Faridabad Crime: परवरिश या सामाजिक पतन? जब एक बेटे ने पिता को जिंदा जलाया
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Faridabad Crime: परवरिश या सामाजिक पतन? जब एक बेटे ने पिता को जिंदा जलाया

Son Burnt Alive Father: मोहम्मद अलीम के नाबालिग बेटे के खिलाफ मकान मालिक रियाजुद्दीन की शिकायत पर पल्ला थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया है.

 

Faridabad Crime: परवरिश या सामाजिक पतन? जब एक बेटे ने पिता को जिंदा जलाया

Faridabad Crime: फरीदाबाद की अजय नगर कॉलोनी में एक ऐसी घटना घटी, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. 14 साल के एक किशोर ने अपने ही पिता को जिंदा जलाकर मार डाला. वजह सिर्फ इतनी थी कि पिता ने उसे पढ़ाई के लिए डांट दिया था.

एक साधारण रात, एक भयानक साजिश
सोमवार की रात मोहम्मद अलीम अपने छोटे से कमरे में सोने की तैयारी कर रहे थे. दिनभर की थकान के बाद उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी की यह आखिरी रात होगी. उनके 14 वर्षीय बेटे ने रात में उन्हें डांटा जाने की बात को दिल से लगा लिया था. जब पूरा मोहल्ला गहरी नींद में सो रहा था, तब वह एक भयानक साजिश रच रहा था. रात करीब 2 बजे, जब अलीम गहरी नींद में थे, किशोर ने उन पर ज्वलनशील पदार्थ छिड़का और माचिस की तीली जलाकर आग लगा दी. इतना ही नहीं, उसने कमरे की कुंडी बाहर से बंद कर दी, ताकि पिता बच न सकें. कमरे से उठती लपटें और पिता की चीखें जब पड़ोसियों तक पहुंचीं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

बचाव की कोशिश और बेटे की बेरहमी
आग की लपटें तेज हो चुकी थीं. पड़ोसी मदद के लिए दौड़े, लेकिन कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था. जब किसी तरह उसे खोला गया, तब तक अलीम की जलकर मौत हो चुकी थी. वहीं, उनका बेटा यह सब देखकर चुपचाप मौके से फरार हो गया. इस घटना से पूरा इलाका सन्न रह गया. पड़ोसियों ने बताया कि किशोर काफी बिगड़ैल स्वभाव का था. वह स्कूल नहीं जाता था और अक्सर पिता की जेब से पैसे चुराता था. कई बार पिता ने उसे समझाने की कोशिश की थी, लेकिन वह हर बार गुस्सा हो जाता था.

सवाल जो सोचने पर मजबूर करते हैं
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है क्या हमारी परवरिश में कोई कमी रह गई है. क्या बच्चों की मानसिकता इतनी बदल गई है कि वे गुस्से में अपनों की जान तक ले सकते हैं. मनोचिकित्सकों का मानना है कि माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. डिजिटल दुनिया में बच्चे असल दुनिया से दूर होते जा रहे हैं. सही-गलत का फर्क भूल रहे हैं. जरूरत इस बात की है कि माता-पिता बच्चों के साथ समय बिताएं, उनकी भावनाओं को समझें और सही दिशा में उनका मार्गदर्शन करें. फरीदाबाद की इस घटना ने एक बार फिर रिश्तों की अहमियत और बच्चों की मानसिक स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या अब भी हम सचेत होंगे.

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