Delhi To Prayagraj: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आज की रात डर और अफरातफरी से भरी रही. प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर अचानक अफवाह फैली कि कुंभ जाने वाली यह आखिरी ट्रेन है. भगदड़ में कई लोग गिर पड़े और अफरा-तफरी का माहौल बन गया.
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New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आज की रात को लोग शायद ही कभी भूल पाएंगे. प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर यात्रियों की चहल-पहल थी, हर कोई अपनी ट्रेन पकड़ने की जल्दी में था. अचानक एक अफवाह फैली कि कुंभ जाने के लिए ये आखिरी ट्रेन है, अफवाह सुनते ही भीड़ में हड़कंप मच गया. लोग ट्रेन पकड़ने के लिए इधर-उधर भागने लगे, सीढ़ियों और पुल पर हर तरफ चीख-पुकार गूंजने लगी.
चीखों के बीच खो गई जिंदगी
घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों के अनुसार भगदड़ इतनी भयानक थी कि कई लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर गए. कुछ लोग अपने परिवार से बिछड़ गए तो कुछ अपनों को बचाने की कोशिश में खुद हादसे का शिकार हो गए. जब सब शांत हुआ, तो वहां सिर्फ बिखरी हुई चप्पलें, जूते और टूटे सामान दिखाई दे रहे थे. ये सब उस दर्दनाक मंजर की गवाही दे रहे थे. घटना के बाद घायल लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे, लेकिन प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा उस समय नदारद थी. इस हादसे में किसी ने अपना माता-पिता और भाई खोया तो कि पति ने अपनी पत्नी को खोया. खराब व्यवस्था को लेकर लोगों ने रेलवे प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे थे, जब तक एंबुलेंस और राहत कर्मी पहुंचे, तब तक काफी देर हो चुकी थी.
कौन है जिम्मेदार?
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि स्टेशन पर अव्यवस्था और सुरक्षा की कमी के कारण यह हादसा हुआ. सीढ़ियों पर रेलिंग कमजोर थी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई अधिकारी मौजूद नहीं था. रेलवे प्रशासन ने जांच के आदेश तो दिए, लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ जांच से मासूमों की जानें लौट सकती हैं? सोशल मीडिया पर राजनेता सिर्फ हादसे को लेकर ट्विट कर सकते है लेकिन घटना के बाद सुबह तक कोई स्टेशन पर नहीं पहुंचा. सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी सभी निभाते हैं आखिरकार जमीनी स्तर पर जिम्मेदारी कौन निभाएगा.
हादसे की कहानियां
यात्री रामकिशन नाम के एक बुजुर्ग अपनी पोती के साथ ट्रेन पकड़ने आए थे. भगदड़ में उनकी पोती उनसे छूट गई. घंटों बाद वे उसे खोजते रहे और जब मिली तो वह बेहोश थी. अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उसकी सांसें थम चुकी थीं. एक और महिला यात्री जो अपने बेटे के साथ कुंभ जा रही थीं, इस हादसे में अपने बेटे को खो बैठीं.
प्रशासन का वादा और सच्चाई
रेलवे प्रशासन ने कहा कि पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा और सुरक्षा के उपाय बढ़ाए जाएंगे, लेकिन हर बार की तरह सवाल वही है क्या हादसों के बाद ही सुधार की बातें होंगी?
सबक और उम्मीद
यह हादसा हमें याद दिलाता है कि अव्यवस्था और लापरवाही कितनी घातक हो सकती है. हमें चाहिए कि हम भीड़भाड़ वाले स्थानों पर धैर्य रखें और अफवाहों पर यकीन न करें. साथ ही, प्रशासन को चाहिए कि वह सुरक्षा के कड़े इंतजाम करे ताकि भविष्य में कोई और चप्पल या जूते हादसे की कहानी न बयां करें.
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