International Women's Day special: गोल्ड मेडलिस्ट गीता फोगाट के संघर्षों की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी
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International Women's Day special: गोल्ड मेडलिस्ट गीता फोगाट के संघर्षों की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी

International Women's Day 2023: अपनी मेहनत से देश ही नहीं दुनिया में भी अपना परचम लहराने वाली महिलाओं में से एक नाम है हरियाणा की पहलवान गीता फोगाट का. 6 भाई-बहनों में सबसे बड़ी गीता के लिए ये सफर आसान नहीं था. 

International Women's Day special: गोल्ड मेडलिस्ट गीता फोगाट के संघर्षों की कहानी, सुनिए उन्हीं की जुबानी

International Women's Day 2023: हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, इस दिन देशभर में अपनी मेहनत और हौसले का लोहा मनवाने वाली महिलाओं को अलग-अलग मंच के माध्यम से सम्मान दिया जाता है. अपनी मेहनत से देश ही नहीं दुनिया में भी अपना परचम लहराने वाली महिलाओं में से एक नाम है हरियाणा की पहलवान गीता फोगाट का, जो फ्री स्टाइल पहलवान है. आज के आर्टिकल में हम उनके जीवन के बारे में जानते हैं.  

दंगल गर्ल के नाम से मशहूर गीता फोगाट ने साल 2009-2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. गीता फोगाट के पिता महावीर सिंह फोगाट भी पहलवान हैं, जिन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से नवाजा गया है. पिता के प्रोत्साहन और समर्थन ने गीता और बबीता फोगाट को देश की मशहूर रेसलर बना दिया था, फोगाट बहनों ने काफी मेहनत की और आज बड़े मुकाम पर हैं. 6 भाई-बहनों में गीता सबसे बड़ी हैं और वर्तमान में हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर कार्यरत हैं. उनकी शादी साल 2016 में पहलवान पवन कुमार से हुई है. गीता साल 2019 में एक बेटे की मां बनीं.

राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन करने वाली गीता पहली भारतीय महिला पहलवान हैं, जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया था. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए गीता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. गीता फोगाट ने बताया कि उनके लिए सबसे ज्यादा मुश्किल कुश्ती जैसे खेल को चुनना था. उन्हें आज भी याद है जब वह बचपन में कुश्ती लड़ने जाती थीं और उन्हें कुश्ती नहीं लड़ने दी जाती थी. उनके पिता को यहां तक कहा गया की कौन से शास्त्रों में लिखा गया है कि लड़कियों को कुश्ती लड़नी चाहिए.  

गीता फोगाट ने बताया जब वह कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कही जाती थी, तो उनके पिता  को यहां तक कहा जाता था कि तुम्हारी बेटियों से कोई शादी नही करेगा. फिर भी उनके माता-पिता ने बिना समाज की परवाह किए उनका साथ दिया, जिसके बाद उनका सफर आसान हो गया. बचपन मे हर कुश्ती प्रतियोगिता में मेरे पिता हमेशा साथ रहते थे.

गीता फोगाट ने कहा कि उन्हें कभी ऐसा लगा ही नहीं की लड़की होने के कारण वो कुश्ती नहीं लड़ पाएंगी. सभी खेल कठिन हैं, लेकिन कुश्ती सबसे ज्यादा कठिन है. हमने लड़को के साथ अपनी ट्रेनिंग की है, जो काफी मुश्किल भरी रहती थी. महिला खिलाड़ी होने के कारण मुझे और ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बचपन से ही पिता ने हमे लड़कों की तरह रखा. वो काफी गुस्से वाले और सख्त थे.

Input- Kamarjeet Singh

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