Poll Rules changed: झारखंड विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बावजूद विपक्षी दलों के नेता महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की अप्रत्याशित हार के बाद सूपड़ा साफ होने का घटनाक्रम पचा नहीं पा रहे हैं. वो ईवीएम में दोष देकर बैलेट से चुनाव की मांग कर रहे हैं. इस बीच सरकार ने चुनावों को लेकर बड़ा फैसला लिया है.
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Elections Rules in India: भारत की चुनाव प्रकिया में एक नए और दूरदर्शी निर्णय लेने के लिए संसद में एक देश एक चुनाव का बिल संसद में पेश हो चुका है. वो कानून बन गया तो भी उसे लागू होने में अभी कम से कम पांच से दस साल लगने की बातें कही जा रही है. दरअसल देश में जिस तरह सात वार में नौ त्योहार होते हैं, उसी तरह भारत के राज्यों में कहीं न कहीं चुनावी सीजन हमेशा बना रहता है. इस बीच विपक्ष के ईवीएम भगाओ बैलट बॉक्स लाओ की मांग से इतर देश की चुनाव प्रकिया को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
सरकार ने चुनाव नियमों में बदलाव करते हुए CCTV कैमरा और वेबकास्टिंग फुटेज तथा उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण को रोक दिया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके. निर्वाचन आयोग (EC) की सिफारिश के आधार पर, केंद्रीय कानून मंत्रालय ने सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे गये ‘कागजात’ या दस्तावेजों के प्रकार को प्रतिबंधित करने के लिए चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 में संशोधन किया है. नियम 93 के अनुसार, चुनाव से संबंधित सभी ‘कागजात’ सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जायेंगे. संशोधन में ‘कागजातों’ के बाद ‘जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है’ शब्द जोड़े गए हैं.
सरकार का फैसला
विधि मंत्रालय और निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने अलग-अलग बताया कि संशोधन के पीछे एक अदालती मामला था. यद्यपि नामांकन फार्म, चुनाव एजेंट की नियुक्ति, परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का उल्लेख चुनाव संचालन नियमों में किया गया है, लेकिन आदर्श आचार संहिता अवधि के दौरान सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते हैं. निर्वाचन आयोग के एक पूर्व अधिकारी ने बताया, ‘चुनाव आचार संहिता के तहत मतदान केंद्रों की सीसीटीवी कवरेज और वेबकास्टिंग नहीं की जाती है, बल्कि यह निर्वाचन आयोग द्वारा समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों का परिणाम है.’
आयोग की दलील
निर्वाचन आयोग के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां नियमों का हवाला देते हुए ऐसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए हैं. संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि केवल नियमों में उल्लेखित कागजात ही सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध होंगे और कोई अन्य दस्तावेज जिसका नियमों में कोई संदर्भ नहीं है, उसकी सार्वजनिक निरीक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी.’
चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि पोलिंग सेंटर्स के अंदर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के दुरुपयोग से मतदान की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस फुटेज का इस्तेमाल AI का उपयोग करके फर्जी खबरों का माहौल बनाने के लिए किया जा सकता है. एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, ‘हालांकि सीसीटीवी फुटेज सहित ऐसी सभी सामग्री उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध है. संशोधन के बाद भी यह उनके लिए उपलब्ध होगी. लेकिन अन्य लोग ऐसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए हमेशा अदालतों का दरवाजा खटखटा सकते हैं.’
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में चुनाव आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव से संबंधित आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां वकील महमूद प्राचा को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. प्राचा ने चुनाव संचालन से संबंधित वीडियोग्राफी, सीसीटीवी कैमरा फुटेज और फॉर्म 17-C की प्रतियों की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी. (इनपुट:भाषा)