Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: इस बार दिल्ली चुनाव आयोग ने बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए खास इंतजाम किए हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक ले जाने में मदद के लिए 8715 वालंटियर और 4218 व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है. इससे यह साफ होता है कि चुनाव आयोग हर वर्ग के लोगों को मतदान में शामिल करने के लिए पूरी तरह से प्रयास कर रहा है.
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Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में मतदान को लेकर एक ऐतिहासिक तस्वीर देखने को मिल रही है. इस बार बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करने में जबरदस्त उत्साह दिखाया है. जहां एक ओर आम चुनावों में मतदान को लेकर सुस्ती देखी जाती थी, वहीं इस बार दिल्ली के बुजुर्गों और दिव्यांगों ने लोकतंत्र के पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लिया है. इस कार्य में भारतीय निर्वाचन आयोग की टीम का अहम योगदान है. टीम के सभी सदस्य वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं के घर-घर जाकर मतदान कर रहे हैं.
बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं का नया जोश
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के अनुसार, इस बार 85 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं ने बड़ी संख्या में घर से मतदान किया. आंकड़ों के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव में जहां 5,426 मतदाताओं ने इस सुविधा का विकल्प चुना था, वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में 7,552 बुजुर्गों और दिव्यांगों ने घर से मतदान का फैसला किया. इनमें से अब तक 6,980 मतदाता पोस्टल बैलेट के जरिए अपना वोट डाल चुके हैं. यह आंकड़ा बताता है कि दिल्ली में लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर वर्ग सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रहा है.
राजनीतिक दलों के लिए संकेत
बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं की यह बढ़ती भागीदारी राजनीतिक दलों के लिए भी एक अहम संदेश है. आमतौर पर राजनीतिक पार्टियां युवा और मध्यम आयु वर्ग के मतदाताओं को प्राथमिकता देती हैं, लेकिन इस बार दिल्ली के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं ने भी चुनावी प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभाई है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह वोटिंग ट्रेंड किसी भी दल के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि यह संकेत देता है कि जनता हर हाल में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहती है और सरकारों से जवाबदेही की उम्मीद रखती है.
वोटिंग सुविधाओं में सुधार
दिल्ली चुनाव आयोग ने इस बार वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए खास इंतजाम किए हैं. 8715 वालंटियर और 4218 व्हीलचेयर की व्यवस्था की गई है ताकि वे मतदान केंद्र तक आसानी से पहुंच सकें. यह कदम यह भी दिखाता है कि चुनाव आयोग अब हर तबके को मतदान प्रक्रिया में शामिल करने के लिए गंभीर है.
क्या होगा चुनावी नतीजों पर असर?
दिल्ली में बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं की बड़ी संख्या यह दिखाती है कि वे अपने अधिकारों को लेकर पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो चुके हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका समर्थन किस पार्टी के पक्ष में जाता है. क्या आम आदमी पार्टी (AAP) की नीतियों को वे सही मानते हैं या कांग्रेस और बीजेपी उन्हें बेहतर विकल्प लगती है. 5 फरवरी को मतदान के बाद 8 फरवरी को इसका जवाब मिल जाएगा.
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