Delhi New CM: संघ की नर्सरी से निकले ये दो चेहरे न सिर्फ भाजपा को नई दिशा देंगे, बल्कि दिल्ली की राजनीति को भी नई धार देंगे. अब देखना यह है कि भाजपा इन दोनों में किसे राजधानी की बागडोर सौंपती है.
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Who Will be New CM of Delhi: दिल्ली की राजनीति में एक नई सुबह की आहट सुनाई दे रही है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से दो संभावित चेहरों के नाम सुझाए गए हैं, ये दोनों का ही जुड़ाव कहीं न कहीं संघ से रहा है. ये दो संभावित चेहरे हैं - पवन शर्मा और कपिल मिश्रा, जो विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं. दोनों ही नेता अपने मजबूत जनसंपर्क और संगठनात्मक क्षमताओं के लिए पहचाने जाते हैं. आइए जानते हैं इन दोनों की राजनीतिक यात्रा, उनकी चुनौतियां और आगामी चुनाव में उनकी संभावनाओं का आकलन. इन सब में गौर करने लायक एक बात ये है कि दोनों ही चेहरे ब्राह्मण वर्ग से हैं. सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को संघ के मुख्यालय में दिल्ली सीएम फेस के चेहरे पर चर्चा हुई है.
संघ से सेवा तक का सफर
इस बार के दिल्ली चुनाव में पवन शर्मा उत्तम नगर विधानसभा सीट से विधायक बने हैं. उन्होंने आप उम्मीदवार पोश बाल्यान को 29740 वोट से हराया था. पवन शर्मा को 103613, जबकि आप उम्मीदवार को 73873 वोट मिले. पवन शर्मा की छवि एक शिक्षित और जनहित में सक्रिय नेता की बनी हुई है. युवाओं में उनकी अच्छी खासी पकड़ है और पार्टी उन्हें एक नए चेहरे के रूप में पेश कर सकती है. मूलरूप से हरियाणा के पवन शर्मा बचपन से ही उनके परिवार में संघ की विचारधारा रची-बसी थी. उनके पिता आर.डी. शर्मा संघ के समर्पित स्वयंसेवक थे. आपातकाल के दौरान जेल भी गए थे. पिता के संघर्षों को देखकर पवन शर्मा ने भी समाज सेवा का संकल्प लिया और संघ की गतिविधियों में सक्रिय हो गए.
पवन शर्मा का राजनीति में पदार्पण
राजनीतिक जीवन की बात करें तो 1989 में दिल्ली में उन्होंने राजनीति में कदम रखा. इसके साथ ही संघ से जुड़कर अपने संगठनात्मक कौशल को निखारा. 2013 में उत्तम नगर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. उनकी छवि एक जमीनी नेता की बनी, जो जनता की समस्याओं को सुनता और हल करता है. साथ ही पवन शर्मा का सामाजिक योगदान भी उल्लेखनीय है. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उन्होंने कई पहल की हैं. उनका मानना है कि राजनीति केवल सत्ता का साधन नहीं, बल्कि समाज सेवा का जरिया है. आगामी चुनावों में भाजपा उन्हें एक ऐसे चेहरे के रूप में पेश कर सकती है जो दिल्ली की पारंपरिक राजनीति में एक नई ऊर्जा ला सके.
युवाओं की पहली पसंद है कपिल मिश्रा
अब बात करते हैं करावल नगर सीट से विजयी विधायक कपिल मिश्रा की. इस बार उन्हें करावल नगर सीट से 5 बार विधायक रह चुके मोहन सिंह बिष्ट की जगह टिकट दिया गया था. कपिल ने आप उम्मीदवार नितिन त्यागी को 23,355 वोटों से हराया. कपिल मिश्रा को 1,07,367, जबकि नितिन त्यागी को 84,012 वोट मिले. कपिल मिश्रा की छवि एक पढ़े-लिखे और जनसेवा में सक्रिय नेता की है. कपिल दिल्ली दंगे के दौरान तेजी से चर्चा में आए थे. दिल्ली में जन्मे कपिल मिश्रा के पिता रामेश्वर मिश्रा समाजवादी विचारक और लेखक रहे हैं. जबकि माता अन्नपूर्णा मिश्रा पूर्वी दिल्ली की मेयर रह चुकी हैं.
AAP से शुरू की थी राजनीतिक यात्रा
2015 में आम आदमी पार्टी (आप) से राजनीति की शुरुआत की और करावल नगर से विधायक बने. शुरुआती दिनों में उन्हें जल संसाधन मंत्री बनाया गया, लेकिन बाद में पार्टी से मतभेद के चलते उन्हें पद से हटा दिया गया. इसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाते हुए अरविंद केजरीवाल की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. 2019 में कपिल मिश्रा भाजपा में शामिल हुए और अपनी बेबाक शैली से चर्चित हो गए. दिल्ली में युवाओं और मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. 2023 में उन्हें दिल्ली भाजपा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. उनकी आक्रामक शैली और स्पष्ट विचारधारा भाजपा की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है.
संघ की भूमिका और चुनावी रणनीति
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) दिल्ली चुनाव में भाजपा की मजबूत नींव तैयार कर रहा है. संघ की रणनीति में ऐसे चेहरे शामिल करना है जो न केवल संगठन को मजबूत करें, बल्कि जनभावनाओं को भी समझ सकें. पवन शर्मा और कपिल मिश्रा दोनों ही इस कसौटी पर खरे उतरते हैं. एक ओर जहां पवन शर्मा की छवि संयमित और सेवा भाव वाली है, वहीं कपिल मिश्रा का तेजतर्रार और आक्रामक रवैया पार्टी को एक नई धार दे सकता है. सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व इन दोनों नेताओं को आगामी चुनाव में प्रमुख चेहरों के रूप में प्रस्तुत कर सकता है. पार्टी की योजना दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की है, जहां युवाओं को जोड़ने और पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने की चुनौती है.
जनता की प्रतिक्रिया और भविष्य की राह
अगर दिल्ली की जनता की मानें तो वे दिल्ली में योगी आदित्यनाथ जैसा मजबूत सीएम चाहते हैं. पवन शर्मा की शैक्षणिक योजनाएं और सामाजिक कार्यक्रम इस दिशा में मददगार साबित हो सकते हैं. वहीं, कपिल मिश्रा के मुखर और स्पष्ट वक्तव्यों से भाजपा को विपक्ष को घेरने में मदद मिलेगी. संघ की नर्सरी से निकले ये दो चेहरे न सिर्फ भाजपा को नई दिशा देंगे, बल्कि दिल्ली की राजनीति को भी नई धार देंगे. अब देखना यह है कि भाजपा इन दोनों में किसे राजधानी की बागडोर सौंपती है.
संघ अब तक कई मजबूत सीएम चेहरे दे चुका है
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत, झारखंड में सीएम रह चुके रघुबर दास की जड़ें संघ से जुड़ी है. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर भी संघ के चेहरे थे और नायब सिंह सैनी का भी संघ से जुड़ाव है.
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