दिल्ली में 'AAP' की करारी हार और गूंज उठा यह शेर. 'इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पे ऐ बेखबर...'
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दिल्ली में 'AAP' की करारी हार और गूंज उठा यह शेर. 'इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पे ऐ बेखबर...'

Arvind Kejriwal: राजनीति में हार-जीत का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन क्या आम आदमी पार्टी इस हार के बाद दोबारा मजबूती से खड़ी हो पाएगी? क्या अरविंद केजरीवाल अपनी खोई हुई साख वापस हासिल कर सकेंगे? वहीं, भाजपा इस जीत का आगे कैसे फायदा उठाएगी.

Delhi Election Results 2025: दिल्ली में 'AAP' की करारी हार और गूंज उठा यह शेर. 'इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पे ऐ बेखबर...'

Delhi Election Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की करारी हार चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गई है. अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सोमनाथ भारती समेत कई बड़े चेहरों के हारने के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में गुलजार का यह मशहूर शेर गूंजने लगा...

"इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पे ऐ बेखबर,
शहर में तेरी जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं"

यह पंक्तियां AAP की हार और बीजेपी की जीत के संदर्भ में तेजी से वायरल हो रही हैं. भाजपा कार्यकर्ता इसे अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वहीं आप समर्थकों के लिए यह हार आत्ममंथन का विषय बन गई है. आखिर, आम आदमी पार्टी की यह हार क्यों इतनी खास है और इस पर इतनी चर्चा क्यों हो रही है? आइए जानते हैं.

आप की हार क्यों बनी बड़ी खबर?
दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का उदय 'झाड़ू क्रांति' के रूप में हुआ था. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकले केजरीवाल ने 2015 और 2020 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, लेकिन 2025 के चुनाव में यह कहानी पूरी तरह बदल गई.

बड़े चेहरे हुए धराशायी : इस चुनाव में खुद अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और विवादों में रहे सोमनाथ भारती जैसी हस्तियां हार गईं. केजरीवाल, जो दिल्ली की सत्ता के केंद्र में थे, उनकी हार भाजपा के लिए सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक विजय थी.

भ्रष्टाचार के आरोप भारी पड़े : आम आदमी पार्टी के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे, जिनमें शराब नीति घोटाला सबसे बड़ा मुद्दा बना. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और संजय सिंह की जेल यात्रा ने AAP की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाया.

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की लहर : दिल्ली के चुनाव में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा भी प्रभावी रहा. भाजपा ने केजरीवाल को 'भ्रष्टाचारी' और 'अराजकतावादी' बताते हुए उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए.

मोदी बनाम केजरीवाल : भाजपा ने चुनाव को सीधे नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल की लड़ाई बना दिया. दिल्ली की जनता ने केंद्र की नीतियों को तवज्जो दी और भाजपा को समर्थन दिया.

मुफ्त योजनाओं का असर कम हुआ : दिल्ली में AAP की फ्री बिजली-पानी, मोहल्ला क्लीनिक और शिक्षा मॉडल ने पहले दो चुनावों में बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन इस बार यह मुद्दे जनता को आकर्षित नहीं कर सके. मतदाताओं ने विकास के बजाय स्थिरता को तरजीह दी.

अब आगे क्या?
अब सवाल यह है कि क्या आम आदमी पार्टी इस हार से उबर पाएगी? क्या केजरीवाल दिल्ली की राजनीति में अपनी खोई साख वापस पा सकेंगे? भाजपा इस जीत को कैसे आगे भुनाएगी. राजनीति में हार-जीत आती जाती रहती है, लेकिन यह चुनाव दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा दिल्ली में अपनी सरकार कैसे संभालती है और AAP इस हार के बाद खुद को कैसे फिर से खड़ा करती है.

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