पंजाब यूनिवर्सिटी को लेकर हरियाणा सरकार ने फिर पंजाब सरकार को घेरते हुए कहा है कि पंजाब सरकार ने पारित प्रस्ताव में अधूरा सच बताया है कि पंजाब यूनिवर्सिटी को पहले प्रदेश की तत्कालीन राजधानी लाहौर से होशियारपुर और फिर चंडीगढ़ में स्थानांतरित कर दिया गया था. पूरा सच ये है कि लाहौर के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी का कामकाज रोहतक और हिमाचल के शिमला से भी हुआ है.
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नई दिल्ली: पंजाब विधानसभा में दूसरे बजट सत्र के दौरान पंजाब यूनिवर्सिटी के लिए पारित किए गए प्रस्ताव पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने आपत्ती जताई है. इस बीच ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि यह प्रस्ताव न तो तथ्यात्मक रूप से ठीक है और न ही सैद्धांतिक कसौटी पर खरा उतरता है. यह प्रस्ताव मात्र हरियाणा और विशेषकर पंचकूला के हितों पर कुठाराघात करने के उद्देश्य से पास किया गया है. इसमें स्पष्ट रूप से राजनीतिक हित साधने की मंशा उजागर हो रही है. गुप्ता ने कहा कि उनकी ओर से पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा का हक लेने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. शीघ्र ही यह प्रयास रंग दिखाने जा रहे हैं. पंजाब सरकार ने इन प्रयासों से घबराकर ही आनन-फानन में यह प्रस्ताव पारित किया है.
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पंजाब विधानसभा में गुरुवार को पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने एक तरफा रूप से यूनिवर्सिटी से अपने कॉलेजों की संबद्धता वापस ले ली. इसके बाद इसे हरियाणा राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया, जिससे यूनिवर्सिटी के राजस्व में कमी आई है. इसमें लिखा है कि पंजाब यूनिवर्सिटी का चरित्र बदलने का कोई भी फैसला पंजाब की जनता को मंजूर नहीं होगा. इसमें अनुशंसा की गई है कि अगर केंद्र सरकार द्वारा किसी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है तो उसे तुरंत से रद्द करना चाहिए.
कई बार कर चुके उप-राष्ट्रपति से मुलाकात
ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि पंजाब की तरफ से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब यूनिवर्सिटी को प्रदेश की तत्कालीन राजधानी लाहौर से होशियारपुर और फिर चंडीगढ़ में स्थानांतरित कर दिया गया था, जबकि यह अधूरा सच है. पूरा सच यह है कि लाहौर के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी का कामकाज और अध्ययन हरियाणा के रोहतक और हिमाचल के शिमला से भी होता रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि पंजाब के प्रस्ताव में इस तथ्य को छिपाया गया है. पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय की दर्जा देकर ही हरियाणा के हितों की रक्षा की जा सकती है. इसके लिए वे देश के उप-राष्ट्रपति और इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एम. वैंकेया नायडू और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कई बार मिल कर हरियाणा का पक्ष रख चुके हैं.
पंजाब की तर्ज पर हो दाखिले
ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में फिलहाल 85% पंजाब और 15% कोटा शेष राज्यों का है. हरियाणा के विद्यार्थी भी इसी 15 फीसदी कोटे में एडमिशन लेते हैं. ऐसे में यूनिवर्सिटी में प्रदेश के विद्यार्थियों की संख्या न के बराबर होती जा रही है. पंजाब यूनिवर्सिटी में पंचकूला समेत हरियाणा के निकटवर्ती जिलों के कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पंजाब की तर्ज पर दाखिले में कोटा मिलना चाहिए.
बता दें कि 6 मई को देश के उपराष्ट्रपति और पंजाब यूनिवर्सिटी के कुलपति एम. वेंकैया नायडू चंडीगढ़ आए थे. तब भी विधान सभा अध्यक्ष ने पंजाब राजभवन पहुंचकर उनसे विशेष भेंट करके हरियाणा के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सा दिलवाने की मांग की थी. उप-राष्ट्रपति ने उनकी मांग पर सहमति जताई थी. इससे पहले 2017 में गुप्ता इस मामले को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सम्मुख उठा चुके हैं. वे उपराष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री को इस मामले में पत्र भी लिख चुके हैं.
इससे पहले पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया था कि पंजाब यूनिवर्सिटी में अपने हिस्से की बहाली संबंधी हरियाणा सरकार का प्रस्ताव ऐतिहासिक, तर्कपूर्ण, विवेकशील और सांस्कृतिक तौर पर ठीक नहीं है. उन्होंने कहा था कि हरियाणा अपनी इच्छा के अनुसार इतिहास को मोड़ देकर इस पर अपना झूठा हक नहीं जता सकता. उन्होंने आगे बताया था कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने खुद ही इस हिस्सेदारीवाले प्रबंध में से बाहर निकलने का फैसला लिया था, जिसके बाद हरियाणा ने अपने कॉलेजों की पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ संबद्धता वापस ले ली थी. हरियाणा सरकार का यह फैसला एकतरफा था. इसलिए 1976 से पंजाब और चंडीगढ़ यूटी प्रशासन क्रमशः 40:60 के अनुसार यूनिवर्सिटी को रखरखाव अनुदान की कमी का भुगतान कर रहे हैं.
हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 19 मई को डॉ. संगीता भल्ला बनाम पंजाब राज्य और अन्य केस में जस्टिस राजबीर सहरावत की बेंच ने पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने के मामले में केंद्र सरकार से जवाब देने का कहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा विशेष रूप से नियंत्रित, विनियमित और शासित विश्वविद्यालय है. अंतरराज्यीय निकाय के रूप में यूनिवर्सिटी का चरित्र पहले से ही खत्म हो गया है.
केवल पंजाब और चंडीगढ़ यूटी की भागीदारी मात्र से इसे अंतरराज्यीय निकाय नहीं बनाया जा सकता. हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय को निर्देश भी जारी किए हैं.
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