Haryana Political Crisis: बीजेपी का साथ छूटा! विधायक टूटने का खतरा... अब क्‍या करेंगे दुष्यंत चौटाला?
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Haryana Political Crisis: बीजेपी का साथ छूटा! विधायक टूटने का खतरा... अब क्‍या करेंगे दुष्यंत चौटाला?

Haryana Political Crisis News: दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के कई विधायक टूटकर बीजेपी में जा सकते हैं. आखिर हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने की नौबत क्यों आई?

Haryana Political Crisis: बीजेपी का साथ छूटा! विधायक टूटने का खतरा... अब क्‍या करेंगे दुष्यंत चौटाला?

Haryana Political Crisis Update Today: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार सुबह इस्तीफा दे दिया. राज्य में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूट के कगार पर है. दुष्यंत चौटाला के लिए सिर्फ गठबंधन टूटना चिंता का सबब नहीं है, उन्हें अपने विधायक भी बचाने हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, JJP के कम से कम पांच विधायक पार्टी छोड़ने के मूड में हैं. दुष्यंत ने नई आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर नई दिल्‍ली में पार्टी की बैठक बुलाई है. JJP के सभी 10 विधायकों और सीनियर नेताओं को इसमें शामिल होना था. भादरा से विधायक नैना चौटाला, उकलाना से विधायक अनूप धानक, नरवाना से विधायक रामनिवास और शाहबाद से विधायक रामकरण ही मंगलवार को दिल्ली पहुंचे हैं. बाकी पांच विधायकों का अता-पता नहीं. हरियाणा में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में दुष्यंत के लिए आगे की डगर कठिन हो चली है.

जेजेपी के कौन-कौन से विधायक बदल सकते हैं पाला

हरियाणा के नारनौंद से विधायक राम कुमार गौतम, बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग, गुहला विधायक ईश्वर सिंह और जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा के जेजेपी छोड़ने की चर्चा है. द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि दुष्यंत के करीबियों में शुमार रहे देवेंद्र सिंह बबली भी पाला बदली सकते हैं. बबली पिछले कुछ दिनों से दुष्यंत के खिलाफ बयान दे रहे थे. पिछले साल बबली को हरियाणा कैबिनेट में जगह मिली थी.

बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूटने की वजह क्‍या है

2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत हासिल करने से चूक गई थी. फिर दुष्यंत की जेजेपी से हाथ मिलाकर सरकार बनाई. फिलहाल, हरियाणा सरकार में जेजेपी के तीन मंत्री हैं- दुष्यंत, अनूप धानक और देवेंदर सिंह बबली. दोनों पार्टियों के बीच आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग पर पेच फंसा हुआ है. जेजेपी हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से 2 पर लड़ने की मांग कर रही थी.

जेजेपी ने हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर दावा किया था लेकिन बीजेपी सभी सीटों पर खुद लड़ना चाहती है. पार्टी की राज्य इकाई ने यही मेसेज हाईकमान को भेजा था. हरियाणा बीजेपी ने संभावित उम्मीदवारों की एक लिस्ट भी तैयार कर रखी है. बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी सीटें जीती थीं इसलिए वह एक भी सीट छोड़ने के मूड में नहीं थी. बार-बार कहने पर बीजेपी एक लोकसभा सीट देने को राजी हो गई. लेकिन दुष्‍यंत अपनी मांग पर अड़े रहे. 

सोमवार को दुष्यंत ने दिल्‍ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. यहीं पर दुष्यंत को साफ बता दिया गया. इस मुलाकात से कुछ घंटे पहले, दुष्यंत ने एक इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिरकत की थी. मंगलवार सुबह को, दुष्यंत की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बैठक प्रस्तावित थी मगर हो नहीं पाई. 

पहले भी हुई अनबन पर इतनी नहीं

दुष्यंत की जेजेपी 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अस्तित्व में आई थी. करीब साल भर बाद किसान आंदोलन शुरू हो गया. तब भी बीजेपी और जेजेपी में तल्‍खी देखने को मिली थी. दुष्यंत को डर था कि कहीं किसान आंदोलन का असर उनकी पार्टी के जाट वोट बैंक पर न पड़े. जेजेपी ने किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की थी. विपक्षी दलों ने जेजेपी को 'सत्ता का लोभी' बताते हुए गठबंधन न तोड़ने के लिए खूब लताड़ा था.

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