BJP MLA Rekha Gupta: बीजेपी की यह रणनीति सिर्फ महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि राजनीति में संतुलन बनाने के लिए भी है. जहां महिला मुख्यमंत्री बनाने से चुनावी फायदा हो सकता है, वहां बीजेपी यह फैसला ले रही है.
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Delhi Chief Minister: भारतीय राजनीति में महिला नेतृत्व की भागीदारी हमेशा से बहस का मुद्दा रही है. खासकर मुख्यमंत्री पद पर महिलाओं की संख्या बेहद सीमित रही है. अगर हम मौजूदा समय की बात करें, तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को छोड़कर किसी भी विपक्षी दल ने महिला को मुख्यमंत्री पद तक नहीं पहुंचाया है. लेकिन बीजेपी ने दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री बनाकर एक नई रणनीति अपनाई है, जिससे न केवल वह विपक्ष को बैकफुट पर ला रही है, बल्कि महिला नेतृत्व को लेकर अपनी बढ़त भी बना रही है. सवाल यह है कि बीजेपी का यह दांव सिर्फ एक संयोग है या इसके पीछे बड़ी सियासी रणनीति काम कर रही है.
बीजेपी की रणनीति: महिला सशक्तिकरण या चुनावी गणित?
दिल्ली में रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है. यह कदम केवल महिलाओं को सशक्त बनाने का नहीं बल्कि चुनावी गणित को साधने का भी हिस्सा है. दिल्ली एक ऐसा राज्य है, जहां महिला मतदाता बड़ी संख्या में हैं और उनका झुकाव अब तक आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर ज्यादा रहा है. बीजेपी को यह एहसास हो गया था कि अगर उसे दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करनी है तो महिला नेतृत्व को आगे लाना होगा. इसके अलावा, अगर हम बीजेपी के दूसरे शासित राज्यों पर नजर डालें तो हर जगह पुरुष मुख्यमंत्री हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात समेत हर जगह बीजेपी ने पुरुष नेताओं को सीएम बनाया है. ऐसे में दिल्ली में महिला को मुख्यमंत्री बनाना सिर्फ संयोग नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे महिला मतदाताओं को यह संदेश दिया जा सके कि बीजेपी महिला नेतृत्व को बढ़ावा दे रही है.
बीजेपी की महिला नेतृत्व रणनीति
दिल्ली में बीजेपी ने जब महिला मुख्यमंत्री का चुनाव किया, तो इसके पीछे कई राजनीतिक और सामाजिक कारण थे.
1. महिला वोटर्स को साधने की कोशिश
भारत में महिला वोटर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है और वे अब चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं. हाल के वर्षों में कई राज्यों में महिला वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है.
2019 लोकसभा चुनाव में महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों के लगभग बराबर थी.
उत्तर प्रदेश चुनाव (2022) में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 62% था, जबकि पुरुषों का 60%.
बीजेपी इस बदलाव को बखूबी समझती है और इसलिए महिलाओं को आकर्षित करने के लिए महिला नेतृत्व को आगे कर रही है.
2. दिल्ली का विशेष दर्जा और सीमित शक्तियां
दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है, बल्कि केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) है, जहां मुख्यमंत्री की शक्तियां सीमित होती हैं.
दिल्ली पुलिस और लॉ एंड ऑर्डर केंद्र सरकार के अधीन हैं.
मुख्यमंत्री के पास सीमित अधिकार होते हैं, जबकि उपराज्यपाल (LG) की भूमिका अधिक प्रभावशाली होती है.
इसलिए, बीजेपी के लिए दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री देना एक 'सुरक्षित प्रयोग' था, जहां महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की छवि बनाई जा सके, लेकिन प्रशासनिक चुनौतियां कम रहें.
3. विपक्षी पार्टियों से अलग छवि बनाना
आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के अधिकतर बड़े नेता पुरुष हैं.
बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री देकर खुद को उनसे अलग दिखाने की कोशिश की है.
इससे पार्टी को महिला सशक्तिकरण की समर्थक पार्टी के रूप में पेश करने का मौका मिला.
अन्य राज्यों में महिला मुख्यमंत्री क्यों नहीं?
अगर बीजेपी वास्तव में महिला नेतृत्व को बढ़ावा दे रही है, तो यह सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित क्यों है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम जैसे बड़े राज्यों में पुरुष मुख्यमंत्री ही हैं. 2014 में जब आनंदीबेन पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था, तो वह भी लंबे समय तक पद पर नहीं रह सकीं.
क्या यह सिर्फ चुनावी गणित है?
बीजेपी की यह रणनीति सिर्फ महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की नहीं, बल्कि राजनीतिक समीकरण साधने की भी है. जहां राजनीतिक फायदा मिलेगा, वहां महिला मुख्यमंत्री दी जा रही है. जहां परंपरागत पुरुष नेतृत्व की मजबूत पकड़ है, वहां इसे नहीं बदला जा रहा.
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