Haryana News: दूध-दही वाले प्रदेश हरियाणा के पशुपालक बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. उनका कहना है कि अब दूध उत्पादन घाटे का सौदा साबित हो रहा है. लोग महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में अपने मवेशी बेच देते हैं.
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Kaithal: हरियाणा समेत पूरा उत्तर भारत गर्मी से धधक रहा है. ऐसे में बढ़ती महंगाई कैथल के पशुपालकों की समस्या को दोगुना कर रही है. इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर भी पड़ रहा है. परेशान डेयरी वालों का कहना है कि गर्मियों में गाय और भैंस वैसे ही दूध कम देना शुरू कर देती है, ऊपर से जानवरों को देने वाली खुराक जैसे हरा चारा, तूड़ी, खल, बिनोला आदि के दाम आसमान छू रहे हैं. परेशानी यहीं खत्म नहीं होती. अगर पशुपालक गिरते पड़ते ये खर्च उठा भी लें तो उन्हें दूध के सही दाम नहीं मिल पाते. राज्य में सक्रिय मिलावटखोर सस्ता दूध बेचते हैं. ऐसे में उन्हें कम्प्टीशन के चक्कर में कम दाम पर दूध बेचना पड़ता है. डेयरी वालों ने सरकार से महंगाई से निजात दिलाने की मांग की है.
ज़ी मीडिया ने जब डेयरी वालों से बात की तो उन्होंने बताया कि गाय और भैंस को दी जाने वाली खुराक के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले एक-दो वर्षों में ही दाम बढ़कर दोगुना से ज्यादा हो गए हैं. गर्मी में वैसे भी मवेशी कम दूध देते हैं. ऐसे में बढ़ती महंगाई से डेयरी वालों का मुनाफा कम हो जाता है, जिसका बोझ उनके साथ ही उपभोक्ता पर भी पड़ता है. जब उनसे दूध के महंगे होने की वजह पूछी गई तो डेयरी संचालकों ने बताया कि गांव में रहने वाले किसानों का दूध उत्पादन में रुझान कम हो गया है, क्योंकि इस काम में मेहनत ज्यादा और अब मुनाफा कम है.
इसलिए दुग्ध उत्पादन से मुंह मोड़ने लगे हैं लोग
दूध के लिए उन्हें तड़के 4 बजे से लेकर रात तक पशुओं की देखभाल करनी पड़ती है. उन्हें अनुकूल वातावरण देना पड़ता है. साफ सफाई रखनी पड़ती है और तब जाकर दूध मिलता है. धीरे-धीरे लोग शहर की तरफ बढ़ रहे हैं और दूध उत्पादन से मुंह मोड़ने लगे हैं. नई पीढ़ी इस काम को करना नहीं चाहती. इस वजह से खेत मालिक हरा चारा भी कम बोने लगे हैं.
मजबूरन मवेशी मुंबई-कोलकाता भेजे जा रहे
चारे के अभाव में मवेशी मुंबई या कोलकाता की तरफ बेच दिए जाते हैं और कभी वापस नहीं आते. यही वजह हैं कि आज एक भैंस एक से लेकर दो-ढाई लाख रुपये तक की हो गई है. इसके अलावा उसकी देखभाल का खर्च भी काफी बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि बाजार में मिलावटी या नकली दूध काफी कम दाम पर बिकता है, इसलिए दूध का उत्पादन करने वालों को उनके साथ भी कंपटीशन करना पड़ता है. मजबूरन उन्हें दूध घाटा उठाकर बेचना पड़ता है.
मिलावटखोरों पर कसा जाए शिकंजा
डेयरी मालिकों की मांग है कि सरकार भैंस और गाय खरीद पर बिना ब्याज का लोन मुहैया कराए. उनका कहना है कि पशुओं का चारा दिन प्रतिदिन महंगा होता जा रहा है. सरकार को टैक्स घटाकर इसे नियंत्रित करना चाहिए, ताकि हर घर में शुद्ध दूध की आपूर्ति हो सके. उन्होंने मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की.
इनपुट: विपिन शर्मा