Raksha Bandhan Celebration: गाजियाबाद के मुरादनगर इलाके का एक गांव सुराना में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है. यहां बहने अपने भाईयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती.
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Ghaziabad News: रक्षाबंधन का पर्व देशभर में बेहद हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन गाजियाबाद में एक ऐसा गांव भी है जहां रक्षाबंधन का त्योहार यहां नहीं मनाया जाता. यहां बहनें अपने भाई को राखी नहीं बांधती हैं. इसके पीछे एक खास वजह है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. इस गांव में रक्षाबंधन मनाने वाले परिवार पर किसी अनहोनी होने की आशंका मानी जाती है इसलिए इस गांव में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया है.
बता दें कि गाजियाबाद के मुरादनगर इलाके का एक गांव सुराना में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता है. यहां बहने अपने भाईयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती. ऐसा यहां पर पुरानी मान्यताओं के चलते किया जाता है और रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता. रक्षाबंधन के दिन आम दिनों की तरह लोग अपना जीवन व्यतीत करते हैं.
गाजियाबाद से लगभग 30 किलोमीटर दूर सुराना गांव के स्थानीय निवासियों से बातचीत की गई और जानने का प्रयास किया गया कि यहां रहने वाले लोग रक्षाबंधन बताया कि आखिर यहां क्यों नहीं मनाया जाता राखी का त्योहार. आइए आपको इसके बारे में बताते हैं.
दरअसल गांव के लोगों के मुताबिक 11वीं सदी में सुराना गांव को सोनगढ़ के नाम से जाना जाता था और पृथ्वीराज चौहान के वंशज जब सोनगढ़ आए थे तो उन्हीं के द्वारा इसे बसाया गया था. जब मोहम्मद गौरी को इस बात का पता चला कि पृथ्वीराज के वंशजों में सोनगढ़ में डेरा डाला है और गांव की रक्षा करने वाले वीर गंगा स्नान के लिए बाहर गए हुए हैं तो उन्होंने सोनगढ़ पर रक्षाबंधन के दिन आक्रमण करवा दिया, जिससे पूरा गांव खत्म हो गया.
उस आक्रमण में क्रूरता की सारी हद पार की गई. औरतें बच्चों बुजुर्ग को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया गया. केवल दो बच्चे जो कि अपने मामा नाना के घर गए हुए थे वह इस आक्रमण के बाद बच पाए, जिन्हें बाद में छबड़ा या टोकरी में बिठाकर गांव लाया गया और इस गांव के लोग छाबढ़िया वंशज कहलाने लगे. गांव के लोगों के साथ छाबढ़िया वंश का कोई भी व्यक्ति रक्षाबंधन नहीं मानता है. इसके साथ गांव में जिसने भी रक्षाबंधन पर्व मनाने की कोशिश की उसके साथ अनहोनी होने लगी और मानने वाले व्यक्ति बीमार होने लगे. तब से पीढ़ी दर पीढ़ी यहां रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है.
Input: पियुष गौर