के चारों ओर होता है, जिसमें लौ जलती है. इसके साथ ही देवी मां अम्बा की एक तस्वीर होती है. नर्तक गोल घेरे में लयबद्ध तरीके से ताली बजाते हुए नाचते हैं. भारत की परंपराओं या सांस्कृतिक आयोजन जैसे कि रामलीला, वैदिक मंत्रोच्चार, कुंभ मेला और दुर्गा पूजा को पहले ही यूनेस्को सूची में जगह मिल चुकी है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)